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भारत-रूस मिलकर बनाएंगे ब्रह्मोस एयरोस्पेस हाइपरसोनिक मिसाइल

- भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर शुरू किया गया 'सिल्वर जुबली ईयर' समारोह। 'रजत जयंती वर्ष' समारोह 12 फरवरी, 2023 को 'ब्रह्मोस स्थापना दिवस' पर समाप्त होगा

by WEB DESK
Jun 14, 2022, 12:37 am IST
in भारत, रक्षा, दिल्ली
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भारत-रूस संयुक्त उद्यम अगले पांच-छह साल में ब्रह्मोस एयरोस्पेस हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सक्षम होगा। दोनों देशों ने अत्याधुनिक सैन्य साझेदारी कार्यक्रमों में से एक अविश्वसनीय यात्रा को चिह्नित करने के लिए दुनिया की सबसे शक्तिशाली आधुनिक सटीक स्ट्राइक ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन किया है। भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने सोमवार को ‘सिल्वर जुबली ईयर’ समारोह की शुरुआत की है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी अतुल राणे सोमवार को ‘सिल्वर जुबली ईयर’ समारोह की शुरुआत के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत-रूस रक्षा संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में सक्षम है। अगले पांच से छह साल में भारत और रूस मिलकर अपनी पहली ऐसी मिसाइल बनाने में सक्षम होंगे। ब्रह्मोस मिसाइल के पहले सुपरसोनिक लॉन्च के 21 गौरवशाली वर्षों को चिह्नित करने के लिए शुरू हुआ ‘रजत जयंती वर्ष’ समारोह 12 फरवरी, 2023 को ‘ब्रह्मोस स्थापना दिवस’ पर समाप्त होगा।

उन्होंने कहा कि ‘सिल्वर जुबली ईयर’ समारोह के दौरान कई प्रमुख कार्यक्रमों, सम्मेलनों और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की योजना बनाई गई है। इस दौरान देश के भीतर मिसाइल निर्माण उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में संयुक्त उद्यम के प्रमुख उद्योग भागीदारों के अमूल्य योगदान को उजागर किया जायेगा। इसके अलावा, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली का संचालन करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान और व्यावसायिकता को स्वीकार करने के लिए एक यूजर इंटरेक्शन मीटिंग भी होगी।

ब्रह्मोस स्थापना दिवस पर मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवा प्रतिभाओं को उन्मुख करने के उद्देश्य से मिसाइलों और एयरोस्पेस क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित की जानी है। रजत जयंती वर्ष समारोह के हिस्से के रूप में कंपनी ने पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण से संबंधित कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड का एक हिस्सा खर्च करने की घोषणा की है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अपनी शानदार यात्रा के दो दशकों में कई उपलब्धियां हासिल करने के साथ ही ऐतिहासिक मील के पत्थर स्थापित किए हैं।

एमडी अतुल राणे ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी यात्रा के अगले चरण के लिए संयुक्त उद्यम ने यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) के हिस्से के रूप में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में नए अत्याधुनिक ब्रह्मोस निर्माण केंद्र पर काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 जून को यूपीडीआईसी के तहत सभी प्रमुख औद्योगिक परियोजनाओं की शुरुआत करने के लिए ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह किया। यहां ब्रह्मोस की अत्यधिक उन्नत अगली पीढ़ी (एनजी) हथियार प्रणाली का डिजाइन, विकास और उत्पादन किये जाने की योजना है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस को 300 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ नए विनिर्माण केंद्र की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश में लगभग 80 हेक्टेयर भूमि दी गई है। कंपनी की योजना 2024 के मध्य तक नई सुविधा शुरू करके हर साल 80-100 ब्रह्मोस सिस्टम का उत्पादन करने की है। यह केंद्र अगले तीन से पांच वर्षों में बड़े पैमाने पर ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का उत्पादन करने के लिए तैयार हो जाएगा। यह भारत को दुनिया के शीर्ष-रैंकिंग रक्षा प्रौद्योगिकी केंद्रों में से एक केंद्र के रूप में भी स्थान देगा। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय नौसेना 2005 से, भारतीय सेना 2007 से और भारतीय वायु सेना 2020 से कर रही है।

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