राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हस्ताक्षर के बाद, चीन ने कल से नया कानून लागू किया है। कानून यह है कि अब तुरन्त प्रभाव से चीन की सेना पीएलए दूसरे देशों में सैन्य अभियान चलाने को स्वतंत्र है। बीजिंग के सरकारी मीडिया ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीनी सेना को विदेशों में मिलिट्री ऑपरेशन चलाने को लेकर आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह कानून 15 जून से प्रभावी हो गया है। लेकिन दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञ आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि इस नए सैन्य कानून की आड़ में कम्युनिस्ट चीन का मकसद ताइवान के विरुद्ध सैन्य ऑपरेशन छेड़ना हो सकता है।
बताया तो ये गया है कि चीन की सेना के ये सभी सैन्य ऑपरेशन ‘गैर सामरिक’ होंगे। मतलब यह कि युद्ध जैसे हालात को छोड़कर बाकी वक्त चीन की सेना किसी विदेशी धरती पर सैन्य ऑपरेशन चला सकती है।
उल्लेखनीय है चीन ने यह कदम सोलोमन द्वीप के साथ हुए उसके रक्षा करार के फौरन बाद आया है। लेकिन इसके साथ ही ताइवान-चीन तकरार पर बराबर नजर रखने वाले विशेषज्ञ सचेत हो गए हैं क्योंकि अब चीन के ताइवान के प्रति आक्रामक पैंतरे और मारक होने का अंदेशा है। लेकिन इसके मद्देनजर यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि स्वाभिमानी ताइवान भी चीन से दो-दो करने के लिए अपनी फौजी सामर्थ्य लगातार बढ़ा रहा है।
चीन की सरकारी मीडिया एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, विशेष सैन्य अभियानों का यह कानून मुख्यत: बुनियादी सिद्धांतों, संगठन तथा कमांड, ऑपरेशन, ऑपरेशन के दौरान सहायता, राजनीतिक समर्थन तथा सैनिकों के इन आदेशों के क्रियान्वित करने को नियंत्रित करता है।
छह अध्यायों के इस दस्तावेज के घोषित उद्देश्यों में से प्रमुख हैं, राष्ट्रीय संप्रभुता कायम रखना, क्षेत्रीय स्थिरता तथा सैन्य संगठन को सुचारु करना तथा गैर-युद्धक सैन्य अभियानों को क्रियान्वित करना। इस संबंध में ‘आईजे रिपोर्टिका’ की रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य कार्रवाई के खतरे के कूटनीतिक हल तलाशने के आह्वान के बाद ही चीन का यह कानून सामने आया है।
जेलेंस्की ने हाल में सिंगापुर में संपन्न शंगरी-ला संवाद को संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया को किसी भी समाधान करने वाली कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। दूसरी ओर, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने चेतावनी दी है कि पूर्वी एशिया में भी जल्दी ही यूक्रेन जैसे हालात बन सकते हैं।
टिप्पणियाँ