रायपुर (देहरादून) के लाडपुर जंगल में एक मजार बना बना दी गई है। ये मजार किसने बनाई, किसने इसकी अनुमति दी? वन विभाग का महकमा क्यों चुप रहा? रक्षा आयुध कारखाने से सटे इस जंगल में संदिग्धों का आना-जाना कैसे शुरू हो गया? ऐसे कई सवाल राजधानी में चर्चा में हैं।
उत्तराखंड में जंगलों में अवैध मजारों का खुलासा पाञ्चजन्य ने किया था। देवभूमि के जंगलों में 600 से ज्यादा अवैध मजारें गिनती में आई हैं। देहरादून में कैलाश अस्पताल के पास रातों-रात मजार बना दिए जाने का मामला सामने आया था। अब एक और मजार रायपुर क्षेत्र के लाडपुर के जंगल में देखी गई है, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। इस जंगल के पास रक्षा उपकरण बनाने वाला आयुध कारखाना है और इस इलाके को बेहद संवेदनशील माना जाता है।
जानकारी के मुताबिक इस मजार तक संदिग्ध मुस्लिम लोगों का आना-जाना अचानक बढ़ गया है।
सवाल ये उठता है कि वन विभाग के अधिकारी अपने जंगल में मजारों को कैसे और क्यों बनने दे रहे हैं? वैसे इनके जंगल में कोई साधारण व्यक्ति घुस नहीं सकता तो यहां रातों-रात ये मजारें कैसे बन रही हैं? हरे कपड़े पहने, पगड़ी और नगधारी ये मजार के रखवाले बने मुस्लिम लोग कहां से आ रहे हैं? ये कोई भी नहीं बता पा रहा है।
उत्तराखंड पुलिस ने पिछले दिनों बाहरी लोगों के सत्यापन का अभियान चलाया, जोकि किरायेदारों के सत्यापन तक सीमित है। वन और पुलिस विभाग ने इन मजारों के रखवालों का अभी तक कोई सत्यापन भी नहीं कराया, जिससे ये पता चल सके कि आखिर इन मजारों के कब्जों पीछे इन लोगों की मंशा क्या है?
लच्छीवाला के पास भी जंगल में मजार
हरिद्वार देहरादून मार्ग पर नई सिक्स लाइन के किनारे लच्छीवाला के पास जंगल में भी एक नई मजार देखने में आ रही है। ऐसी अवैध मजारों को देख कर यही कहा जा रहा कि उत्तराखंड के जंगलों में अवैध कब्जे करने का कोई ये एक बड़ा षड्यंत्र तो नहीं है। देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कोहली कहते हैं कि हम लोग का जन्म यहीं हुआ है, हमने जिंदगी में इतनी मजारें कभी भी पहले नहीं देखी। एक-दो मजारें जरूर देखीं, लेकिन अब जिधर देखो मजारें बन रही हैं। अधिवक्ता राजीव शर्मा कहते हैं कि ये चिंता की बात है कि आयुध कारखाने के पास मजार बन गई। ये आंतरिक सुरक्षा का भी सवाल है।
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