रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वैश्विक व्यवस्थाओं को डावांडोल करने के लिए सीधे तौर पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने अपनी राजनीति की वजह से दुनिया को संकट में डाला है
यूरोपीय संघ ने यूरोप के देशों में रूस के तेल को धीरे—धीरे कम करते जाने से जुड़ा एक अहम फैसला किया है। कल रूस से तेल की खरीद पर क्रमवार रोक लगाते हुए संघ ने औपचारिक घोषणा की है।
इस रोक के बाद, रूस से तेल टैंकरों के जरिए करीब दो तिहाई तेल नहीं खरीदा जाएगा, जबकि पाइपलाइनों के जरिये तेल की खरीद होती रहेगी। यूरोपीय संघ की इस अजीब सी घोषणा से कल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त होती देखी गई।
इतना ही नहीं, रूस के बैंकों और यूक्रेन युद्ध के समाचार देने वाले रूसी समाचार पत्रों—चैनलों पर भी पाबंदी लगाई गई है। तेल की खरीद के मामले में जमीनी सरहदों से घिरे देशों जैसे, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया और स्लोवाकिया को इसमें रियायत दी गई है। वे रूस से तेल की खरीद जारी रख सकते हैं। बुल्गारिया तथा क्रोएशिया को भी इस बारे में कुछ दिनों की छूट दी गई है।
यूरोपीय संघ के इन अटपटे फैसलों की वजह से वैश्विक ऊर्जा बाजार डगमगा गया है, दुनिया की आपूर्ति व्यवस्था में गड़बड़ी आई है। इससे वैश्विक खाद्य संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है।
अभी तक यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश अपनी जरूरत का करीब 25 प्रतिशत तेल रूस से ही
खरीद रहे थे, जो करीब 23 अरब डालर प्रति महीने की थी।
उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ के देश रूस के तेल और गैस के सबसे बड़े ग्राहक थे। इनसे रूस की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा आता था। इसी पर पाबंदी लगाने संबंधी ये अहम संघ की 30 और 31 मई को ब्रूसेल्स में हुई बैठक में लिया गया था।
कल इसी फैसले की औपचारिक घोषणा की गई है थी। इस बैठक में रूस से टैंकरों के जरिये तेल लेने पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। बताया गया है कि 2022 के अंत तक यूरोपीय संघ के अंतर्गत आने वाले देश रूसी तेल का 90 प्रतिशत आयात बंद कर देंगे।
उधर रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है कि यूरोपीय संघ का रूस के तेल और तेल उत्पादों की खरीद को चरणबद्ध तरीके से बंद करने और पश्चिमी देशों का रूस के मालवाहक जहाजों पर रोक लगाने का फैसला उल्टे उन्हीं के लिए मुसीबत बन गया है।
वैसे यहां बता दें कि यूरोपीय संघ के इन अटपटे फैसलों की वजह से वैश्विक ऊर्जा बाजार डगमगा गया है, दुनिया की आपूर्ति व्यवस्था में गड़बड़ी आई है। इससे वैश्विक खाद्य संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है।
रूस के विदेश मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया है कि वैश्विक व्यवस्थाओं को डावांडोल करने के लिए सीधे तौर पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने ही अपनी राजनीति की वजह से दुनिया को संकट में डाला है।
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