सपा नेता आजम खान जमानत पर जेल से बाहर जरूर आ गए हैं, लेकिन कोर्ट कचहरी से उनका पीछा अभी नहीं छूटा है। अपनी जौहर यूनिवर्सिटी की इमारत को गिरने से बचाने के लिए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।
जानकारी के मुताबिक उन्हें इलाहबाद हाई कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वो यूनिवर्सिटी में मिलाई गई शत्रु संपत्ति को सरकार को वापस लौटाएंगे। जमानत पर रिहा होने से पहले रामपुर जौहर यूनिवर्सिटी के भीतर 13 हेक्टेयर जमीन को जिला प्रशासन ने नाप कर खंबे गड़वा कर अपने कब्जे में लेकर शत्रु संपत्ति कास्टोडियन अधिकारी की देखरेख में दे दिया था। इस जमीन पर जौहर यूनिवर्सिटी की दो इमारतें भी बनी हुई हैं। जिन्हे प्रशासन गिरा कर, जमीन को 30 जून तक पहले की अवस्था में लाना चाहता है ताकि उसे गृह मंत्रालय को दे सके।
इन्ही दो इमारतों को गिराने से बचाने के लिए आजम खान के वकील निजाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी चंद्रचूड़ की बेंच में अर्जी दी है। अदालत ने याचिका के साथ सभी दस्तावेज रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। आजम खान के वकील ने कोर्ट में ये भी कहा है कि जमानत के लिए शर्त नहीं लगाई जा सकती।
उधर डीएम रामपुर रविंद्र मंदार ने कहा है कि हमारे पास 30 जून तक का समय है, हमें उससे पहले ही ये शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय को पहले की हाल में वापस करनी है। इस संपत्ति का कोई नक्शा पास नहीं है और इसका निर्माण अवैध माना गया है। उन्होंने कहा कि जरूरत हुई तो कोर्ट में प्रशासन अपना पक्ष भी मजबूती से रखेगा। बहरहाल रामपुर के लोगों में ये उत्सुकता है कि शुरू से विवादो में घिरी जौहार यूनिवर्सिटी पर योगी सरकार का बुलडोजर चलेगा या नहीं?
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