सीता-द्रौपदी से बड़ी नारीवादी कोई नहीं, भारतीय सभ्यता में अंतर्निहित है नारीवाद : JNU कुलपति
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सीता-द्रौपदी से बड़ी नारीवादी कोई नहीं, भारतीय सभ्यता में अंतर्निहित है नारीवाद : JNU कुलपति

कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने एक समारोह में संबोधित करते हुए नारीवाद को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि नारीवाद कोई पश्चिमी अवधारणा नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता में अंतर्निहित है।

by WEB DESK
May 25, 2022, 12:12 pm IST
in दिल्ली
शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, कुलपति, JNU

शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, कुलपति, JNU

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने एक समारोह में संबोधित करते हुए नारीवाद को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि नारीवाद कोई पश्चिमी अवधारणा नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता में अंतर्निहित है। कुलपति ने यह भी कहा कि द्रौपदी और सीता से बड़ी नारीवादी कोई और हो नहीं सकती।

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘स्वराज से नव-भारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन’ को कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित संबोधित कर रही थीं, जहां उन्होंने कहा कि भारत एक सभ्यता आधारित राज्य है और धर्म-पंथ से परे उठकर भारतीय इतिहास पर गर्व करना चाहिए। कुलपति ने यह भी कहा कि महिला अधिकारों की आवाज उठाना, महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का विचार मार्क्स के समय शुरू हुआ, यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो द्रौपदी और सीता कौन थीं ? कुलपति ने कहा कि द्रौपदी ने जिस भाषा में अपने पतियों को उत्तर दिया और सीता ने जिस तरह बिना परिवार के बच्चों को जन्म दिया, वह नारीवादी सोच का एक उदाहरण है। द्रोपदी या सीता से महान नारीवादी कोई हो नहीं सकती।

कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा कि मैं दक्षिण भारत से आती हूं, जहां कन्नगी और मनिकेकलाई का वर्णन मिलता है। ऐसे छात्र जो आधुनिक भारत के बौद्धिक विमर्श में रुचि रखते हैं, मैं उनसे आग्रह करती हूं कि वे भारतीय नारीवादियों का अध्ययन करें।

Topics: Shantisree Dhulipudi PanditFeminismStatement on FeminismVice Chancellor's statementजेएनयू की कुलपतिDraupadi and Sitaशांतिश्री धुलीपुडी पंडितनारीवादनारीवाद पर बयानकुलपति का बयानद्रौपदी और सीताJNU Vice Chancellor
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