बाबा योगेंद्र के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें

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लखनऊ ब्यूरो

राष्ट्रीय सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक पद्मश्री बाबा योगेंद्र भारती जी का निधन हो गया है। संस्कार भारती के संस्थापक के निधन के खबर से प्रदेश भर में शोक की लहर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके निधन पर दुख जताया हैं।

कला के साधकों को एक मंच पर लाने के लिए पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने संस्कार भारती संस्था की स्थापना की थी। योगेन्द्र ने 1942 में लखनऊ में ‘संघ शिक्षा वर्ग’ का प्रशिक्षण लिया था। 1945 में वे प्रचारक बने। उन्होंने गोरखपुर, प्रयाग, बरेली, सीतापुर समेत कई स्थानों पर संघ के लिए कार्य किया। उनका जन्म बस्ती जिले में 7 जनवरी 1924 को हुआ था। चित्रकला में उनको खूब रुचि थी। 1941-42 राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े और नाना जी देखमुख की प्रेरणा से प्रचारक बने।

जीवन कुछ मुख्य बिंदु
कई बड़े प्रदर्शनी निर्माण जिसमे अखण्ड भारत और कश्मीर विभाजन, देश दर्शन ( कानपुर ), 1950 गोरक्षा प्रदर्शनी, कुम्भ मेला गोरक्षा प्रदर्शनी 1952, 1956 में स्वत्रंता संग्राम प्रदर्शनी, 1974 इमरजेंसी की पूरी कहानी टक्कर लेने वालों की प्रदर्शनी, 1979 द्वितीय विश्व हिंदू सम्मेलन में धर्म गंगा प्रदर्शनी, 1997 से 99 के बीच 2500 कलासाधकों को सम्मानित किया।

जीवन में मिले सम्मान
2005-2006 में भाऊराव देवरस सम्मान लखनऊ।
2008 अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार इंदौर।
2018 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री।

बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। बचपन में गांव में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगे। इसके बाद गोरखपुर में पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह प्रचारक बने।

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