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सूचना प्रौद्योगिकी : पारदर्शी बनी योजनाएं

मनोहर लाल की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के साढ़े 7 साल के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि

by डॉ. संजय शर्मा
Jun 9, 2022, 02:13 pm IST
in भारत, हरियाणा
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मनोहर लाल की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के साढ़े 7 साल के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अब आम लोगों के सरकारी काम आनलाइन घर बैठे हो जाते हैं। यह सब हुआ है व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने की वजह से

 ‘दिल्ली से 100 पैसा भेजते हैं तो लाभार्थी तक पहुंचते-पहुंचते 84 पैसे रास्ते में ही खत्म हो जाते हैं।’ पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की उक्त बात कांग्रेस राज में चले भयंकर भ्रष्टाचार का ऐसा कबूलनामा है, बाद के कांग्रेस राज में भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं हुई। एक समय ऐसा आया, जब लोगों ने सरकारी भ्रष्टाचार को व्यवहार का नाम देना शुरू कर दिया था। इस व्यवस्था से जूझते हुए देश को 30 साल हो गए थे। भ्रष्टाचार से जूझते लोगों ने 2014 में केंद्र और हरियाणा में सरकारें बदलीं तो चुनी हुई केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों ने अपनी इच्छाशक्ति के दम पर तकनीक के उपयोग से परिस्थितियां भी बदलीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि सरकार और प्रदेश को व्यक्ति केंद्रित नहीं, बल्कि नीति केंद्रित होना चाहिए। हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए सूचना प्रौद्योगिकी को सबसे बड़ा हथियार बनाते हुए पारदर्शिता को लक्ष्य बनाया। जन-धन खातों का मजाक उड़ाने वाले लोग भी मानते हैं कि इन्हीं खातों की वजह से पैसा सीधे जरूरतमंद के खाते में आता है। मनोहर सरकार ने तमाम राजनीतिक जोखिम उठाते हुए नौकरी, ट्रांसफर, ठेके व अन्य सरकारी कार्यों में व्यक्तिगत दखल को कम किया और आईटी को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया।

हरियाणा ‘पॉलिसी ड्रिवन’ स्टेट की तरफ आगे बढ़ रहा है और हर नागरिक को जो कुछ भी सरकार दे रही है, उन्हें 100 प्रतिशत हासिल हो रहा है। एक पारदर्शी सरकार का लक्ष्य यही होना चाहिए। हरियाणा लगातार उसी समानता की तरफ बढ़ रहा है। हरियाणा में क्षेत्रीय भेदभाव या चेहरा देखकर काम करने का चलन खत्म हुआ है। यह भी सत्य है कि कोई जब नई व्यवस्था बनती है तो समाज धीरे-धीरे ही उसे स्वीकार करता है। व्यक्तिगत हस्तक्षेप के लाभार्थी बिचौलिए होते हैं, जो निश्चित तौर पर ऐसी योजनाओं का विरोध करते हैं, पर धीरे-धीरे जब समाज उसे स्वीकार कर लेता है तो बिचौलियों के विरोध का कोई मतलब भी नहीं रह जाता।

हरियाणा में भाजपा सरकार के सात सालों के बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि चंडीगढ़ का चक्कर कटवाने वाली सरकार नहीं है। आईटी के सहारे प्रदेश में ऐसा व्यवस्था बनाई गई है कि आम लोगों के सरकारी काम अब आनलाइन घर बैठे होते हैं। ये सात साल अपने आप में बदलाव की एक कहानी है। 2014 में सचिवालय में काम करवाने वाले लोगों की इतनी भीड़ होती थी, जिससे लगता था, जैसे आधा हरियाणा उठकर चंडीगढ़ पहुंच गया हो। उसी समय मनोहर सरकार ने इस व्यवस्था को आईटी के माध्यम से बदलना शुरू किया और अपने कार्यकाल के 2500 दिनों में ‘राइट टू करप्शन’ से ‘राइट टू सर्विस’ तक का सफर तय किया है।

