नए अध्याय की शुरुआत

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प्रो.  (डॉ.) एम.एम गोयल

हरियाणा औद्योगिक उत्पादन के मामले में देश में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। यह कार, ट्रैक्टर, दोपहिया वाहन, उपकरण, जूते आदि के निर्माण में अग्रणी है। यही नहीं, स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में भी हरियाणा अन्य राज्यों से ऊपर है। राज्य में अभी तक 4,000 से अधिक युवाओं ने स्टार्टअप का पंजीकरण कराया है

हरियाणा को अपनी संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है। अब यह औद्योगिक उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक है, जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय व नीतिगत प्रोत्साहन दे रहा है। बहुआयामी बदलाव के दौर से गुजरकर यह राज्य ज्ञान का प्रमुख केंद्र बनने के साथ तेजी से प्रगति करती सशक्त औद्योगिक क्षमता के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। राज्य का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और 66 प्रतिशत दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बीते वर्षों में राज्य ने आटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर, इंजीनियरिंग, उच्च-प्रौद्योगिकी उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, चमड़ा और वस्त्र के क्षेत्रों में शानदार प्रगति की है। हरियाणा कई उत्पादों जैसे कार, जूते, वैज्ञानिक उपकरण, ट्रैक्टर, दोपहिया वाहन, क्रेन आदि के उत्पादन में अग्रणी है। हरियाणा का तेजी से प्रगति करता शहर गुरुग्राम जो कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कंपनियों की पसंदीदा जगह है, देश की बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) राजधानी के रूप में तेजी से उभर रहा है।

जीडीपी में 15.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
राज्य की भाजपा सरकार के प्रयासों से राज्य की आय में कई गुना वृद्घि हुई है। मौजूदा कीमतों पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए हरियाणा की जीडीपी में 15.8 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान है, जो 2021-22 में 9.8 प्रतिशत थी। इससे पहले वित्त वर्ष 2010 में हरियाणा से उत्पादों का निर्यात 12.06 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2011 में 11.60 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। हरियाणा आटो कंपनियों और आटो कंपोनेंट विनिर्माताओं की पसंदीदा जगह बन गया है। यह देश के कुल वाहन उत्पादन में से दो तिहाई कारों, 50 प्रतिशत ट्रैक्टरों, 60 प्रतिशत मोटरसाइकिलों का उत्पादन करता है। देश में रेफ्रिजरेटर के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत हरियाणा में तैयार होता है।  वित्त वर्ष 2010  में हरियाणा से आटोमोबाइल और आटो कंपोनेंट का निर्यात 1,070.3  मिलियन डॉलर था जो वित्त वर्ष 2011 में 618.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। आईटी निर्यात के मामले में भी हरियाणा अग्रणी राज्यों में से एक है। इसने वित्त वर्ष 2020 में 379.3 मिलियन डॉलर की विद्युत मशीनरी और उपकरणों का उत्पादन किया जो 2021 में 325़.36 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

उद्योगों के लिए विशेष नीतियां
बीते कुछ वर्षों में हरियाणा की अर्थव्यवस्था, खासकर औद्योगिक विकास संबंधी कामकाज में काफी सुधार हुआ है। राज्य में व्यापार के माहौल और कार्य प्रणाली में बेहतरी के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यथासंभव प्रयास किए हैं। इससे हरियाणा केंद्रीय औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा कराई गई ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग-2017 में छठे स्थान से तीसरे पर पहुंच गया था। लेकिन हरियाणा के कानून में निजी कंपनियों को स्थानीय निवासियों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने की शर्त से राज्य की ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ा। 2018 में हरियाणा तीसरे स्थान पर था, जो लुढ़क कर 2019  में 16वें स्थान पर पहुंच गया।
राज्य को आदर्श निवेश केंद्र बनाने के लिए मौजूदा सरकार ने सरकारी प्रक्रियाओं को आसान बनाने, सरकारी हस्तक्षेप कम करने, नीतिगत बदलाव और विभिन्न कारोबार से जुड़ी क्षमताओं के निर्माण जैसे कई कदम उठाए हैं। इस संबंध में उद्योग विभाग ने राज्य को विकास पथ के अगले स्तर तक ले जाने के लिए ‘उद्यम प्रोत्साहन नीति-2015’ (ईपीपी) पेश की है। यह एक शानदार नीति है, जिसमें खास क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क्षेत्र-विशिष्ट नीतियां पेश की हैं। आईटी, आईटी-सक्षम सेवाओं और ईएसडीएम, स्टार्टअप, कृषि व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित नीतियों को पहले ही प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहनों और संतुलित क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखते हुए शुरू किया जा चुका है। मंजूरी की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सरकार ने उद्योगों से संबंधित सेवाओं को एचईपीसी- सिंगल रूफ मैकेनिज्म के साथ एकीकृत किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि 45 दिनों में मंजूरी दे दी जाए।

