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मध्य प्रदेश : हाईकोर्ट ने स्वीकार की भोजशाला में जुमे की नमाज बंद करने की मांग वाली याचिका

WEB DESK by WEB DESK
May 12, 2022, 12:39 am IST
in भारत, मध्य प्रदेश
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धार जिला मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का विवाद एक बार फिर अदालत में पहुंच गया है। हिंदू फ्रंट फार जस्टिस द्वारा भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने स्वीकार कर ली है। अदालत ने इस संबंध में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, भोजशाला कमेटी को नोटिस जारी किया है।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि भोजशाला में मंगलवार को हनुमान चालीसा और शुक्रवार को नमाज होती है। परिसर में दूसरे समुदाय की एंट्री और नमाज को बंद कराया जाए। याचिका में मांग की गई है कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर था, जिसकी मूर्ति ब्रिटिश सरकार साथ ले गई थी। सरकार उसे सम्मान सहित वापस लाकर स्थापित करे। परिसर में जो खंडित मूर्तियां हैं, उनका रख-रखाव किया जाए। परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हो, जिससे वे नष्ट ना हो सकें। परिसर में दूसरे समुदाय की एंट्री पर रोक लगाई जाए। शुक्रवार को होने वाली नमाज भी बंद हो।

इस याचिका पर बुधवार को पहली सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद केंद्र शासन, राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग, मौलाना कमालूद्दीन ट्रस्ट सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई जून के अंतिम सप्ताह में होगी।

उल्लेखनीय है कि भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालूद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वागदेवी की प्रतिमा को लंदन ले गए थे।

याचिकाकर्ता हिंदू फ्रंट जस्टिस के मप्र संयोजक आशीष जनक और राष्ट्रीय संयोजन डॉ. रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि फिलहाल प्रशासन ने व्यवस्था दे रखी है कि हर मंगलवार हिंदू भोजशाला में पूजा करेंगे और शुक्रवार को मुसलमान नमाज पढ़ेंगे। हमने याचिका में मांग की है कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से तुरंत रोका जाए। हर मंगलवार हिंदू यज्ञ-हवन कर भोजशाला को पवित्र करते हैं लेकिन शुक्रवार को मुसलमान इसे अपवित्र कर देते हैं। भोजशाला हिंदुओं के लिए उपासना स्थली है। मुसलमान नमाज के नाम पर भोजशाला के भीतर अवशेष मिटाने का काम कर रहे हैं। हमने याचिका में भोजशाला परिसर की खोदाई और वीडियोग्राफी कराने की मांग भी की है। याचिका के साथ 33 फोटोग्राफ भी संलग्न किए गए हैं।

भोजशाला का इतिहास

धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1034 में धार में सरस्वती सदन की स्थापना की थी। दरअसल यह एक महाविद्यालय था जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासनकाल में ही यहां मां सरस्वती (वाग देवी) की प्रतिमा स्थापित की गई थी। यह प्रतिमा भोजशाला के समीप ही खोदाई में मिली थी। 1880 में इस प्रतिमा को लंदन भेज दिया गया।

कब क्या हुआ

1456 में महमूद खिलजी ने मौलाना कमालूद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण करवाया।

भोजशाला को लेकर 1995 में मामूली विवाद हुआ था। इसके बाद मंगलवार को हिंदुओं को पूजा और शुक्रवार को मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी गई।

12 मई 1997 को प्रशासन ने भोजशाला में आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। हिंदुओं को बसंत पंचमी पर और मुसलमानों को शुक्रवार एक से तीन बजे तक नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 तक रहा।

6 फरवरी 1998 को पुरातत्व विभाग ने भोजशाला में आगामी आदेश तक प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।

2003 में मंगलवार को फिर से पूजा करने की अनुमति दी गई। पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया।

जब-जब बसंत पंचमी शुक्रवार को आती है विवाद बढ़ जाता है।

Topics: Saraswati Devi Temple in Bhojshalaभोजशाला का विवादstatue of Vagdeviहिंदू फ्रंट फार जस्टिसभोजशाला में नमाज पर रोकरंजना अग्निहोत्रीभोजशाला में सरस्वती देवी मंदिरवागदेवी की प्रतिमाBhojshala controversyMadhya Pradesh NewsHindu Front for Justiceमध्य प्रदेश समाचारBan on Namaz in BhojshalaMadhya PradeshRanjana Agnihotriमध्य प्रदेश
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