मनोहर सरकार ने पिछली सरकारों में चले आ रहे ‘लूट के अधिकार’ को खत्म करके, आईटी के माध्यम से ‘राइट टू सर्विस’ को लागू किया। पहले लोगों की आधी जिंदगी पटवारी से लेकर कचहरी और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने में ही निकल जाती थी। अब जमाबंदी हाथों-हाथ होती है, फर्द और इंतकाल हाथों-हाथ होता है और यहां तक कि गिरदावरी भी आनलाइन ही होती है। सरल पोर्टल ने भी आम लोगों की जिंदगी को बहुत सरल बना दिया है। 547 सरकारी सेवाएं अब सरल पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इसके लिए घर बैठे आॅनलाइन आवेदन किया जा सकता है। अब लोगों को चंडीगढ़ आने की जरूरत नहीं। प्रदेश के आखिरी छोर पर बैठा आदमी भी घर बैठे अपने काम की निगरानी कर सकता है।

इतना ही नहीं, 7 सालों में बिचौलिये गायब हुए हैं और दफ्तरों से लंबी लंबी कतार समाप्त हो गई है। एक समय था, जब सरकारी खजाने को लूटने को ताकतवर लोग अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे और व्यवस्था इन्हीं ताकतवर लोगों का समर्थन करती थी। इसलिए लूट के अधिकार की संस्कृति स्थापित हो गई थी। सरल पोर्टल के माध्यम से 547 सेवाओं को आॅनलाइन किया गया और व्यक्तिगत हस्तक्षेप को कम किया गया। भाजपा सरकार ने हरियाणा में फाइलों पर चढ़ावा रखने का प्रचलन खत्म किया है। यही बात नौकरियों पर भी लागू होती है। सरकारी नौकरियां अब राजनीतिक गुलामी से मुक्त हुई हैं।

धीरे-धीरे हरियाणा के लोगों की आदतें बदल रही हैं और वे पुरानी व्यवस्था के मकड़जाल से बाहर निकल रहे हैं और नई व्यवस्था को तेजी से स्वीकार भी कर रहे हैं। आईटी के उपयोग से कितने क्रांतिकारी बदलाव के काम हो सकते हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना काल में दिखा। जब कोरोना की पहली ही लहर आई और सब कुछ बंद हो गया था और सड़कें सुनसान रहती थीं, ऐसे में आईटी आधारित व्यवस्था का प्रयोग करके ही लोगों तक राशन और उनके खाते में सहायता राशि पहुंचाई गई। बुजुर्गों को पेंशन पहुंचाई गई।

एक समय ऐसा भी था, जब सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की हाजिरी नहीं होती थी और लोग धक्के खाते रहते थे। बायोमैट्रिक प्रणाली लाने के बाद अब कर्मचारियों को दफ्तर में बैठना पड़ता है। उन्हें रोज अंगूठा लगाना पड़ता है, दफ्तर जाना भी पड़ता है और काम करना भी पड़ता है। मनोहर सरकार ने पहले दिन से ही आईटी पर जोर इसलिए दिया, क्योंकि भ्रष्टाचार के जहरीले सांप को खत्म करने का यही सबसे कारगर और आटोमेटिक फार्मूला है। लेकिन जब किसी भी व्यवस्था में कोई बुनियादी बदलाव होता है, तो पुरानी व्यवस्था के लाभार्थी उसका विरोध करते ही हैं, यह स्वभाविक है। अब धीरे-धीरे हरियाणा के लोगों की आदतें बदल रही हैं और वे पुरानी व्यवस्था के मकड़जाल से बाहर निकल रहे हैं और नई व्यवस्था को तेजी से स्वीकार भी कर रहे हैं। आईटी के उपयोग से कितने क्रांतिकारी बदलाव के काम हो सकते हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना काल में दिखा। जब कोरोना की पहली ही लहर आई और सब कुछ बंद हो गया था और सड़कें सुनसान रहती थीं, ऐसे में आईटी आधारित व्यवस्था का प्रयोग करके ही लोगों तक राशन और उनके खाते में सहायता राशि पहुंचाई गई। बुजुर्गों को पेंशन पहुंचाई गई।