राज्य में 90 प्रतिशत एमएसएमई
राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक उद्योग एमएसएमई के क्षेत्र में आते हैं। मनोहर लाल सरकार एमएसएमई के विकास को उच्च प्राथमिकता देती है, क्योंकि राज्य के आर्थिक विकास में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। एंटरप्राइज प्रमोशन पॉलिसी-2015 मुख्य रूप से एमएसएमई क्षेत्र के प्रोत्साहन और विकास पर केंद्रित है। हरियाणा एमएसएमई नीति- 2018 का उद्देश्य एमएसएमई से जुड़ी पूरी प्रणाली को मजबूत करना है, जिसमें बुनियादी ढांचा, बाजार, वित्त और प्रौद्योगिकी शामिल हैं।

इसके अलावा, हरियाणा सरकार की एयरोस्पेस और रक्षा नीति-2016 का उद्देश्य राज्य को देश के प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण केंद्र के तौर पर स्थापित करना है, जिससे एशियाई क्षेत्रों के देशों के विमानों की मरम्मत और ओवरहॉलिंग सुविधाओं (एमआरओ) और फिक्स्ड बेस आपरेशन (एफबीओ) के लिए हरियाणा पसंदीदा राज्य बन जाए। हरियाणा खुद को देश के अग्रणी एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित करने की ओर बढ़ रहा है। राज्य में उपयुक्त मान्यता प्राप्त विनिर्माण क्षमता व अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है जो इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की भारत की बेहद अहम आवश्यकता को पूरा करने में सार्थक भूमिका निभा सकता है।

‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ के नारे को बड़ी सफलता बनाने के लिए समाधान दिवस के जरिए सरकारी प्रक्रिया सुलभ बनाई जा रही है, निवेशकों को विभिन्न नियामक सुधारों, सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, नीतियों, प्रमुख प्रोत्साहनों आदि के बारे में बताया जा रहा है और उद्योगपतियों के मुद्दों का भी समाधान किया जा रहा है। उद्योगपतियों ने 171 मुद्दे उठाए हैं, जिनमें से 57 का समाधान पहले ही किया जा चुका है और 85 का समाधान हरियाणा सरकार कर रही है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिक से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने और हरियाणा को देश में शीर्ष निवेश केंद्र बनाने के लिए सरकार बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान कर रही है। इन्हीं समस्त विशेषताओं के कारण राज्य में कैन-पैक, मिंडा कोसी, पैनासोनिक, मदरसन, हुंडई मोटर्स आदि जैसी 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने निवेश किया है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

 

राज्य में निवेश में तेजी लाने के लिए हरियाणा ने 2016 में पहला ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ‘हैपनिंग हरियाणा’ आयोजित किया था, जिसका उद्देश्य राज्य को सबसे पसंदीदा निवेश केंद्र के रूप में पेश करना था। ‘हैपनिंग हरियाणा’ शिखर सम्मेलन को निवेशकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 12 देशों के 160 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें 5.87 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के लगभग 359 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। हरियाणा सरकार ने ‘प्रवासी हरियाणा दिवस’ का भी आयोजन किया, जिसमें दुनिया भर से प्रवासी हरियाणवियों को राज्य में निवेश करने का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से आमंत्रित किया गया था। इस दौरान 20,000 करोड़ रुपये के संभावित निवेश के साथ 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। दुनिया भर के देशों तक पहुंच बनाने में ये कार्यक्रम अहम भूमिका निभा रहे हैं।

राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी पीछे नहीं है। यह कृषि और उद्योगों को समन्वित कर परस्पर तालमेल विकसित करता है, जो आर्थिक समृद्घि के दो स्तंभ हैं। ‘समावेशी विकास’ और खाद्य सुरक्षा’ के दोहरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विकास आवश्यक है। हरियाणा सरकार की कृषि-व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति-2018 से राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को आवश्यक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके अलावा इस नीति के जरिए एक बेहतरीन फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज स्थापित करते हुए संपूर्ण खाद्य मूल्य शृंखला में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान दिया गया है। इससे कृषि और ग्रामीण क्षेत्र समृद्घ होंगे। खाद्य प्रसंस्करण कृषि और उद्योग के बीच का सेतु है। इस नीति का उद्देश्य हरियाणा की ताजा उपज विशेष रूप से फलों, सब्जियों, दूध और मछली को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देकर किसान की आय को दोगुना करना है।

