असम पुलिस की गिरफ्त में आए कुछ आतंकियों और जिहादियों ने पूछताछ के दौरान जो खुलासे किए हैं, वह चिंता पैदा करने वाले हैं। दरअसल बांग्लादेश के आतंकियों ने भारत में घुसपैठ का नया तरीका निकाला है। इस दौरान ये आतंकी बांग्लादेश से असम के रास्ते भारत में घुसने के लिए मेडिकल और टूरिस्ट वीजा की आड़ ले रहे हैं। बांग्लादेश के साथ भारत के अच्छे रिश्तों के चलते वहां के लोगों को वीजा हासिल करना आसान होता है। लिहाजा आतंकी इसी का फायदा उठाकर घुसपैठ को अंजाम दे रहे हैं। कुछ समय से देखने में आया है कि जम्मू—कश्मीर सहित पूर्वोत्तर में सेना और सुरक्षा बलों की अचूक चौकसी के चलते आतंकियों के मंसूबों पर लगाम लगी है। इस दौरान असम पुलिस ने भी कुछ जिलों में कई आतंकियों पकड़ने में सफलता हासिल की है। पड़ताल में ये आतंकी बांग्लादेश स्थित और अल-कायदा से जुड़े जिहादी संगठनों के सदस्य निकले।
आईएसआई की है करतूत
बांग्लादेश के अधिकतर आतंकी संगठनों के आका पाकिस्तान में बैठकर साजिश रचते हैं। पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई इसको अमलीजामा पहनाने में भरपूर मदद करती है। बता दें कि हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के पकड़े गए आतंकियों के हवाले से उनके पाकिस्तान से बांग्लादेश और फिर असम होते हुए भारत में घुसने की बातें सामने आ चुकी हैं। ये आतंकी अधिकतर पूर्वोत्तर के किसी सीमावर्ती राज्य और वहां से असम होते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं। इस दौरान मुख्य रूप से ये तीन रास्तों का सहारा लेते आ रहे हैं। जिसमें चटगांव हिल ट्रैक के जरिए बांग्लादेश से त्रिपुरा और मिजोरम या मणिपुर होते हुए प्रवेश। दूसरा रास्ता डीमा हासाऊ जिला होते हुए है। एनएससीएन (आईएम) जैसे कई संगठन इसी रास्ते से घुसपैठ करते हैं। तीसरा गारो हिल्स वाला रास्ता आसान है।
बांग्लादेश सीमा बढ़ी घुसपैठ
आंकड़ों के अनुसार बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2021 में पिछले 5 सालों की सर्वाधिक घुसपैठ हुई। 2017 से 2021 के बीच 6,712 घुसपैठिया पकड़े गए। इनमें से 268 भारत-पाकिस्तान, जबकि 6,444 भारत-बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करते पकड़े गए। सिर्फ 2021 में पाकिस्तान सीमा से 45, जबकि बांग्लादेश सीमा से 1,583 घुसपैठिए पकड़े गए। 2016 से 2019 के बीच 2548 घुसपैठ के मामले सामने आए।
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