प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे में सिखों की हत्या की गई थी। उस दंगे में उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में 127 सिखों की हत्या की गई थी। इस प्रकरण की फिर से जांच करने के लिए प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने दंगे के अभियुक्त सफीउल्लाह, विजय नारायण, बब्बन बाबा और अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया है। 60 से अधिक अभियुक्तों की पहचान की जा चुकी है। जल्द ही अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जाएगा।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी। उसके बाद हिन्दुस्थान में दंगे हुए थे। इस दंगे में सिखों के घरों को सरेआम लूटा गया था। निर्दोष सिखों की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी क्योंकि इंदिरा गांधी की हत्या जिन लोगों ने की थी वो लोग सिख थे। दंगों के बाद 19 नवंबर 1984 को एक सभा को संबोधित करते हुए राजीव गांधी ने कहा था, ‘जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी तब हमारे देश में कुछ दंगे–फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता क्रोधित हो उठी थी। कुछ दिन के लिए लोगों को ऐसा महसूस हुआ था कि भारत हिल रहा है। जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।’
यह कड़वी सचाई है पूरे देश के निर्दोष सिख परिवारों को दंगों का शिकार होना पडा था। ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया था ताकि पूरे देश में भय व्याप्त हो। सन 84 के दंगे, कांग्रेस पार्टी के लिए दाग की तरह है जिससे वह कभी मुक्त नहीं हो पाई। राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार सन 84 के दंगे के आरोपी बनाए गए। दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सज्जन कुमार को दंगे का दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सज्जन कुमार को दिल्ली के कैंट इलाके में आपराधिक षड्यंत्र रचने और दंगा भड़काने का दोषी माना गया। कांग्रेस के एक और बड़े नेता जगदीश टाइटलर पर भी दंगा भड़काने के आरोप लगा। उन पर गुरुद्वारा के सामने 3 सिखों की हत्या करने का आरोप लगा था।
सिख दंगों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी माफी मांग चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है। इन दंगों की तपिश को आज तक सिख महसूस करते हैं।’
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