इन दिनों नुपुर शर्मा को लेकर बहुत विवाद चल रहा है और ऐसा लग रहा है कि कहीं न कहीं यह विवाद अभी और लंबा चलेगा। परन्तु नुपुर शर्मा को लेकर सिर तन से जुदा का नारा लगाने वाले लोग अदालत में क्यों नहीं जा रहे हैं और क्यों वह उन मौलवियों के खिलाफ सड़कों पर उतरते हैं जो उनकी औरतों को एक सेक्स मशीन के अतिरिक्त कुछ नहीं समझते हैं।
एक वीडियो मौलाना जर्जिस अंसारी का वायरल हो रहा है, जिसमें वह मुस्लिम औरतों को यह सलाह दे रहा है कि अगर किसी औरत का शौहर उसके साथ तब भी जिस्मानी सम्बन्ध बनाने की बात करता है, जब औरत ऊँट पर बैठी हो।
https://twitter.com/UseUrDemons/status/1534016590701678592?
अब ऊँट पर क्यों बैठना है, यह भी जान लीजिये! यह भी मौलाना बता रहे हैं। मौलाना ने कहा कि ऊंटनी पर भी बैठी हो औरत तो भी वह मना नहीं कर सकती। ऊँट पर अरब में औरतों को क्यों बैठाया जाता था? दरअसल ऊंटनी के ऊपर बैठने का अर्थ है, औरत की गर्भावस्था का वह समय जब बच्चा एकदम बाहर आने को है और प्रसव सरलता पूर्वक हो जाए। इसी कारण गर्भावस्था के अंतिम दिनों में औरत को ऊंटनी पर अरब में बैठाया जाता था। तो मौलाना का कहना था कि अगर औरत अपनी गर्भावस्था की उस स्थिति में भी है, कि उसे ऊंटनी पर बैठाया गया है अर्थात उसकी डिलीवरी का समय भी निकट है और उस समय भी उसका शौहर यह कहता है कि वह जिस्मानी ताल्लुक करना चाहता है तो भी वह इंकार नहीं कर सकती है।
मगर क्या यही एक मौलाना है, जो ऐसी बात कर रहे हैं? या फिर और भी ऐसी बातें कहीं गयी हैं? twitter पर सर्च करने पर और भी ऐसे वीडियो मिले जिनमें हूबहू यही बात कही गयी थी।
अंग्रेजी में भी इसी बात को कहे जाने का वीडियो एक यूजर ने साझा किया:
Even if she is riding a Camel… pic.twitter.com/LPtm81q5xv
— TheWhiskyPriest24 (@ParetoSimplifed) April 28, 2022
अब जब यह एक-दो नहीं कई प्रमाणों से प्राप्त हुआ है तो भी, औरतों के साथ होने वाली इसी मानसिकता के खिलाफ फेमिनिस्ट बोलना भी पसंद नहीं करती हैं। इस पर लोगों ने इन्टरनेट पर उपलब्ध कुछ ऐसी इस्लामिक सामग्री का उल्लेख किया जो यह स्पष्ट बता रही थीं कि यह कहा गया है। जो मौलवी कह रहा है, वह एकदम सत्य है एवं सन्दर्भ भी वह अपनी ही किताब से दे रहा है।
(2/6) Prophet Muhammad said if it was not forbidden in Islam to worship anyone other than Allah, he would have commanded wife to worship husband. If husband demand sex from wife even though the wife is ridding camel,she should not refuse sex on top of camel (Sunan Ibn Majah 1853) pic.twitter.com/jYXh67qNPY
— Bawali Baba (Arnav Vyas) (@BaawaliBaba) April 28, 2022
अर्थात इस वीडियो के अनुसार औरत किसी भी समय सेक्स के लिए इंकार नहीं कर सकती थी! उसके लिए और कोई मार्ग है ही नहीं, उसे सेक्स के लिए स्वयं को पेश करना ही है, क्योंकि बच्चा पैदा होते समय भी अगर उसके शौहर को तलब लगती है, तब भी वह इंकार नहीं कर सकती.
क्या उस समय किसी भी महिला की शारीरिक स्थिति या मानसिक स्थिति उस समय ऐसी हो सकती है कि वह अपने जिस्म की संतुष्टि के विषय में सोचे या शौहर की संतुष्टि के विषय में या फिर अपने बच्चे के विषय में? यह अजीब सी बात है, जिसका उत्तर कहीं न कहीं उन्हीं औरतों से आना चाहिए, जिनके विषय में इस प्रकार कहा गया है!
वामपंथी फेमिनिज्म इस विषय में भी मौन है
यह बहुत ही हैरानी भरी बात है कि हिन्दुओं के मंदिरों एवं साधुओं की बातों पर शोर मचाने वाली फेमिनिस्ट औरतों ने अभी तक ऐसे वीडियोज के विषय में कुछ नहीं कहा है। वह इन सब मामलों पर चुप हो जाती हैं। वह जैसे नुपुर शर्मा के मामले में चुप है। वामपंथी फेमिनिज्म जो प्रभु श्री राम और कृष्ण को स्त्री विरोधी बताता है, जबकि ऐसी कोई भी बात इन अवतारों ने नहीं कही है, फिर भी वह प्रभु श्री राम और कृष्ण को स्त्री विरोधी बताता है।
उनके लिए वह दृश्य बहुत स्त्री विरोधी है जिसमें विष्णु जी के चरण लक्ष्मी जी दबा रही हैं। वह उस स्वतंत्रता के विषय में बात नहीं करती हैं जो हिन्दू धर्म में स्त्रियों को प्रदान की गयी है और वह मौलाना के ऐसे विचारों पर शांत रहती हैं।
उनका एक भी ट्वीट या विरोध एक भी ऐसी आयत के बारे में नहीं दिखाई देता है, जो औरतों को आदमियों की खेती बताती हैं। और जो सेक्स के आधार पर औरतों को नीचा दिखाती हैं। उनके लिए घूँघट शोषण का प्रतीक है, जबकि उनके लिए नकाब, और हिजाब और बुर्का मुस्लिम और अलग पहचान का प्रतीक है। वह मजहबी स्वाभिमान का प्रतीक है।
वह माता दुर्गा को वैश्या कहने वालों को क्रांतिकारी कहती हैं, माँ सीता, द्रौपदी आदि स्त्रियों को बार-बार अपमानित करता है और जहाँ पर वास्तव में विरोध की बात आती है, वहां पर वह मौन है!
यह वीडियो जो इतना वायरल हो रहा है, इसका उल्लेख भी वामपंथी फेमिनिज्म नहीं करता है, विरोध की तो बात छोड़ ही दी जाए!
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