काल को यदि कोई नियंत्रित कर सकता है, तो वह हैं महाकाल। महाकाल की नगरी उज्जैन अब अपने नए रूप में आने को तैयार है। महाकाल मंदिर का प्रांगण सज-धज कर तैयार हो रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगा है। प्रधानमंत्री बहुत जल्द महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद यह प्राचीनतम तीर्थ आधुनिक रूप में सभी के सामने होगा। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री जून में उज्जैन के महाकाल मंदिर विस्तार योजना के प्रथम चरण का उद्घाटन करेंगे। इसको लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी को मई में ही काम पूरा कराने के निर्देश दिया था।
महाकालेश्वर मंदिर का परिसर लगभग 2 हेक्टेयर में फैला हुआ था। इसे बढ़ाकर अब 20 हेक्टेयर के आसपास कर दिया गया है। महाकालेश्वर मंदिर का प्रवेश द्वार काफी भव्य बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक मंदिर परिसर में घूमने और सूक्ष्मता से दर्शन करने में 5 से 6 घंटे का समय लग सकता है। भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कॉरिडोर पर करीब 750 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इनमें से 400 करोड़ से अधिक की राशि लगभग खर्च हो चुकी है।
भगवान शिव के 190 रूपों में होंगे दर्शन
हाल ही में मैंने उज्जैन की यात्रा की। पता चला कि भगवान शिव के 190 अलग-अलग रूप के दर्शन महाकाल कॉरिडोर में होंगे। यहां 190 मूर्तियों में भगवान शिव के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन होंगे। मूल ढांचा बनकर लगभग तैयार हो चुका है। मूर्तियों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। इसके अतिरिक्त शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। मंदिर को तैयार करवाने के लिए राजस्थान, ओडिसा समेत देशभर के अलग-अलग हिस्सों से विशेषज्ञ कारीगरों को बुलवाया गया है। इन लोगों ने मूर्ति निर्माण से लेकर अन्य बारीकी को पत्थरों पर दिखाया है। भगवान शिव से जुड़ी सभी बातों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य किया गया है।
मिलेगा रोजगार
यहां केवल धर्म और आध्यात्म की बात भर नहीं है, बल्कि कॉरिडोर बनने से करीब हजार लोगों से अधिक को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इस परिसर का निर्माण आने वाले 100 वर्ष में आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रखते हुए किया गया है। परिसर में महाकाल कारिडोर, फेसिलिटी सेंटर, सरफेस पार्किंग, महाकाल द्वार का निर्माण कराया जा रहा है।
काशी से करीब तीन गुना बड़ा कॉरिडोर
इस महाकाल कॉरिडोर पर जितना पैसा खर्च होगा, उसमें से 422 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार, 21 करोड़ रुपये मंदिर समिति और बाकी का पैसा केंद्र सरकार ने दिया है। महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत रुद्रसागर तरफ 920 मीटर लंबा कॉरिडार, महाकाल मंदिर प्रवेश द्वार, दुकानों, मूर्तियों का निर्माण सात मार्च 2019 को शुरू हुआ था। गुजरात की एक फर्म इस काम को करवा रही है। महाकाल कॉरिडोर का आकार काशी में बने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से करीब 3 गुना बड़ा है।
उज्जैन नगरी को कभी अवंतिका तो कभी कनकश्रृंगा या कुशस्थली या भोगस्थली या अमरावती जैसे कई नामों से जाना गया। लेकिन इन सभी नामों के बावजूद यह सदैव महाकाल की ही नगरी कहलाई। देश भर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, उनमें से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के रूप में विराजमान हैं। ये दुनिया का एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। माना जाता है कि दक्षिण दिशा मृत्यु यानी काल की दिशा है और काल को वश में करने वाले महाकाल हैं।
महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥
इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर-लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। मान्यता के अनुसार महाकाल पृथ्वी लोक के अधिपति हैं, साथ ही तीनों लोकों के और सम्पूर्ण जगत के अधिष्ठाता भी है। कई धार्मिक ग्रंथों जैसे शास्त्रों और पुराणों में उनका ज़िक्र इस प्रकार किया गया है कि उनसे ही कालखंड, काल सीमा और काल विभाजन जन्म लेता है और उन्हीं से इसका निर्धारण भी होता है। इसका अर्थ ये है कि उज्जैन से ही समय का चक्र चलता है, पूरे ब्रह्माण्ड में सभी चक्र यहीं से चलते हैं। फिर चाहे पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना हो, चंद्रमा का पृथ्वी का चक्कर लगाना, पृथ्वी का सूर्य का चक्कर लगाना हो या फिर आसमान में किसी प्रकार का चक्र हो यह सब क्रियाएं महाकाल को साक्षी मानकर ही होती हैं।
(लेखक पत्रकार हैं।)
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