जम्मू-कश्मीर से गायब हो रहे युवा खुफिया एजेंसियों के सामने नई चुनौती खड़ी कर रहे हैं। खबरों के अनुसार इस साल अब तक लगभग 50 आतंकियों की भर्ती हुई हैं। वहीं तीन दर्जन से ज्यादा युवा गायब हो गए हैं, जिनके आतंकी संगठनों के साथ जुड़ने की आशंका है। हालांकि आतंकियों की भर्ती और स्थानीय युवाओं के गायब की खबरों के बाद सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती से निपटने के लिए सतर्क हो गई हैं। जम्मू—कश्मीर के पुलिस सूत्रों के अनुसार दक्षिण कश्मीर में स्थानीय युवाओं की भर्ती में इजाफा हो रहा है। इस दौरान जो युवा गायब हुए हैं, उनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि परिवार के लोग भी उनके गायब होने की सूचना पुलिस को नहीं देते हैं। इस बात का खुलासा तो तब होता है, जब या तो वे आतंकी संगठन में भर्ती हो जाते हैं या फिर सुरक्षा बलों द्वारा मुठभेड़ में मारे जाते हैं। घाटी के पुलिस अधिकारी चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि स्थानीय युवाओं का आतंकी सगठनों में भर्ती होना चिंता की बात है। मई में जिन 27 आतंकियों को मारा गया था, उनमें से 20 स्थानीय थे। हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास कर ही रही है और युवाओं की आतंकी संगठन में भर्ती रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है।
आतंक को करेंगे नेस्तेनाबूद
आईजीपी कश्मीर विजय कुमार हाल की घटनाओं पर कहते हैं कि घाटी में जो भी आतंक को पालने—पोषने का काम करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम घाटी से आतंक को नेस्तेनाबूद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा जो लोग भी युवाओं को भटकाने की कोशिश करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हम आतंकी संगठन में युवाओं की भर्ती रोकने के लिए कई स्तर पर काम कर रहे हैं। कई जगहों पर मां—बाप ने भी अपने बच्चों को आतंक के रास्ते से वापस लाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
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