झारखंड सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें मांग की गई है कि भारत में रहने वाले बांग्लोदशी घुसपैठियों और रोहिंग्या की जांच कर उन्हें निकाला जाए।
एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग चार करोड़ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए रहते हैं। रोहिंग्या मुसलमान भी बड़ी संख्या में भारत मेें रहते हैं। इसके बावजूद कुछ राज्य सरकारें कहती हैं कि उनके प्रदेश में कोई घुसपैठिया नहीं रहता है। उन राज्य सरकारों में अब झारखंड सरकार भी शामिल हो गई है। झारखंड सरकार का मानना है कि उसके यहां कोई घुसपैठिया नहीं है और जिन्हें घुसपैठिया कहा जा रहा है, उन पर मानवीय आधार पर विचार होना चाहिए।
यही नहीं, झारखंड सरकार ने प्रसिद्ध वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर उस याचिका का भी विरोध किया है, जिसमें रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें भारत से निकालने की मांग की गई है। बता दें कि कुछ समय पहले अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को एक नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा था।
झारखंड सरकार ने नोटिस का जवाब देने की जगह उस याचिका का ही विरोध कर दिया है। झारखंड सरकार का तर्क है कि याचिका में जिन खतरों की बात की गई है, वह केवल अटकलों पर आधारित है। इसके पीेछे कोई तथ्य नहीं है।
यही नहीं, झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के महानिरीक्षक प्रशांत कुमार के माध्यम से दायर 15 पन्नों के हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि घुसपैठियों या विदेशी नागरिकों की आवाजाही रोकने के लिए विभिन्न राज्यों में हिरासत केंद्र आदि स्थापित करने के लिए पहले से ही एक तंत्र है। इसके साथ ही झारखंड सरकार ने यह भी कहा कि नागरिकता के मुद्दे को नागरिकता कानून और विदेशी कानून के प्रावधानों के अनुसार तय किया जाना है।
कानून के जानकार झारखंड सरकार के इस जवाब को बहुत ही घातक मानते हैं। उनका कहना है कि एक तरह से झारखंड सरकार ने यह कहा है कि उसके यहां कोई घुसपैठिया नहीं रहता है, जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड मेें लगभग 15,00,000 बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं। यह रिपोर्ट झारखंड पुलिस की है, जिसे 2018 में तैयार किया गया था। उस रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए बिहार और बंगाल के रास्ते झारखंड में प्रवेश कर रहे हैं। उस रिपोर्ट में पाकुड़ और साहिबगंज के साथ-साथ राज्य के सभी जिलों में एनआरसी लागू करने की भी सिफारिश की गई थी। इसे लेकर विधानसभा में कई बार हंगामा भी हो चुका है।
लोकसभा में भी उठा घुसपैठियों का मामला
गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने इसी वर्ष 10 फरवरी को लोकसभा में घुसपैठ का मामला उठाया था। उन्होंने बताया था कि इन घुसपैठियों की वजह से संथाल परगना और बिहार के कई क्षेत्रों में जनसांख्यिकी बदलाव देखने को मिल रहा है। झारखंड और बिहार के कई क्षेत्र बांग्लादेशी घुसपैठियों से परेशान हैं। उन्होंने बताया था कि संथाल परगना के कई क्षेत्र जैसे गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज, देवघर, जामताड़ा के साथ बिहार में कटिहार,अररिया, किशनगंज और बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा आदि क्षेत्रों में पूरी तरह से जनसांख्यिकी बदल चुकी है। इन जिलों में आजादी के समय मुस्लिम आबादी लगभग 30 प्रतिशत थी, अब कई इलाकों में 70 प्रतिशत, 75 प्रतिशत और कहीं-कहीं 90 प्रतिशत तक हो चुकी है। आज वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, संस्कृति खतरे में है और अपराध चरम पर है। उन्होंने भारत सरकार से पूरे झारखंड के साथ ही बिहार और बंगाल के कुछ क्षेत्रों में एनआरसी लागू करने की मांग की थी।
कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता रह चुके रांची निवासी स्व बिलाल का कहना था कि रांची की नेवरी बस्ती में कई बांग्लादेशी बसे हुए हैं। आलम यह है कि यहां पर स्थानीय मुसलमानों और बांग्लादेशियों के बीच कई मामलों को लेकर विवाद होते रहते हैं और कई बार मामले थाने भी जा चुके हैं।
राजमहल के विधायक अनंत ओझा कहते हैं कि झारखंड में अचानक कई तरह के अपराध जैसे लूट, हत्या, छिनतई आदि देखने को मिल रहे हैं। इन सबके पीछे बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ है। अनंत ओझा के अनुसार झारखण्ड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ कर जनजाति संस्कृति पर हमला कर रहे हैं। जनजाति समाज की भोली-भाली लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा कर उनसे शादी रचा रहे हैं। उनका कन्वर्जन करा रहे हैं। फिर उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लेते हैं। यहां के नागरिक बन जाते हैं। इतना ही नहीं, यह भी पता चला है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए अब जनजातीय समाज की महिलाओं से शादी करके उन्हें अरक्षित सीटों पर चुनाव भी लड़वाते हैं।
इसके बावजूद झारखंड सरकार किसी घुसपैठिए की बात को नकार रही है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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