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होम भारत झारखण्‍ड

हेमंत, बसंत और उनके करीबियों की बढ़ती ही जा रही है परेशानी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की तकलीफें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

by रितेश कश्यप
Jun 4, 2022, 08:20 pm IST
in झारखण्‍ड
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन।

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की तकलीफें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। झारखंड उच्च न्यायलय की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा मुखौटा कंपनियों में निवेश और अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर खनन पट्टा आवंटन को लेकर दायर जनहित याचिकाएं स्वीकार कर ली गई हैं। उच्च न्यायलय ने माना है कि जो भी याचिकाएं दायर की गई हैं, वे सुनवाई योग्य हैं।

 

बता दें कि इन याचिकाओं को लेकर राज्य सरकार की ओर से जो भी दलीलें दी गई थीं, उन्हें न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया है। इन याचिकाओं पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति उदित नारायण प्रसाद की पीठ ने की है। हालाँकि अब यह भी माना जा रहा है कि उच्च न्यायलय के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायलय का भी रुख कर सकती है।

क्या है पूरा मामला ?

उपरोक्त याचिकाएं शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर की गई थीं। पहली याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके भाई बसंत सोरेन और कई करीबियों ने मुखौटा कंपनी बनाकर उनमें अपनी अवैध कमाई को निवेश किया है। इसी मामले को लेकर प्रार्थी ने सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की थी। वहीँ शिव शंकर शर्मा की दूसरी याचिका मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए खनन पट्टा पर आधारित है। इस याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद खनन मंत्री रहते हुए और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम से खनन पट्टा आवंटित कराया है, जो बिल्कुल गलत है। इस पर भी प्रार्थी ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की भी मांग की है।

इस याचिका के विरोध में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर खनन पट्टा का मामला राजनीति से प्रेरित है। इसी के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायलय को आदेश दिया और कहा कि इस पूरे मामले को देखा जाए कि मुख्यमंत्री के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई योग्य है भी या नहीं। इसे लेकर ही झारखंड उच्च न्यायलय ने अपना फैसला सुनाया है।

अब याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने के बाद महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सुनवाई के लिए अदालत से समय देने का आग्रह किया लेकिन प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सुनवाई तुरंत होनी चाहिए। प्रार्थी के वकील को आशंका है कि अगर सुनवाई में देर हुई तो सरकार दस्तावेजों और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती है। अधिवक्ता राजीव कुमार ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायलय के अनुसार ही अगर याचिका सुनवाई योग्य पाई जाती है तो उसपर वरीयता के आधार पर सुनवाई की जानी चाहिए। अब ऐसे में राज्य सरकार की ओर से समय मांगा जाना उचित नहीं है।

सारी दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने 10 जून को सुनवाई की बात कही है। इसपर भी महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कहा गया था कि उन्हें 17 जून तक का समय दिया जाए क्योंकि उनके वकील कपिल सिब्बल 10 जून को व्यस्त हैं। उच्च न्यायलय ने महाधिवक्ता की बात ना मानते हुए कहा, “आपके वकील को अदालत के हिसाब से समय निकालने की आवश्यकता है, अदालत को वकील के हिसाब से नहीं,  इसलिए उन्हें अपने समय में बदलाव करना चाहिए”।

 

इसके साथ ही यह भी पता चला है कि झारखंड उच्च न्यायलय के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायलय की ओर भी रुख कर सकती है। जानकारों की अगर मानें तो आने वाले कुछ दिन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके भाई बसंत सोरेन और उनके करीबियों के लिए अच्छे दिन तो नहीं आने वाले हैं।

Topics: basant sorenhemant sorenjharkhand latest news
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