चिंता के बीच उम्मीद की किरण
इन प्रयासों के बाद भी राज्य का औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ है, क्योंकि अन्य कई कारणों से राज्य से लगातार उद्योगों का पलायन हुआ। इसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है। हरियाणा में बेराजगारी के सवाल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हैं कि बेरोजगारी को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। सीएमआइई नामक यह एजेंसी एक साल पुरानी रिपोर्ट में बेरोजगारी का आंकड़ा 10 से 14 प्रतिशत के बीच दिखाती है। अगले वर्ष यह आंकड़ा 32 से 34 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, जो किसी भी रूप में वास्तविकता के नजदीक नहीं है। हरियाणा में श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में बेरोजगारी की दर 8 से 9 प्रतिशत है, जबकि परिवार पहचान पत्र द्वारा घर-घर जाकर बेरोजगारों की पहचान को लेकर किए जा रहे सर्वेक्षण में बेरोजगारी का आंकड़ा 6.5 से 7 प्रतिशत आया है।

मुख्यमंत्री ने युवाओं से उद्योगों के लिए अपने कौशल को विकसित करने का आह्वान किया है। सरकार द्वारा भी युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य में मारुति सुजुकी की तीसरी इकाई की स्थापना औद्योगिक क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत है। यह औद्योगिक विकास में मील का पत्थर तो साबित होगा ही, हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उनका कहना है कि हरियाणा में कई क्षत्रों में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए निवेशक बेझिझक होकर प्रदेश में निवेश कर सकते हैं। विनिर्माण क्षेत्र का हरियाणा की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन जल्द ही राज्य उत्पादन केंद्र के रूप में देश के साथ विदेशों में भी अपनी पहचान कायम करेगा।

संक्षेप में, दूसरे राज्यों के मुकाबले हरियाणा की ओर से प्रदान किए जा रहे बेहतर लाभों के कारण राज्य पिछले एक दशक से स्थिर और लाभदायक निवेश के लिए अनुकूल गंतव्य के रूप में पहचान बना रहा है। राज्य के पास ऐसे कई क्षेत्र हैं जो सुनिश्चित विकास का आश्वासन देते हैं। उनमें लंबे समय तक बरकरार रहने और तेजी से आगे बढ़ने की क्षमता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हरियाणा सरकार कोविड के बाद के परिदृश्य में संभावनाओं से पूर्ण क्षमतावान उद्योगों का समर्थन करने, एमएसएमई को प्रोत्साहित करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है ताकि अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाया जा सके। सरकार की यह कोशिश कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन और आपूर्ति में उपजी बाधाओं के कारण होने वाली अल्पकालिक गड़बड़ियों को दूर करने में बहुत मददगार साबित होगी।

लक्ष्य पहले स्थान पर लाना
मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य में निवेश की असीम संभावनाएं हैं। सरकार प्रदेश में औद्योगिक विकास को तेजी से बढ़ावा दे रही है। राज्य में उद्योगों के लिए उपयुक्त माहौल बनाने के साथ उद्यमियों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इसे देखते हुए देश की बड़ी कंपनियों के साथ विदेशी कंपनियां भी हरियाणा में निवेश के लिए आगे आ रही हैं। सूबे में 28,540 एकड़ भूमि पर 36 औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विकसित की गई हैं। प्रदेश में दो नए औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जा रही है। सोनीपत के खरखौदा में 3200 एकड़ में औद्योगिक टाउनशिप विकसित की जा रही है। इस पर करीब 2000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

