देश की प्रथम राष्ट्रवादी पत्रिका ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गनाइजर’ द्वारा आयोजित मीडिया महामंथन 2022 के तीसरे सत्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शामिल हुए। सत्र का संचालन पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने किया। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कई सवालों के खुलकर जवाब दिए।
सवाल : एक बार एक प्रधानमंत्री ने कहा था, मैं एक रुपए भेजता हूं, जो पहुंचते पहुंचते 15 पैसा रह जाता है। इस भ्रष्ट तंत्र को कैसे तोड़ा?
जवाब : सबसे पहले तो मैं उनको दाद देता हूं कि उन्होंने सच को स्वीकारा। केंद्र और प्रदेशों में भाजपा सरकार आने से पहले ही हमने घोषणापत्र में भ्रष्टाचार से मुक्त व पारदर्शी सरकार देने का वादा किया था और हम इसमें कामयाब भी रहे हैं। इसमें नई तकनीक व डिजिटलीकरण ने काफी मदद की है।
सवाल : इतने टेक्नोफ्रेंडली कैसे हैं सीएम खट्टर? आपने जापानी भाषा भी सीखी है?
जवाब : मेरा शुरू से नई-नई चीजें सीखना मेरा शौक रहा है। हर किसी से, यहां तक कि अपने विरोधी से भी कुछ सीखने को मिलता है तो मैं पीछे नहीं हटता। मैं तमिल और जापानी भाषा भी बोल सकता हूं। इसके लिए मैंने ट्यूटर भी रखा था। इससे कामकाज में भी मदद मिलती है।
सवाल : जातिगत राजनीति और भ्रष्टाचार वाली हरियाणा की पहचान कैसे बदली?
जवाब : हमें डॉ. हेडगेवार यूनिवर्सिटी से संस्कार मिले हैं, ऐसे में पहचान बदलने में काफी सहायता मिली। हां… ये बात सही है कि राजनीति में अपने स्वार्थ के लिए लोग जाति का सहारा लेते हैं लेकिन हमने नारा दिया, ‘एक हरियाणा, हरियाणवी एक’। इसका लाभ भी मिला, भेदभाव में कमी आई है। शासन प्रशासन में तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल ने भ्रष्टाचार को कम करने में मदद की।
सवाल : किसी वर्ग को खुश करना और बाकी को कमजोर करना या पीछे छोड़ देना, यह भी राजनीति का हिस्सा रहा है। इससे कैसे निपटे?
जवाब : आज हमारा युवा समाज का एक बड़ा हिस्सा ऐसा तैयार हो चुका है जो, जाति को विकास में बाधा मानता है। लोगों में भी जागरूकता बढ़ी है। पिछले आठ साल में जातिगत नेता पीछे रह गए हैं। जातिगत विषय अब पीछे होता जा रहा है। हमारा मकसद है कि लोग खुश रहें।
सवाल : पहले कहावत थी कि खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब। आप ने इस कहावत को ही पलटकर रख दिया है।
जवाब : इसके कई पहलू हैं। आज पढ़ने लिखने वाला भी नवाब बनेगा और खेलने कूदने वाला भी। हमारे छोरे ही नहीं बल्कि छोरियां भी खेल के मैदान में लट्ठ गाड़ रही हैं। हरियाणा देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने वाले को सबसे ज्यादा नकद ईनाम देने में अव्वल है। हम गोल्ड लाने वाले अपने खिलाड़ी को छह करोड़ जबकि सिल्वर या ब्रॉन्ज लाने वाले को 2.5 या तीन करोड़ देते हैं। इसके साथ ही प्रदर्शन के आधार पर क्लास वन से लेकर ग्रुप डी तक में नौकरी भी देते हैं। यही नहीं चौथे स्थान पर रहने वाले को भी 50 लाख देते हैं। साथ ही खिलाडि़यों के लिए नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण रखा है। यही कारण है कि खेल के क्षेत्र में युवा देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं।
सवाल : शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव कैसे लाए हैं ?
जवाब : आज तकनीक का जमाना है। कोरोनाकाल में ऑनलाइन शिक्षा वक्त की जरूरत बन गई थी। लेकिन हर किसी बच्चे के पास इतनी सुविधाएं नहीं थीं कि वह ऑनलाइन क्लासें कर सके। ऐसे में हमने 650 करोड़ के टैबलेट 12वीं, 11वीं और 10वीं के बच्चों को बांटे ताकि उनकी शिक्षा में बाधा न आए। साथ ही टीचर्स में भी 33 हजार टैबलेट बांटे।
सवाल : नई तकनीक के साथ नई योजनाओं का मतलब क्या है?
जवाब : नई तकनीक के उपयोग से योजनाएं लागू करने में मदद मिलती है। पहले शिक्षा विभाग में ट्रांसफर का ही काम होता था। हम ट्रांसफर पॉलिसी लाए। इसे लेकर 92 फीसद टीचर खुश हैं। इसी तरह, स्वामित्व योजना लाए, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बहुत पसंद आई और उन्होंने इसे पूरे देश में लागू करवाने को कहा।
परिवार पहचान योजना भी एक ऐसी ही जनता के हित के लिए है। इसमें हमारे पास परिवार का पूरा डाटा होता है। अभी तक 69 लाख परिवारों को पहचान परिवार पत्र मिल चुका है। इसके जरिए इन परिवारों को 300 से ज्यादा योजनाओं से जोड़ा गया है और उन्हें बार बार अपने कागज नहीं दिखाने पड़ते। इसके अलावा अंत्योदय योजना है, इसमें वो परिवार आते हैं जिनकी सालाना आय एक लाख से कम है। इस योजना के तहत ऐसे परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार दिया जाता है।
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