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रांची को कराची बनाने की साजिश में जुटे कट्टरपंथी

अचानक कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने पूरे रांची मुख्य बाजार को अपने कब्जे में लेकर पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया। आसपास के मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर भी कट्टरपंथियों ने पथराव करना शुरू कर दिया। कट्टरपंथियों की हरकत से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रांची को भी कराची बनाने की कोशिश की जा रही है।

by रितेश कश्यप
Jun 11, 2022, 08:26 pm IST
in भारत, झारखण्‍ड
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झारखंड में 10 जून शुक्रवार के दिन जुम्मे की नमाज के बाद अचानक कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने पूरे रांची मुख्य बाजार को अपने कब्जे में लेकर पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया। आसपास के मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर भी कट्टरपंथियों ने पथराव करना शुरू कर दिया। इस पथराव में कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें दो लोगों की मौत और कई लोगों के घायल होने की सूचना है। लोगों का कहना है कि इन कट्टरपंथियों की हरकत से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रांची को भी कराची बनाने की कोशिश की जा रही है।

 

भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ पूरे देश भर में प्रदर्शन किया जा रहा है। हालांकि भाजपा ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को उनके द्वारा दिए गए वक्तव्यों के बाद निलंबित कर दिया है और अब दोनों ने माफ़ी भी मांग ली है। उसके बाद भी देश में कुछ लोग लगातार भड़काने का काम किये जा रहे हैं। इसी क्रम में झारखंड की राजधानी रांची के मुख्य बाजार स्थित इकरा मस्जिद के पास 10 जून शुक्रवार के दिन जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए सैकड़ों मुसलमान इकट्ठे हुए थे। नमाज पढ़ने के बाद अचानक भीड़ बेकाबू हो गई और आसपास के क्षेत्रों में पथराव करना शुरू कर दिया। इस पथराव में मेन रोड स्थित बजरंगबली के मंदिर और आसपास के हिन्दू घरों को भी निशाना बनाया गया। पत्थरबाजी के दौरान दिल्ली मार्केट के थाना प्रभारी अवधेश ठाकुर, कोतवाली थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। बेकाबू भीड़ को देखते हुए पुलिस की ओर से अतिरिक्त बल मंगवाया गया और उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोली भी चलानी पड़ी। उपद्रवियों के पथराव और पुलिस की गोली से कई लोग घायल हो गए जिन्हें बाद में रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। रिम्स अस्पताल के प्रशासन की ओर से दो लोगों की मौत की पुष्टि की गई है। मरने वाले दोनों युवकों के नाम मुदस्सिर आलम उर्फ कैफ़ी, उम्र 22 वर्ष है और मोहम्मद साहिल, उम्र 24 वर्ष का है।

हालांकि इस घटना के बाद रांची के 12 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लगा दी गई है और हर चौक चराहे पर पुलिस तैनात है। इसके साथ ही रांची में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। इस घटना के बाद प्रदेश के पलामू, गढ़वा, लातेहार, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। पुलिस चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए है।

 

हिन्दू नेता भैरव सिंह के घर पर भी हुआ पथराव !

रांची के अंदर उत्पात मचा रहे उपद्रवियों ने कई हिंदू घरों को भी अपना निशाना बनाया। इसी क्रम में हिंदपीढ़ी के रहने वाले हिन्दू नेता भैरव सिंह ने भी झारखंड के अपर पुलिस आयुक्त को सोशल मीडिया के माध्यम अपनी जान बचाने की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि उनके घर में 1 घंटे से ज्यादा समय तक पत्थरबाजी होती रही और उनके मुख्य द्वार को तोड़ने का भी प्रयास किया गया। इसके साथ ही कट्टरपंथियों की ओर से खुलेआम भैरव और उनके समस्त परिवार को जान से मार देने धमकियां दी जा रही हैं।

पीएफआई की हो सकती है भूमिका !

