उत्तर प्रदेश में लखनऊ की टीले वाली मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ सकता है। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर ‘चलो टीले वाली मस्जिद’ का पोस्टर तेजी से वायरल हुआ। ऐसा कहा जा रहा है कि मौलाना शाही इमाम मन्नान रहमानी की ओर से मुसलमानों से अपील की गई थी। इसको लेकर हिंदू महासभा के लोगों ने विरोध जताते हुए जिला प्रशासन से मौलाना के खिलाफ मौखिक शिकायत भी की है।
टीले वाली मस्जिद को लेकर वर्ष 2018 में भी विवाद सामने आया था, जब वहां पर लक्ष्मण जी की मूर्ति लगाने का विरोध किया गया था। जानकारी के अनुसार टीले वाली मस्जिद के पास निर्माण कार्य र्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) के नियमों के विरुद्ध है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांगे गए एक पत्र के जवाब में पहले ही हो चुका है। लखनऊ निवासी अजय वाजपेयी ने 27 सितम्बर 2017 को एएसआई को सूचना के अधिकार के अंतर्गत पत्र लिख कर यह जानकारी मांगी थी कि टीले वाली मस्जिद में निर्माण कराया गया, जबकि इमामबाड़े के 100 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण कराने पर एएसआई ने रोक लगा रखी है। इस सम्बन्ध में क्या कार्रवाई की गयी? उक्त पत्र का जवाब देते हुए एएसआई की तरफ से यह बताया गया है कि इमामबाड़े के 100 मीटर के क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबन्ध है। इसके बावजूद वहा निर्माण कराया गया। इस पर एएसआई ने सम्बंधित लोगों के खिलाफ 9.8.2016 को अवैध निर्माण कराने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। कारण बताओ नोटिस भी दी गई थी। एएसआई ने अपने पत्र के तीसरे पैराग्राफ में लिखा है कि कारण बताओ नोटिस और एफआईआर की कार्रवाई कई गई थी। उन लोगों की तरफ से कारण बताओ नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया था। इसके बाद विभाग ने अपने नई दिल्ली मुख्यालय को इस सम्बन्ध में कार्रवाई से अवगत कराया और साथ में यह भी अनुरोध किया कि जो भी निर्माण बगैर अनुमति के कराया गया है, उसे ध्वस्त करा दिया जाए। सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के पत्र का हवाल देते हुए जितेंद्र त्यागी (वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) ने पांचजन्य को बताया कि मस्जिद के शाही इमाम और उनके वालिद, जिनका अब देहान्त हो चुका है, इन दोनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। ये लोग अवैध निर्माण के अभियुक्त भी रह चुके हैं।
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