महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तीसरे प्रत्याशी धनंजय महादिक ने शिवसेना के संजय पवार को पराजित कर दिया है। इससे सत्तापक्ष मे हड़कंप मचा है। खुला मतदान होने के बावजूद सत्तापक्ष के दस विधायकों ने पाला बदल कर भारतीय जनता पार्टी को मतदान किया है। विधान परिषद के चुनाव दस दिन के बाद हैं जिसमें गुप्त मतदान होगा। भारतीय जनता पार्टी ने अपने विधायकों की संख्या के अनुपात में एक प्रत्याशी उतारा है और एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया है। ठाकरे सरकार के प्रति मतदाताओं के साथ साथ विधायकों में भी बढ़ती नाराजगी प्रकट होने से सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लगा है। महाविकास आघाड़ी के अंदरूनी विवाद अब तेज होकर प्रकट होने की संभावना है।
महाराष्ट्र से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव हुए। सत्तापक्ष का दावा था कि उनके पास 4 सांसद चुनने के लिए पर्याप्त संख्या है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी द्वारा तीन प्रत्याशी मैदान में उतारने से चुनाव दिलचस्प बन गया था। चुनाव परिणाम निकले हैं उसमें भाजपा को सफलता मिली है। संख्या के अनुसार कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल और शिवसेना के संजय राऊत अपना कोटा पूरा करके चुने गए। भाजपा के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और डॉ. संजय बोंडे दोनों कोटा से कई ज्यादा 48 वोट लेकर चुने गए। शिवसेना के दूसरे प्रत्याशी संजय पवार को पहली पसंद के 33 वोट मिले और भाजपा के धनंजय महादिक को 27 वोट मिले. सत्तापक्ष को समर्थन देनेवाले विधायकों में दस विधायकों ने पहली पसंद के वोट भाजपा को दिए। भाजपा और समर्थक विधायकों की संख्या 113 होने के बावजूद पहली पसंद के 123 वोट मिले। दूसरी पसंद के वोट गिने गए तो महादिक 41 का कोटा पूरा कर चुन लिए गए जबकि संजय पवार को 39 वोट मिले।
राज्यसभा चुनाव के इस परिणाम के कारण सत्तारूढ महाविकास आघाड़ी में हड़कंप मचा है। महाविकास आघाड़ी के घटक दल एक दूसरे पर संदेह करने लगे हैं। कांग्रेस ने कोटे से ज्यादा तीन वोट अपने प्रत्याशी को दिए और एनसीपी ने दो वोट अपने प्रत्याशी को ज्दाया दिए। शरद पवार ने सफाई दी कि एक वोट उन्हें भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय ने दिया है। यह सफाई ज्यादा संदेह पैदा करने वाली है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत ने सरकार को समर्थन देने वाले बहुजन विकास आघाड़ी के तीन और सात निर्दलीय विधायकों पर बागी होने की आशंका प्रकट की। इसके कारण वे निर्दलीय विधायक पलट कर राऊत पर जवाबी हमला कर रहे हैं। इस अंतर्विरोध के चलते महाविकास आघाड़ी को गंभीर चुनौती का सामना करने की नौबत आ सकती है। दस दिन बाद विधान परिषद के 10 विधायक चुनने के लिए फिर से चुनाव हैं। इसमें भी भाजपा ने संख्या के अनुपात में एक अतिरिक्त प्रत्याशी मैदान में उतारा है।
महाविकास आघाड़ी सरकार ने ढाई साल पूरे कर लिए हैं। इस सरकार के बारे में आम लोगों में काफी नाराजगी है। इस नाराजगी के चलते सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों में बेचैनी है। इस बेचैनी को मतदान में प्रकट करने का मौका मिलते ही दस विधायकों ने भाजपा को वोट देकर हंगामा कर डाला।
चुनाव के मतदान के पश्चात महाराष्ट्र में हाई होल्टेज ड्रामा देखने को मिला। भाजपा ने कांग्रेस की मंत्री यशोमति ठाकुर और एनसीपी के मंत्री जितेंद्र आव्हाड और शिवसेना के विधायक सुहास कांदे इनका मतदान रद्द करने की मांग की। महाविकास आघाड़ी की ओर से भाजपा के नेता सुधीर मुनगुंटीवार और निर्दलीय विधायक रवि राणा इनके वोट रद्द करने की मांग की। यह मामला केंद्रीय चुनाव आयोग तक गया। मतों की गिनती 9 घंटे तक रुकी रही। केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुहास कांदे का वोट रद्द किया और अन्य चार वोट वैध करार दिए।
शरद पवार ने भाजपा की सफलता को फडणवीस के रणनीति की सफलता करार दिया है। इस चुनाव परिणाम का सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं होगा, ऐसा पवार का कहना है।
विधानपरिषद को गुप्त मतदान होने के कारण और उलटफेर होने की संभावना से सत्तापक्ष में हड़बड़ी है। भाजपा ने विधानपरिषद के चुनाव की दृष्टि से घेराबंदी करना शुरू किया है। भाजपा का एक ज्यादा प्रत्याशी और एक भाजपा समर्थित निर्दलीय को विजयी करने के लिए भाजपा के रणनीतिकार अभी से रणनीति के अनुसार काम कर रहे हैं।
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