अब विदेशों की तर्ज पर भारत में भी खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाया जाएगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। उनका मकसद ऐसा मॉडल विकसित करना है, जिसका फायदा छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों को भी मिल सके, जो तकनीक आज भी उनकी पहुंच से बाहर है।
पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हरियाणा सरकार, राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एससीएसएसआर), नई दिल्ली, द्वारा खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को बेहतर करने में नई-नई तकनीक के योगदान पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें भाग लेने आए आईआईटी मद्रास के एनालिटिक्स सेंटर के प्रोफेसर महेश पंचाग्नुला व प्रोफेसर नंदन ने बताया कि तकनीक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने में अहम योगदान दे रही है। अकसर देखने में आता है कि बड़े खिलाड़ी अभ्यास के लिए विदेश जाते हैं और विदेशों में कोचिंग लेते हैं। इसकी बड़ी वजह वहां उपलब्ध खेलों से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस है। जिसका इस्तेमाल करके खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को और बेहतर किया जाता है। यह सब अब भारत में हमारे खिलाड़ियों के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए आईआईटी मद्रास की टीम काम कर रही है।
इन तीन मकसद से काम कर रही एनालिटिक्स सेंटर की टीम
प्रोफेसर महेश पंचाग्नुला ने बताया कि एनालिटिक्स सेंटर, आईआईटी मद्रास की टीम तीन मकसद लेकर कार्य कर रही है। पहला, एथलीट के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम का इंतजाम करना है, जिसमें वह आसानी से तकनीक के माध्यम से अपनी योग्यता को पहचान सके और कमियों को दूर कर सके। दूसरा, एथलीट की परफॉर्मेंस को विज्ञान व एआई के माध्यम से बढ़ाना है। इसके लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले छह महीने से एक साल के अंदर तैयार हो जाएगा। इसके अतिरिक्त खेलों से जुड़ी नई-नई तकनीक के लिए नए-नए स्टार्टअप को बढ़ावा देना और ऐसा तंत्र बनाना है, जिससे यह तकनीक सस्ती हो और आम पहुंच के अंदर उपलब्ध हो जाए। इससे छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ी भी इस तकनीक का फायदा उठा सके।
5 प्रोफेसर और एक सीईओ की टीम लगी काम में
प्रोफेसर महेश पंचाग्नुला ने बताया कि इस कार्य में आईआईटी मद्रास के 5 प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। इनके साथ एक सीईओ भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीम ऐसे मॉडल विकसित कर रही है, जिससे खिलाड़ी के बॉयो मार्कर और परफॉर्मेंस मॉर्कर के आधार पर खिलाड़ी की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके अतिरिक्त उनका मकसद खिलाड़ियों की खेल के दौरान लगने वाली चोट को भी कम करना है ताकि इससे खेलों में कम से कम ड्रॉप आउट हों।
पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे एक छत के नीचे
राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र के निदेशक ब्रिगेडियर विभु कल्याण नायक ने कहा कि हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में एक छत के नीचे पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी इक्टठा हुए हैं। इसमें अंजु बॉबी जॉर्ज और डॉ. अजय कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने खिलाड़ियों को बताया कि किस तरह उन्हें खेलों के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा और भविष्य में दूसरे खिलाड़ी कैसे अपने खेल में और ज्यादा सुधार कर सकते हैं। विभु कल्याण ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 300 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत खिलाड़ियों की खेलों के दौरान लगने वाली चोट व उनकी परफॉर्मेंस को बढ़ाने के संबंध में शोध कार्य किए जा रहे हैं।
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