इस मॉडल टाउनशिप में करीब 800 एकड़ मारुति और करीब 100 एकड़ सुजुकी दोपहिया वाहन को दी गई है। दोनों कंपनियां जल्द कार्य शुरू करेंगी। इसके लिए 20 मई को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मारुति सुजुकी इंडिया लि. और सुजुकी मोटरसाइकिल इंडिया प्रा.लि. ने हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम, आईएमटी खरखौदा के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, छोटी औद्योगिक इकाइयों को भी 1,000 प्लॉट दिए जा चुके हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार द्वारा औद्योगिक इकाइयों को 15,000 करोड़ रुपये के प्लॉट ई-नीलामी के माध्यम से बेचे गए हैं। इससे पूर्व पानीपत में पेंट उद्योग लगाने के लिए आदित्य बिरला ग्रुप ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि आईएमटी सोहना में बैटरी इकाई लगाई जाएगी। फ्लिपकार्ट मानेसर में सबसे बड़ा वेयरहाउस लगा रहा है। मानेसर में आदर्श औद्योगिक उपनगरी, गुरुग्राम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के उद्योग, डबवाली, नरवाना, राई और साहा में उच्च श्रेणी वाले सुविधाओं से युक्त चार आधुनिक फूड पार्क विकसित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि राज्य में बड़े उद्योगों को स्थापित कर प्रदेश को विकास में पहले स्थान पर लाया जा सकता है। इसी के तहत प्रदेश में उद्योगों के विकास के लिए हवाई अड्डों, रेल और सड़क नेटवर्क, कंटेनर डिपो, सहित औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूत संपर्क उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में उद्योग लगाने के लिए सरकार कम ब्याज पर ऋण सुविधा और अधिक क्षमता वाले डीजल जनरेटर लगाने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (25 लाख रुपये तक) भी दे रही है। इससे गांव के युवाओं को रोजगार के लिए शहरों में नहीं आना पड़ेगा। इस योजना में 1 जनवरी, 2021 से शुरू हुए नए उद्योगों को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत अब तक 40,000 लोगों को अलग-अलग सरकारी योजनाओं तथा ऋण संबंधी योजनाओं के तहत स्वरोजगार तथा रोजगार से जोड़ा गया है। सरकार का लक्ष्य एक लाख परिवारों को इन योजनाओं से जोड़ने का है। सरकार ने हर साल 2 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है।

पर्यटन पर देना होगा जोर
हालांकि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हरियाणा की औद्योगिक विकास संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों के निष्पादन को बेहतर बनाने के लिए पेशेवरों के ज्ञान की मदद से हमेशा अच्छे परिणाम की संभावना बनी रहती है। नौकरी तलाशने वाले के बजाय नौकरी देने वाला बनने के लिए पर्यटन क्षेत्र में उद्यमिता को अपनाना होगा जिसमें रोजगार पैदा होने की असीम संभावनाएं हैं। सभी उद्यमों के लिए कर्मठ और उत्साही लोगों की आवश्यकता होती है जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत के लिए तैयार हों। स्वरोजगार के लिए प्रेरित होने के लिए हमें विनिर्माण के मुकाबले सेवा क्षेत्र पर जोर देना होगा, जिसमें प्रतिस्पर्धात्मक फायदा तो है ही, साथ ही उपभोक्ताओं को सशक्त करने के साथ अनेक अवसर भी मौजूद हैं। इसमें परेशानी कम है, यह सुविधाजनक है, बाजार की स्थितियों के साथ तुरंत तालमेल बिठाया जा सकता है और कम लागत वाली क्लाउड शॉप भी चलायी जा सकती है।

 


स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में अग्रणी

हरियाण स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। राज्य में अभी तक 4,000 से अधिक युवाओं ने स्टार्टअप का पंजीकरण कराया है। यह राजस्थान से दो गुना, पंजाब से 4 गुना, उत्तराखंड से 5 गुना तथा हिमाचल प्रदेश से 14 गुना अधिक है। इसके अलावा, उद्यमों में लगे कर्मियों का डाटाबेस तैयार करने के लिए ‘हरियाणा उद्यम मेमोरेंडम’ पोर्टल पर 8,226 उद्योग पंजीकृत किए गए हैं। 

उद्यमिता तैयार करने के लिए हमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) को एमएनसी में बदलने की जरूरत है जो आनलाइन और आफलाइन मार्केटिंग के लिए एमएसएमई के तहत उत्पादों को ब्रांड-नाम दे सके। हमें उद्यमिता की चुनौतियों के प्रति जागरूक, सतर्क और जाग्रत रहना होगा और जीएसटी और साइबर कानूनों सहित सभी सावधानियों के साथ तेजी से काम करना होगा। हम सभी को राष्ट्रीय हित में स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कर्मठ, जिम्मेदार और पारदर्शी) उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों की भूमिका निभानी होगी। वस्तुओं और सेवाओं के विपणन के लिए अगर जरूरत आधारित, कम कीमत पर उपलब्ध कराने और उपयोगी बनाने के नजरिए से उद्यमिता अपनाई गई, तभी वह लोगों के लाभकारी और समाज के अनुकूल हो सकती है। यही नीडोनमिक्स या नीडो-उद्यमिता कहलाती है।
(लेखक स्टारेक्स विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के कुलपति और नीडोनॉमिक्स स्कूल आफ थॉट के संस्थापक हैं)

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