बुनियादी बदलाव की दिशा में उठाये गए कदम

  •  परिवार पहचान पत्र- परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) मात्र 3 शब्द नहीं हैं, बल्कि योजनाओं को सही लोगों तक पहुंचाने की एक मजबूत योजना है। पहले सही लोगों तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाता था। चुनिंदा लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ लिया करते थे और इन पर जिन लोगों का वास्तविक अधिकार होता है, वे उससे वंचित रह जाते थे? असली हकदार को न्याय और हक दिलाने के लिए यह सबसे कारगर योजना है, जिससे लाभ अब हर हकदार के घर तक पहुंचेगा। परिवार पहचान पत्र की वजह से एक झटके में सारे नकली लाभार्थी बाहर हो जाएंगे और योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
  •  न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)- एमएसपी पर सबसे ज्यादा फसलों की खरीद कर किसानों के खातों में सीधा भुगतान करने में भाजपा सरकार ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश में हरियाणा ही एकमात्र राज्य है, जहां धान और गेंहू के अलावा बाजरा, सूरजमुखी, सरसों और मुंगफली की एमएसपी पर खरीद हो रही है। हरियाणा ने अब तक न सिर्फ सबसे ज्यादा गेंहू की एमएसपी पर खरीद की है, बल्कि किसानों के खातों में सीधे पैसे पहुंचाने का काम किया है। किसान के खाते में देरी से पैसे पहुंचने पर उसे सरकार ने ब्याज सहित पैसे का भुगतान किया है। किसान के साथ-साथ आढ़तियों को भी 450 करोड़ रुपये का ब्याज सहित भुगतान किया गया है।
  •  राशन वितरण की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव- हरियाणा में एक समय ऐसा भी था, जब डिपो पर राशन पहुंचने के अगले 24 घंटे में ही बोर्ड लग जाता था कि राशन समाप्त हो चुका है। कभी भी 100 प्रतिशत हकदार लोगों को उनके हक का राशन नहीं मिल पाता था। आधार कार्ड से राशन व्यवस्था को जोड़ने के बाद डिपो धारक खुद गरीब को फोन करता है कि अपना राशन ले जाओ। यह गरीबों के लिए बहुत बड़ा सम्मान और बदलाव है। कोरोना महामारी की वजह से देश के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। मजबूरन सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने गरीब परिवारों को राशन की कोई कमी नहीं होने दी। पिछले साल की तरह इस साल भी गरीब परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा बीपीएल परिवारों के निजी अस्पताल का खर्च भी सरकार ने ही उठाया। होम आइसोलेशन के लिए भी आर्थिक मदद दी गई।
  •  बुजुर्गों और विधवाओं की पेंशन बढ़ार्ई- मनोहर सरकार ने पिछले दो सालों में बुढ़ापा पेंशन में 500 रुपये की बढ़ोतरी की है। हरियाणा में बुढ़ापा और विधवा पेंशन ढाई हजार रुपये हो गई है, जोकि देश में सबसे ज्यादा है।
  •  पब्लिक सुरक्षा को ध्येय बनाया- राज्य सरकार द्वारा एक टोल फ्री नंबर 112 जारी किया गया। इस पर पुलिस, एंबुलेंस और दमकल सेवा तत्काल पहुंच रही है। एक जमाना ऐसा भी था, जब पुलिस के पास अच्छी गाड़ियां नहीं थीं, जिससे वह समय पर पीड़ित के पास नहीं पहुंच पाती थी। लेकिन अब आधुनिक तकनीक से लैस कॉल सेंटर और सुसज्जित गाड़ियां सुरक्षा में लगाई हैं ताकि 15 मिनट के अंदर पुलिस का सहयोग और सुरक्षा किसी भी जरूरतमंद को हासिल हो जाए।
  • नौकरियों में बेईमानी और भेदभाव खत्म- मिशन मेरिट से सरकार प्रदेश के युवाओं में बड़ा उत्साह भरने में कामयाब हुई है। मानसून सत्र में 78 हजार से ज्यादा नौकरियां हरियाणा के युवाओं को योग्यता के आधार पर दी जा चुकी हैं। मिशन मेरिट को सफल बनाना बहुत कठिन कार्य था, लेकिन सरकार ने इसे किया। इससे पूरे प्रदेश के युवाओं में माहौल बदला है। युवा आज पुस्तकालय में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। अब उन्हें विधायकों के नोहरे और चक्कर नहीं काटने पड़ते। प्रदेश के भविष्य के लिए यह बहुत बड़ा बदलाव है।
