प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कोविड-19 जैसी महामारियों का सामना करने के लिए एक कारगर विश्व व्यवस्था कायम करने तथा वैक्सीन और दवाइयों को सर्वसुलभ बनाने के लिए पेटेंट नियमों को लचीला बनाने पर जोर दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से कोविड महामारी के संबंध में आयोजित दूसरे वर्चुअल विश्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बात की जरूरत है कि भविष्य की महामारियों और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए एक समन्वित वैश्विक कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि हमें एक टिकाऊ विश्व आपूर्ति श्रृंखला तथा वैक्सीन और दवाइयों को सर्व सुलभ बनाने के लिए व्यवस्था तैयार करनी चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के नियमों को लचीला बनाने की जरूरत पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधारों की वकालत करते हुए कहा कि दुनिया में एक कारगर स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने विकसित की जा रही वैक्सीन और दवाओं की अनुमोदन की प्रक्रिया को तेज करने की भी बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्व व्यापार संगठन के नियमों, विशेष रूप से ट्रिप्स को और अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता है। अधिक लचीली वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा संरचना बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ में सुधार और मजबूती की जानी चाहिए। हम आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और अनुमानित रखने के लिए टीकों और चिकित्सा विज्ञान के लिए डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का भी आह्वान करते हैं। वैश्विक समुदाय के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत इन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”
कोरोना महामारी का सामना करने के लिए भारत के प्रयासों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणित चार वैक्सीन का निर्माण किया है। भारत ने इस वर्ष 5 अरब वैक्सीन खुराक तैयार करने की क्षमता हासिल की है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया गया है। अबतक 90 प्रतिशत व्यस्क आबादी का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है जबकि पांच करोड़ से अधिक बच्चों को टीका लगाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में वैक्सीन और चिकित्सा प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को भरोसेमंद बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय के जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत इन प्रयासों में भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत की अनुसंधान शालाओं में रोगों के विषाणुओं के अध्ययन ने वैश्विक डाटा बेस में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संबंध में भारत पड़ोसी देशों को भी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए भारत में परंपरागत औषधियों की भी मदद ली गई है।
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