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सैकड़ों होटल चला रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या ? एनआईए कर रही जांच

by SHIVAM DIXIT
May 9, 2022, 07:30 am IST
in भारत
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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक खतरनाक संगठन है और इसके पास देश को भीतर से अस्थिर करने के उद्देश्य से जुड़़े कई ‘‘मुखौटे’’ हैं। करौली, खरगोन हो या फिर अब दिल्ली का जहांगीरपुरी इन सब जगह हुए विवाद में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का हाथ सामने नजर आता है। कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद हो या हलाल मीट विवाद इन विवादों के दौरान भी ये संगठन सुर्खियों में रहा। केरल में हो रही राजनीतिक हत्याओं में भी इस संगठन का नाम बार-बार सामने आ रहा है। सिम्मी पर लगे प्रतिबंध के तुरंत बाद से अस्तित्व में आएं पीएफआई को सिमी का ही बदला हुआ रूप कहा जाता है। दरअसल 1977 से देश में सक्रिय सिमी पर 2006 में प्रतिबंध लगा गया था।

फ़िलहाल तो ये संगठन पूरे देश में बांग्लादेशियों और रोहिंग्यों को बसाने का काम कर रहा है। साथ ही विदेशी पैसों की मदद से उन्हें मजबूती देने का प्रयास भी कर रहा है। एनआईए मैंगलोर से तिरुवनंतपुरम तक सड़क के किनारे सैकड़ों छोटे भोजनालयों और राजमार्गों के किनारे छोटी-छोटी गलियों में होटलों और भोजनालयों की बढ़ती हुई संख्या को लेकर जांच कर रही है। इन होटलों और भोजनालयों को बाहर काले रंग और अंदर से पीले रंग से कलर कर रखा है।

यह संदेहास्पद है कि इन होटलों में मालिक का नाम पूछने पर कोई जानकारी नहीं दी जाती है, लेकिन एनआईए को संदेह है कि इन होटलों और भोजनालयों को बांग्लादेशी और रोहिंग्या चला रहे हैं।

बताया जाता है कि तुर्की, सीरिया, ईरान, मलेशिया आदि देशों से पीएफआई के माध्यम से धन भारत में भेजा गया था। जिनके माध्यम से बांग्लादेशी और रोहिंग्या ये होटल और भोजनालय चला रहे है। ये लोग बाहर से आ रहे इस आतंक के पैसे को सफेद करने के अलावा यहां के पारंपरिक भोजन खाने की आदत को बदलने की कोशिश में लगे हुए है। जिसमे वे बेहद सफल भी हो रहे हैं।

जैसे ही आप बैंगलोर या मैंगलोर से केरल की यात्रा करते हैं, आप पाएंगे कि अधिकांश भोजनालय मुस्लिम लोगों के है। इन लोगो का इतना बड़ा नेटवर्क है की इन्होने ऐसी ऐसी जगहों पर भी भोजनालय खोल रखा है जहां शायद ही कोई ग्राहक जाता हो। लेकिन भोजनालय के नाम पर भरपूर जगह घेर कर कब्जा रखी है। भारतीय खुफिया एजेंसी को संदेह है कि ये ISIS के स्लीपर सेल हैं।

जांच में सामने आया है कि पीएफआई इन भोजनालयों की वजह से सड़कों पर सैंकड़ों हिंसक समर्थकों को एकत्रित करने में सक्षम है सक्षम है। जगह जगह सैकड़ों नर्सरी प्लांट जिनमें से अधिकांश मस्जिद और मदरसों के आस-पास स्थापित किए गए है। उन्हें बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं द्वारा संचालित किया जाता है।

केरल और कर्नाटक के शहरों और छोटे शहरों में अधिकांश हेयर ड्रेसिंग सैलून की बारीकी से जांच करने पर पता चलता है कि भले ही इन दुकानों का मालिक हिंदू हों लेकिन हिंदू बहुसंख्यक क्षेत्रों में सभी हेयर ड्रेसिंग का कम करने वाले मुस्लिम है और खुद को दिल्ली से बताते है। इनमें से ज्यादातर यूनिसेक्स सैलून में काम करते हैं। लेकिन अगर जाँच की जी तो वास्तविकता में इनमे से अधिकतर बांग्लादेशी और रोहिंग्या ही निकलेंगे जो या तो स्लीपर सेल होंगे या पीएफआई के सक्रीय सदस्य जो दिन-ब-दिन हमारी जासूसी कर रहे हैं ? और इसी तरह वे इस तरह वे इन क्षेत्र में सैकड़ों हिंसक जिहादियों को बुलाकर और हिंदू बहुसंख्यक पर हमला करने में सक्षम हैं।

खुफिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रियल एस्टेट में उनका सिंडिकेट के नोटबंदी कारण टूट गया है और अब केंद्र सरकार के लिए रियल एस्टेट में डाले गए धन को ट्रैक करना अपेक्षाकृत आसान है। जबकि भोजनालयों, पौध नर्सरी, सड़क किनारे फल-सब्जियों के स्टॉल, सौंदर्य व्यवसाय आदि में डाला गया पैसा ट्रैक करना अभी भी मुश्किल है।

Topics: ISIS के स्लीपर सेलपीएफआई के भोजनालयड्रेसिंग सैलून में रोहिंग्याBangladeshi infiltratorsRohingyasरोहिंग्याdangerous Muslim organization of IndiaPopular Front of Indiainfiltrators from Mangalore to Thiruvananthapuramबांग्लादेशी घुसपैठिएISIS sleeper cellsपॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडियाPFI restaurantsभारत का खतरनाक मुस्लिम संगठनRohingyas in dressing salonsमैंगलोर से तिरुवनंतपुरम तक घुसपैठिए
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