खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे! पश्चिम बंगाल सरकार और कथित तौर पर टीएमसी के एजेंट के तौर पर काम कर रही राज्य पुलिस की हालत अब इसी पुराने मुहावरे की तरह हो गई होगी। मालदा जिले के कालियाचक इलाके में तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक विरोधी अनुसूचित जाति के दो लोगों के अपहरण और जबरन मुसलमान बनाए जाने के मामले में पुलिस ने “टीएमसी वॉलंटियर के दबाव में” एफ़आईआर नहीं लिखी, तो विश्व हिंदू परिषद के सहयोग से मामला कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचा और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने पूरे की व्यापकता और गंभीरता भांपते हुए जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए को सौंपने का आदेश सुना दिया। मालदा ज़िले के एसपी से भी विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
राज्यों के मामलों में किसी केस की जांच सीबीआई से तब कराई जाती है, जब संबंधित पक्ष पुलिस पर भरोसा नहीं कर रहे हों या फिर मामला बेहद जटिल हो, लेकिन एनआईए आतंकवाद, टेरर फंडिंग, विदेशी साज़िशों इत्यादि की ही जांच करती है। ऐसे में जबरन हिंदू से मुसलमान बना देने की शिकायत की जांच अगर हाई कोर्ट ने सीबीआई के साथ ही एनआईए को भी सौंपी है, तो कोर्ट को यकीनन इसमें बड़े षड्यंत्र की दुर्गंध महसूस हुई होगी। यह भी तय है कि पश्चिम बंगाल पुलिस की पोल भी इस मामले में खुल जाएगी। जिस केस का उल्लेख हम कर रहे हैं, उसमें आरोप है कि संबंधित थाने के पुलिस कर्मी भी हिंदुओं को मुसलमान बनाने की मुहिम से सीधे जुड़े हैं।
यह पूरा मामला मालदा जिले के कालियाचक में रह रही दो महिलाओं की व्यथा-कथा से जुड़ा है। पिछले 24 नवंबर को दोनों के पति लापता हो गए। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बाद में 8 दिसंबर को मालदा के एसपी से शिकायत की गई। फिर भी पुलिस के कानों पर जूं नहीं रेंगी। तब याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और संबंधित दूसरी संस्थाओं से गुहार लगाई और अब कलकत्ता हाई कोर्ट का उच्च-स्तरीय जांच का आदेश आ गया है। यायिकर्ता दोनों महिलाओं को सुरक्षा देने का आदेश भी कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिया है। किसी हाई कोर्ट ने कन्वर्जन के केस में जांच का इतना सख्त आदेश पहले शायद ही दिया हो। कलकत्ता हाई कोर्ट का यह आदेश स्पष्ट करता है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कन्वर्जन का षड्यंत्र कितना बड़ा है। इसके तार सीमा पार तक पहुंचे हुए हैं। बड़े पैमाने पर हवाला रैकेट इसके लिए पैसे भेजता है। कन्वर्जन जिहाद के लिए अब मासूम लोगों को बहलाया-फुसलाया तो जा ही रहा है, लालच तो दिया ही जा रहा है, अब अपहरण कर हथियारों के बल पर आतंकित कर भी कन्वर्जन किया जा रहा है। सुनने में यह भी आया है कि चुनाव में टीएमसी के विरोध में काम करने के कारण जिन अनुसूचित जाति के दो पुरुषों को मुसलमान बनाया गया है, उनके पूरे परिवार पर भी टीएमसी कॉडर और पुलिस की तरफ़ से दबाव बनाया जा रहा था कि वे भी धर्म बदल लें।
विहिप सचिव (पूर्वी क्षेत्र) अमिय कुमार सरकार ने हाई कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने राज्य में अवैध कन्वर्जन को रोकने के लिए मजबूत कानून लाए जाने की मांग भी की है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी के सदस्य विरोधियों के साथ हिंसक व्यवहार कर रहे हैं, ऐसे गंभीर आरोप भारतीय जनता पार्टी लगातार लगाती आ रही है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान भी एक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या की खबर आई थी। लेकिन रूटीन आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच अब कलकत्ता हाई कोर्ट के जबरन कन्वर्जन के केस में दो शक्तिशाली केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने के आदेश ने देश के मुख्य मीडिया का ध्यान खींचा है।
राज्य बीजेपी ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंदुओं की आबादी घटती और मुसलमानों की आबादी बढ़ती जा रही है। इसका एक मुख्य कारण तो बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ है, रोहिंग्या मुस्लिमों ने भी पश्चिम बंगाल में अच्छी संख्या में डेरा जमा रखा है। दूसरा कारण कमजोर वंचितों को डरा-धमकाकर धर्म बदलने को विवश किया जा रहा है। एक बड़ा कारण यह भी है कि जो हिंदू धर्म बदलने को तैयार नहीं होते, उन्हें डरा-धमका कर वहां से भागने को मजबूर कर दिया जाता है।
पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप भी नया नहीं है। मुहर्रम के दौरान प्रतिमा विसर्जन को लेकर ममता सरकार कलकत्ता हाई कोर्ट से दो बार कड़ी फटकार खा चुकी है। मौलवियों पर मेहरबानी भी राज्य सरकार करती रहती है। कुल मिलाकर राज्य में जबरन कन्वर्जन के आरोप नए नहीं हैं। अंग्रेज़ों के समय ईसाई मिशनरी पश्चिम बंगाल में सक्रिय रही, लेकिन उसे वहां उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी केरल समेत कई और भारतीय राज्यों में। अब बदले वातावरण में कलकत्ता हाई कोर्ट का निर्णय मील का पत्थर साबित हो सकता है। बशर्ते सीबीआई और एनआईए जबरन कन्वर्जन के केस को प्राथमिकता से लें।
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