नूपुर शर्मा के बयान पर इस्लामी कट्टरपंथी भारत और विदेशों में उत्पात मचाए हुए हैं। भारत के अनेक राज्यों में पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं करवाई जा रही हैं। कई स्थानों पर हिंसक मजहबी उन्मादियों ने सुरक्षाबलों को अपनी सुनियोजित हिंसा का निशाना बनाया है। ऐसी घटनाओं के संदर्भ में बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने दो ट्वीट करके मुसलमानों को इस तरह की हिंसा—उपद्रव से बाज आने को कहा है।
तसलीमा नसरीन ने नूपुर शर्मा मामले के संदर्भ में भारत के मुसलमानों को हिदायत दी है। तसलीमा ने एक ट्वीट करके कहा है कि ‘अगर पैगंबर जिंदा होते तो ये पागलपन देखकर चौंक जाते’।
तसलीमा ने एक के बाद एक ट्वीट करके इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि “अगर पैगंबर मोहम्मद आज जिंदा होते तो दुनियाभर के मुस्लिम कट्टरपंथियों का पागलपन देखकर दंग रह गए होते।”
एक अन्य ट्वीट में निर्वासित जीवन जीने को मजबूर कर दी गईं इस बांग्लादेशी लेखिका ने लिखा- “आलोचना से ऊपर कोई नहीं, कोई इंसान नहीं, कोई संत नहीं, कोई मसीहा नहीं, कोई पैगंबर नहीं, कोई भगवान नहीं। दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए आलोचना तो जरूरी है।”
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की वही लेखिका हैं जिनकी पुस्तक ‘लज्जा’ को दुनियाभर के कठमुल्लों ने निशाने पर लिया था। तसलीमा की जान को खतरा खड़ा हो गया था और करीब 30 साल से वे निर्वासित जीवन जी रही हैं। मजहबी उन्मादियों ने उन पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप लगाया था। 1994 में हालात यहां तक बिगड़ चुके थे कि उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। फिलहाल वे स्वीडन में रहती हैं। बांग्लादेश में आज भी उनकी वापसी संभव नहीं है।
टिप्पणियाँ