अमेरिकी संसद की जांच समिति ने यह रिपोर्ट पेश करके अमेरिका के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है कि गत वर्ष 6 जनवरी को अमेरिकी संसद भवन कैपिटाल हिल पर हुए हिंसक हमले के पीछे तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जिम्मेदार थे। यह समिति अमेरिकी राजनीति के इतिहास में हुई उसी ऐतिहासिक हिंसक घटना की जांच के लिए गठित की गई थी।
इसी समिति ने तमाम जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। उसने सीधे सीधे तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रम्प को उक्त घटना का जिम्मेदार कहा है। जांच समिति का कहना है कि संसद भवन पर वह हिंसक हमला शायद तख्तापलट की कोशिश में किया गया था, क्योंकि ट्रम्प 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में हार गए थे और चाहते थे कि चुनाव के नतीजे किसी तरह बदल दिए जाएं।
इस मामले की जांच करने वाली इस समिति ने इस दौरान की गई सुनवाई का खुलासा करते हुए बताया है कि ट्रंप चुनाव में घपला होने की बातें उड़ा रहे थे और बार—बार झूठ बोल रहे थे। वह हमला जो बाइडेन की जीत में बाधा डालने की खुलेआम कोशिश का नतीजा था। बेशक, वह हमला अमेरिका के लोकतंत्र पर आंच लाने की कोशिश के तौर पर देखा गया था। जांच समिति ने सुनवाई के दौरान कई वीडियो रिकॉर्ड किए और रिपोर्ट के साथ वे जारी भी किए हैं।
समिति की सुनावाई में डेमोक्रेटिक सांसद और समिति के अध्यक्ष बेनी थॉमसन का कहना था, ‘6 जनवरी तख्तापलट की उस कोशिश का आखिरी दिन था। वह बेशर्म कोशिश दंगाइयों ने 6 जनवरी को तख्तापलट करने के लिए की थी।’ उनका साफ कहना है कि वह दंगा कोई अचानक हुआ हादसा नहीं था।
थॉमसन का यह भी कहना है कि इस सुनवाई से अमेरिकियों की कैपिटल हिल पर हुए हमले को लेकर राय नहीं बदलने वाली, लेकिन समिति की जांच का मकसद है इसे सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज करना। अमेरिका में मध्यावधि चुनाव से पहले और ट्रंप की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताने के बीच समिति की अंतिम रिपोर्ट का मकसद है 1814 से अब तक कैपिटल हिल पर हुए बेहद हिंसक हमलों का पूरा ब्योरा तैयार करना और साथ ही यह भी पक्का करना कि ऐसे हमले फिर न दोहराए जाएं।
समिति के सामने रखे गए रिकार्ड सार्वजनिक किए गए, इनमें ये देखने में आया कि कैसे ट्रंप चुनाव में धांधली होने के अपने दावे पर आमादा थे। इतना ही नहीं, 6 जनवरी 2020 को उनके समर्थक उस वक्त कैपिटल हिल के सामने इकट्ठे थे, जिस वक्त संसद चुनाव नतीजों पर मुहर लगाने जा रही थी। यह सब तब हो रहा था जब ट्रंप के आसपास वाले उन्हें बता रहे थे कि जो बाइडन चुनाव जीत लिया है।
कैपिटल हिल पर जब वह उपद्रव हुआ तब वहां मौजूद पुलिस अधिकारी कैरोलिन एडवर्ड ने अपनी गवाही में कहा कि उस समय ‘युद्ध जैसा नजारा’ था। उसने कहा, ‘यह ऐसा था जैसा फिल्मों में दिखता है। आंखों पर यकीन नहीं आ रहा था। मैं जमीन पर गिर पड़ी थेी और मेरे शरीर से खून रिस रहा था। मैं लोगों के खून की वजह से फिसल गई थी। वह संहार था। अराजकता के हालात थे।’
उल्लेखनीय है कि उस घटना में करीब 100 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इतना ही नहीं, दंगे में और उसके बाद करीब 9 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन अब इसमें दिलचस्प मोड़ आया है क्योंकि ट्रंप अब भी अपने पहले वाले रुख पर कायम हैं। उन्होंने यह जांच रिपोर्ट खारिज कर दी है। उन्होंने तो सोशल मीडिया पर यहां तक कह दिया है कि 6 जनवरी की घटना ‘हमारे देश के इतिहास के महान आंदोलनों में से एक है।
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