गत अप्रैल को नोएडा के सेक्टर 12 स्थित भाऊराव देवरस विद्या मंदिर के सभागार में ‘विभाजन कालीन भारत के साक्षी’ पुस्तक के खंड तीन और चार का विमोचन हुआ। इसके खंड एक और दो का विमोचन कुछ समय पहले रा. स्व. संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किया था। खंड तीन और चार का लोकार्पण रा. स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विभाजन तो कई देशों का हुआ, परंतु भारत विभाजन के समय जो अत्याचार हुआ, वैसा कहीं और नहीं हुआ। जिहादी मानसिकता के कारण विश्व में कई बार और कई जगह रक्तपात हुआ है। दुर्भाग्य से यह मानसिकता अभी भी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के जिस क्षेत्र में हिन्दुओं की जनसंख्या कम हुई है, वहीं अशांति फैली है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक भारत हिंदू-बहुल रहेगा, तब तक यहां लोकतंत्र रहेगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार जोशी (पूर्व अध्यक्ष, संघ लोकसेवा आयोग) ने कहा कि अगर भारत का विभाजन नहीं हुआ होता, तो पाकिस्तान सीमा पर भारत को सेना रखने के लिए आर्थिक व्यय नहीं करना पड़ता और न ही हमारे हजारों सैनिकों को बलिदान देना पड़ता। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार। कार्यक्रम को पुस्तक के लेखक श्री कृष्णानंद सागर ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विभाजन के साक्षी अनेक लोगों को सम्मानित भी किया गया।
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