  • निजी नौकरियों में आरक्षण- निजी नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 15 प्रतिशत आरक्षण देकर सरकार ने स्थानीय युवाओं की स्थिति को मजबूत किया है। राज्य के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले, इसके लिए सरकार ने निजी क्षेत्र में 50 हजार से कम वेतन वाली नौकरियों में हरियाणा के लोगों को 75 प्रतिशत रोजगार दिया है। इससे प्रदेश के युवाओं को नौकरी के लिए दूसरे प्रदेशों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
  •  वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल- एचएसएससी ने वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल शुरू कर क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं से पहले सिर्फ फॉर्म इसलिए भरवाए जाते थे कि कर्मचारी चयन आयोग की आमदनी बढ़े। नौकरी किस को देनी है, यह तो पहले से ही तय होता था, लेकिन भाजपा सरकार ने एचएसएससी वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल शुरू कर योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों को नौकरियां दीं। यह पोर्टल उन लोगों के लिए है जो ग्रुप सी या डी पदों के लिए आनलाइन आवेदन करना चाहते हैं। सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए एक अलग आम पात्रता परीक्षा आयोजित करने का निर्णय भी इसी सरकार ने लिया। एचएसएससी द्वारा आयोजित इस परीक्षा का परिणाम 3 साल के लिए मान्य होगा, जिससे कि ग्रुप सी और डी की सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के पैसे और वक्त दोनों की बचत का पुख्ता इंतजाम है।
  •  तबादले में भेदभाव खत्म- भाजपा सरकार ने नौकरियों के साथ-साथ तबादले के लिए भी पारदर्शी नियम बनाकर भेदभाव खत्म करने की कोशिश है। नौकरियों की पर्ची के अलावा नेताओं के पास और सचिवालय में सबसे ज्यादा भीड़ मनचाहे तबादले के लिए होती थी। ज्यादातर विभागों में आनलाइन ट्रांसफर की नीति लागू करने की कोशिश की गई। ट्रांसफर्स में भी व्यक्तिगत हस्तक्षेप और भेदभाव बड़े हद तक कम किए गए।
  •  हर क्षेत्र में बढ़ी पिछड़ों और महिलाओं की मौजूदगी। पारदर्शी नीतियों और भेदभाव को खत्म करने से सबसे ज्यादा अगर फायदा किसी वर्ग को मिला है, तो वो है हरियाणा की पिछड़ी जातियां और महिलाएं। महिला कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से देखेंगे, तो हरियाणा पुलिस में भी तो महिलाओं की मौजूदगी बढ़ी है। पंचायती राज व्यवस्था में पिछड़ों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए मजबूत कदम इस सरकार ने उठाए हैं।
  •  पंचायतों में आन लाइन कार्य। पढ़ी-लिखी पंचायतों ने बदली ग्रामीण हरियाणा की तस्वीर। सरकार ने शुरूआत में ही पढ़ी- लिखी पंचायतों की बात की और कड़ा फैसला लिया तो विपक्ष ने उसका जमकर मखौल उड़ाया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मुद्दे पर सरकार की पीठ थपथपाई। अब हरियाणा के गांव-गांव में ग्राम सचिवालय है और वहीं से सारी सेवाएं आनलाइन दी जा रही हैं। पहली बार किसी सरकार ने 60 वर्ष की उम्र पूरी होते ही 10 हजार की पेंशन पत्रकारों के लिए शुरू की। इसके अलावा, पत्रकारों को आयुष्मान भारत योजना के तहत कैशलेस बीमा की सुविधा भाजपा सरकार ने दी है।
    (लेखक हरियाणा भाजपा के मीडिया प्रमुख हैं)

Topics: ‘राइट टू करप्शन’‘राइट टू सर्विस’‘पॉलिसी ड्रिवन’ स्टेटभाजपा सरकार
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