अब तक के सबसे बड़े कन्वर्जन मामले के अभियुक्त मोहम्मद उमर गौतम व सलाहुद्दीन शेख की जमानत अर्जी विशेष न्यायालय (एनआईए-एटीएस) लखनऊ ने खारिज कर दी. इस मुकदमे के 17 अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है .
उत्तर प्रदेश की एटीएस ने गत वर्ष 20 जून को मो. उमर गौतम व मुफ्ती काजी को गिरफ्तार किया था. उमर गौतम के गिरफ्तार होने के बाद उसका ट्विटर अकाउंट पुलिस ने खंगाला था. उमर गौतम ने ट्विटर पर लिखा है कि वह 20 साल की आयु में कन्वर्ट हो गया था. इसके साथ ही उमर ने अपने परिवार के बारे में भ्रमित करने वाली जानकारी भी ट्विटर पर लिखी थी. उसने खुद को एक बड़े राजनीतिक परिवार का सदस्य बताया था. जबकि वह किसी बड़े राजनीतिक परिवार का सदस्य नहीं है. करीब चार दशक पहले श्याम प्रताप सिंह, कन्वर्जन करके मोहम्मद उमर गौतम बन गया था. उसके बाद से उसने अपने परिवार से नाता तोड़ लिया. उसके घरवालों ने उसे बहुत समझाया मगर वह नहीं माना. उसने अपनी पत्नी राजेश्वरी का भी कन्वर्जन करा कर उसे रजिया बना दिया.
उमर गौतम के बड़े भाई उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर में रहते हैं. उदय प्रताप सिंह के अनुसार, “आज के चार दशक पूर्व श्याम प्रताप सिंह ‘कन्वर्ट’ हुआ था. उसने अपनी पत्नी का भी कन्वर्जन करा दिया था. उसके बाद से वह परिवार के सम्पर्क में नहीं है. उससे हम लोगों का कोई वास्ता – सरोकार नहीं है. श्याम प्रताप सिंह, करीब 20 वर्ष की उम्र में बी.एस.सी एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने नैनीताल गया था. उसी दौरान उसने कन्वर्जन किया था . उसके बाद से सम्बन्ध समाप्त हो गए थे.”
उमर गौतम और जहांगीर- पर आरोप है कि भय और प्रलोभन देकर एक हजार से अधिक ‘कन्वर्जन’ कराया . दिव्यांग छात्रों को भी निशाना बनाया गया. एटीएस ने विवेचना में पाया कि षड्यंत्र के अंतर्गत कन्वर्जन कराया जा रहा था. नोएडा सेक्टर- 117 में नोएडा डेफ सोसायटी के एक केंद्र में कन्वर्जन कराया जा रहा था. वहां पर प्रशिक्षण लेने आए दिव्यांग बच्चों को भी कन्वर्जन का निशाना बनाया गया. नोएडा के मूक बधिर विद्यालय में प्रशिक्षण लेने वाले छात्र आदित्य कुमार गुप्ता का कन्वर्जन कराया गया. कन्वर्जन के बाद उसे दक्षिण के राज्य में ले जाया गया. काफी दिनों तक जब कोई खोज – खबर नहीं मिली तब उसके माता-पिता ने जनपद कानपुर नगर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. कन्वर्जन के इस बड़े गिरोह के पकड़ में आने के बाद उत्तर प्रदेश की एटीएस ने आदित्य के माता- पिता से पूछताछ की तो पता लगा कि आदित्य से वीडियो काल के माध्यम से बात हुई थी. एटीएस को यह भी जानकारी मिली थी कि एक अन्य दिव्यांग मन्नू यादव का भी कन्वर्जन कराया गया है.
उमर गौतम और उसके साथियों द्वारा लोगों को तरह-तरह के लालच देकर अन्य धर्मों से इस्लाम में कन्वर्जन कराया जा रहा था. इसके लिए पूरे देश में नेटवर्क फैलाया गया था. विवेचना के दौरान अभियुक्त सलाहुद्दीन शेख का नाम प्रकाश में आया. उसे 30 जून 2021 को अहमदाबाद एटीएस के सहयोग से गिरफ्तार किया गया था. सलाहुद्दीन अवैध धर्मांतरण के लिए उमर गौतम को हवाला से पैसे भेजता था.
उमर गौतम, अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन का उपाध्यक्ष है. यह संस्था एक स्कूल संचालित करती है. सीबीएसई बोर्ड के इस स्कूल में कक्षा दस तक की शिक्षा दी जाती है. संस्था की तरफ से दावा किया गया है कि 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. उमर गौतम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी प्रलोभन देकर मज़हब का दायरा बढ़ा रहा था.बड़े पैमाने पर हुए इस कन्वर्जन में विदेशी फंडिंग की जा रही थी.
उमर गौतम के कब्जे से एटीएस को एक सूची प्राप्त हुई जिसमे ऋचा का नाम बारहवें नंबर पर था. ऋचा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के सम्पर्क में थी. आरोप है कि प्रोफ़ेसर के सम्पर्क में आने के बाद उसका ब्रेन वाश किया गया. उसके बाद ऋचा ने कन्वर्जन कर लिया और अपने परिवार से हमेशा के लिए सम्बन्ध भी समाप्त कर दिया. ऋचा, कानपुर के घाटमपुर इलाके के बीहूपुर पहवा गांव की रहने वाली है. वह प्रयागराज में रह कर एमबीए की पढ़ाई कर रही थी. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थी. परीक्षाओं की तैयारी के सम्बन्ध में प्रोफेसर शाहिद के संपर्क में आई थी. प्रयागराज में ब्रेनवॉश के बाद ऋचा ने अपना कन्वर्जन कर लिया था. कन्वर्जन के बाद ऋचा माहिम अली बनी और फिर वह नोएडा चली गई. पुलिस को सूचना मिली है कि ऋचा नोएडा की किसी बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी कर रही है.
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