गलवान घाटी में बलिदान हुए पति के सपनों को किया पूरा, रेखा बनीं सेना में लेफ्टिनेंट
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गलवान घाटी में बलिदान हुए पति के सपनों को किया पूरा, रेखा बनीं सेना में लेफ्टिनेंट

रेखा चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में 28 मई से एक साल का प्रशिक्षण लेंगी। शहीद पति का मरणोपरांत वीर चक्र लेते समय सेना में जाने का लिया था संकल्प

by WEB DESK
May 7, 2022, 10:09 pm IST
in भारत
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गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प में बलिदान हुए बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपने पति के सपने को पूरा कर दिखाया है। शादी के 07 माह बाद ही वीर नारी बनीं रेखा सिंह का चयन कमीशंड ऑफिसर की रैंक पर हुआ है। भारतीय सेना का हिस्सा बनने से पहले वह 28 मई से चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में एक साल का प्रशिक्षण लेंगी। बलिदान दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था। राष्ट्रपति के हाथों यह पुरस्कार लेते वक्त ही रेखा सिंह ने देश सेवा की राह पर चलने का संकल्प लिया था।

बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार दीपक सिंह मध्य प्रदेश के रीवा जिले के फरेहता गांव के निवासी थे। रेखा भी रीवा जिले के रायपुर कचुर्लियान ब्लॉक के जोगनहाई गांव की रहने वाली हैं। दोनों की 30 नवंबर, 2019 को शादी हुई लेकिन सात माह बाद ही 15/16 जून, 2020 की रात चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प में दीपक सिंह बलिदान हो गए। विवाह से पहले एमएससी, बीएड के साथ एनसीसी का सी सर्टिफिकेट हासिल कर चुकी रेखा जवाहर नवोदय विद्यालय सिरमौर में शिक्षिका के रूप में कार्य कर रही थीं। इसके बाद सात माह के वैवाहिक जीवन में दीपक ने रेखा को सेना में ऑफिसर बनने का सपना दिखाया था।

बलिदान दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था। राष्ट्रपति के हाथों 24 नवंबर, 2021 को यह पुरस्कार लेते वक्त ही रेखा सिंह ने अपने पति के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। इसमें उनका पूरा सहयोग मायके और ससुराल के परिवारजनों ने किया। रेखा सिंह को मध्य प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षाकर्मी वर्ग दो पद पर नियुक्ति दी गई लेकिन उनकी सेना में जाने की इच्छा लगातार बनी रही। 29 साल की रेखा सिंह ने इस बारे में रीवा जिला प्रशासन और जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने नोएडा जाकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारियों का प्रशिक्षण लिया।

इसके बाद उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) की परीक्षा दी लेकिन पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि पति के सपने को पूरा करने के लिए दूसरी बार परीक्षा दी और आखिरकार उनका चयन सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हो गया। बलिदान की पत्नी रेखा सिंह ने बताया कि वे पति के सपनों को पूरा करने सेना में गई हैं। चिकित्सा सम्बन्धी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में 28 मई से एक साल की ट्रेनिंग होगी। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपनी सेवाएं दूंगी।

सेवानिवृत्त सैनिक प्रकाश सिंह ने बताया कि बलिदान दीपक सिंह उनके छोटे भाई थे। पिता गजराज सिंह ने गांव में किसानी करके दोनों बच्चों की परवरिश की। 17 साल पहले बड़े बेटे प्रकाश सिंह गहरवार 75 आर्मड रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। उन्होंने ही रिलेशन भर्ती निकलने पर छोटे भाई दीपक सिंह को आर्मी के मेडिकल कोर में जॉइनिंग दिलाई थी। दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र दिए जाने के समय वह और पिता गजराज सिंह भी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उस दिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बलिदान के परिजनों के साथ डिनर किया था। साथ ही दिवंगत सीडीएस विपिन रावत भी शहीदों की याद में टी पार्टी में सभी से मिले थे।

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