इस पूरे मामले में झारखंड पुलिस को संदेह है कि रांची को दंगों की आग में झुलसाने में पीएफआई की भी भूमिका हो सकती है। इसके पीछे यह कारण है कि इसी तरह के उपद्रव पहले भी झारखंड की कई जगहों पर हो चुके हैं। हालांकि पुलिस को इससे संबंधित कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है। इसके साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को यह सूचना मिली है कि राजधानी के हिंदपीढ़ी इलाके में पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश से कुछ संदिग्ध लोग आकर ठहरे हुए थे।ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं लोगों ने हिंदपीढ़ी के मुसलमानों को हिंसा के लिए भड़काया ।

आपको यह भी बता दें कि इस पत्थरबाजी में रांची के नहीं बल्कि झारखंड के अन्य जिलों के भी मुसलमान शामिल थे। इसकी जानकारी तब हुई जब वो लोग घायल अवस्था में रांची के रिम्स अस्पताल पहुंचे थे। इस मामले पर पुलिस ने कई अज्ञात लोगों पर भी मामले दर्ज किये हैं। कुल मिलाकर देखने वाली बात यह है कि भड़काने वाले लोग कोई भी हो, वे लोग अपने इरादे में सफल तो हो गए लेकिन ऐसे समय पर पुलिस और राज्य का खुफिया तंत्र विफल होता नजर आ रहा है।

इधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रांची हिंसा के 24 घंटे के बाद भी एक भी उपद्रवी की गिरफ्तारी नहीं होने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अखबारों और टीवी चैनलों में उपद्रवियों की तस्वीरें आ रही हैं लेकिन जिला प्रशासन और रांची पुलिस एक भी आरोपी का शिनाख्त नहीं कर पाई है। उन्होंने पूछा है कि उपद्रवियों के साथ सख्ती के बदले नरमी किसके दबाव में किया जा रहा है?

 

राँची हिंसा के 24 घंटे के बाद भी एक भी उपद्रवी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

अखबारों, टीवी चैनलों में उपद्रवियों की हाई डेफिनेशन की तस्वीरें और फुटेज चल रही है।

जिला प्रशासन और @ranchipolice एक भी आरोपी की शिनाख्त नहीं कर पाई?
उपद्रवियों के साथ सख्ती के बदल ये नरमी किसके दबाव में?

— Babulal Marandi (@yourBabulal) June 11, 2022

आपको बता दें कि जब से झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनी है तब से उसपर तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं। लोगों का कहना है कि देश के अलग-अलग जगहों पर उपद्रवियों ने उपद्रव मचाने की कोशिश की है और वहां पर उन पर कड़ी कार्रवाई भी की गई है। झारखंड में इतना सब कुछ होने के बाद भी अब तक पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है, यह तुष्टीकरण नहीं तो और क्या है?

इस पूरे प्रकरण में आग में घी डालने का काम जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी भी कर रहे हैं। उन्हें घायल पुलिसकर्मियों से ज्यादा चिंता उन उपद्रवियों की है जिन्होंने पूरे रांची में भय का माहौल बना दिया। इरफान अंसारी तो हेमंत सोरेन से ही यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का निर्देश क्यों दिया गया? उन्होंने रांची की इस घटना पर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सिटी एसपी नफरत और भेदभाव के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से उपद्रवियों की मौत पर 50 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की है।

मैं मृतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ और माननीय मुख्यमंत्री से मृतक परिवार के लिए सरकारी नौकरी के साथ-साथ 50 लाख मुआवज़ा की माँग करता हूँ।
3/3@HemantSorenJMM @JharkhandCMO

— Dr. Irfan Ansari (@IrfanAnsariMLA) June 10, 2022

घटना के कई वायरल विडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उपद्रवी पत्थरबाजी कर रहे हैं और पुलिसकर्मी अपनी जान की गुहार लगा रहे हैं, उसके बाद भी कांग्रेस के नेता उन्ही उपद्रवियों की पैरवी कर रहे हैं। अब आपको समझ में आ चुका होगा झारखंड में उपद्रवियों का मनोबल क्यों बढ़ा हुआ है। जब संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग उपद्रवियों का ही साथ देंगे तो उस राज्य का भगवान् ही मालिक है।

अब देखना यह है कि राज्य की हेमंत सरकार इन कट्टरपंथियों का साथ देती है या फिर अपने पुलिस प्रशासन का !

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