पाकिस्तान में बीते कुछ महीने से जारी सियासी उठापटक ने वहां के जनजीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला है। एक ओर पाकिस्तान में आयात और निर्यात के बीच खाई गहरी होती जा रही है और विदेशी मुद्रा भंडार खतरे की जद में आने की स्थिति में है। दूसरी ओर, पाकिस्तान में स्थितियां फिर से बिगड़ने वाली हैं। कारण, यूरोपीय संघ की संसद दस वर्ष पूर्व पाकिस्तान को दी गई जीएसपी प्लस दर्जे की समीक्षा करने के लिए तैयार है।
जीएसपी प्लस की यह सुविधा कई निर्धन देशों को 66 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर शुल्क हटाकर अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिससे उनका निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाता और उस देश को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायता मिलती है। यूरोपीय संघ द्वारा इसकी समीक्षा किए जाने और जीएसपी का दर्जा रद्द किए जाने का संभावित फैसला यूरोपीय संघ, विशेष रूप से कपड़ा एवं वस्त्र क्षेत्र में पाकिस्तान के निर्यात को नुकसान पहुंचा सकता है।
पाकिस्तान में जीएसपी प्लस की पृष्ठभूमि
उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ ने 12 दिसंबर 2013 को पाकिस्तान को प्राथमिकताओं की सामान्य योजना के अंतर्गत जीएसपी प्लस का दर्जा प्रदान किया जिसके द्वारा वह वस्त्र और अन्य उद्योगों पर बढ़ावा मिलने के अलावा 27 यूरोपीय देशों में शुल्क मुक्त निर्यात कर पाने में सक्षम हुआ। जीएसपी प्लस के दर्जे के द्वारा पाकिस्तान के 3,500 से अधिक उत्पादों को शुल्क मुक्त या तरजीही शुल्क दर प्राप्त हुआ।
इस योजना के द्वारा यूरोपीय संघ विकासशील देशों को अपने यहां उनके निर्यात पर निर्यातकों के विकास के लिए शुल्क में छूट और कम शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देता है। इससे उन्हें यूरोपीय संघ के बाजारों में महत्वपूर्ण पहुंच मिलती है जो उनके आर्थिक विकास के लिए योगदान देती है।
पाकिस्तान के कुछ सकारात्मक रुख वाले अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पाकिस्तान के अन्य प्रमुख व्यापार भागीदार जैसे अमेरिका, चीन और यूएई, अतिरिक्त निर्यात के कुछ हिस्से को अवशोषित करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन व्यापार में ऐसा बदलाव केवल समय के साथ स्पष्ट होगा। फिलहाल तो पाकिस्तान का प्रयास है कि किसी भी तरह से इस सुविधा के समाप्त होने से बचा सके।
जीएसपी प्लस ने पाकिस्तान को यूरोपीय संघ के बाजार में गहरी पैठ बनाने में अत्यधिक सहायता दी है। जीएसपी ने इस देश के लिए करों में तरजीह प्रदान कर इसके उत्पादों को दुनिया के बाकी हिस्सों के सापेक्ष अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायता दी जिससे उसे यूरोपीय संघ के देशों में पैठ बनाने में सहायता मिली। पाकिस्तान के आर्थिक विकास में व्यापार एक बड़ा घटक है। इसलिए यूरोपीय संघ के बाजार में इस तरह की तरजीही पहुंच पाकिस्तान के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, यह स्पष्ट ही है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में व्यापार का हिस्सा 28 प्रतिशत से अधिक है, और पिछले एक दशक में इसमें बढ़ोतरी हो रही है।
2018 के वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशंस डेटा से पता चलता है कि पाकिस्तान से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में यूरोपीय संघ के देशों की हिस्सेदारी लगभग 28 प्रतिशत है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कपड़ा, पाकिस्तान से निर्यात होने वाली सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है और पाकिस्तान के शीर्ष 5 निर्यात वस्तुओं में से 4 वस्त्रों से संबंधित हैं, अर्थात पुरुषों के सूती वस्त्र, कपास के बिस्तर लिनन, टॉयलेट में प्रयुक्त लिनन और रसोई घर में प्रयुक्त होने वाले लिनन, टेरी फैब्रिक, और सिंगल कॉटन यार्न।
इन चार वस्तुओं ने 2018 में पाकिस्तान के कुल निर्यात बास्केट का लगभग 16.7 प्रतिशत हिस्सा बनाया। यूरोपीय संघ के आंकड़ों से पता चलता है कि पाकिस्तान से यूरोपीय संघ को निर्यात में 75 प्रतिशत, कपड़ा संबंधित उत्पाद हैं। तथ्य यह है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अपने निर्यात पर और विशेष रूप से कपड़ा उद्योग पर निर्भर है, पाकिस्तान के लिए यूरोपीय संघ के बाजार तक पहुंच बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
पाकिस्तान को मिली इस जीएसपी सुविधा के नाटकीय परिणाम देखने में आए। आंकड़े बताते हैं कि इस सुविधा ने पाकिस्तान के निर्यात को उन्नत स्थिति में ला खड़ा किया है। यूरोपीय संघ को पाकिस्तान का निर्यात 2015 में 6.64 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2019 में 8.19 बिलियन डॉलर हो गया है। इसी कारण पाकिस्तान को इसे खोने का भय भी गहरा होता जा रहा है। जीएसपी दर्जा की समाप्ति और की यूरोपीय संघ के देशों तक पहुंच पाकिस्तान के समग्र व्यापार और विशेष रूप से कपड़ा से संबंधित व्यापार को काफी प्रभावित करेगी। इससे यूरोपीय संघ को पाकिस्तान का निर्यात अपेक्षाकृत महंगा हो जाएगा।
पाकिस्तान के कुछ सकारात्मक रुख वाले अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पाकिस्तान के अन्य प्रमुख व्यापार भागीदार जैसे अमेरिका, चीन और यूएई, अतिरिक्त निर्यात के कुछ हिस्से को अवशोषित करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन व्यापार में ऐसा बदलाव केवल समय के साथ स्पष्ट होगा। फिलहाल तो पाकिस्तान का प्रयास है कि किसी भी तरह से इस सुविधा के समाप्त होने से बचा सके।
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