दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के तत्वावधान में निकाली जा रही शोभायात्रा पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पत्थरों से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। इस घटना को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। लेकिन ग्राउंड जीरो की सच्चाई क्या है, इसे जानने के लिए हमारे रिपोर्टर जहांगीरपुरी पहुंचे, जहां उन्होंने कई स्थानीय लोगों से बातचीत की और घटनाक्रम के पीछे की सच्चाई को जानने की कोशिश की।
कई लोगों के मन में यह सवाल है कि शांति से निकाली जा रही शोभायात्रा पर आखिर कट्टरपंथियों ने हमला क्यों किया? क्या पत्थरों से हमला एक सुनियोजित साजिश थी? क्या इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी? क्या मुस्लिम पक्ष का यह आरोप सही है कि हिंदुओं ने मस्जिद पर भगवा फहराने की कोशिश की? क्या मुस्लिम उपद्रवियों ने हिंदुओं की दुकानों को चिन्हित कर उन्हें लूटा और उनमें तोड़फोड़ की? तो आइए जानते हैं…
अचानक हिंदुओं पर टूट पड़े मुस्लिम
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। इनका मुख्य कारोबार कबाड़ का है। लूट, हत्या, छिनैती, अपहरण जैसे कई तरह के संगीन अपराधों में भी इनका हाथ होता है। कई लोगों का कहना है कि शराब के अवैध धंधे में भी इन लोगों की संलिप्तता है। इन बातों की पुष्टि के लिए जब हम जहांगीरपुरी पहुंचे तो उस समय वहां की मुख्य सड़क को छावनी में परिवर्तित किया जा चुका था। हमने पुलिस के जवानों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ मना कर दिया। हम आगे बढ़े और किसी तरह सड़क के दूसरे किनारे पर पहुंचे जहां हमें एक चाय की दुकान पर मित्रों के साथ बैठे विशाल मिले।
विशाल पेशे से ड्राइवर हैं। जब हमने विशाल को अपना पाञ्चजन्य का परिचय दिया तो उन्होंने हमसे कई अहम जानकारियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि जब शोभायात्रा निकल रही थी, उस समय वे सड़क की दूसरी तरफ स्थित चाय की दुकान पर मित्रों के साथ खड़े थे। ठीक उसी समय सड़क के दूसरे किनारे पर स्थित मस्जिद के सामने से विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की शोभायात्रा निकल रही थी। शोभायात्रा में शामिल लोग शांति से मस्जिद के सामने से गुजर रहे था। इतने में ही लोग पीछे से आगे की तरफ भागते दिखाई पड़े। हंगामा होने पर जब हम आगे बढ़े तो देखा कि अचानक से लगभग 500 मुसलमान ईंट एवं पत्थरों से हिंदुओं पर हमला कर रहे थे। जैसे ही लोगों को समझ में आया कि मुसलमानों ने शोभायात्रा पर पथराव और गोली चलानी शुरू कर दी है तो लोगों ने इधर-उधर भागना शुरू किया। मुसलमानों ने वहां खड़ी पुलिस को भी नहीं छोड़ा, मुस्लिमों की भीड़ में से एक व्यक्ति ने पुलिसवालों पर भी गोलियां चलाईं।
हमने विशाल से पूछा कि कई लोगों का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोगों ने पहले मंदिर पर पवित्र भगवा ध्वज फहराया जिसे देखने के बाद मुस्लिम पक्ष ने पत्थरबाजी शुरू की। विशाल ने इसे पूरी तरह गलत बताया और कहा जिस समय शोभायात्रा निकल रही थी, उस समय वे वहीं खड़े थे। उन्होंने अपनी आंखों से देखा कि शोभायात्रा शांति से मस्जिद के आगे से जा रही थी जिसके ऊपर मुस्लिम पक्ष ने पथराव कर दिया। विशाल ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए हमें एक वीडियो भी दिखाया जो उसने खुद बनाया था, जिसमें साफतौर पर देखा जा सकता था कि हिन्दू पक्ष ने मस्जिद को कहीं नुकसान नहीं पहुंचाया।
संचालिका ने छिप कर बचाई जान
इसके बाद विशाल हमें पास की ही एक मेडिकल दुकान पर ले गए। अग्रवाल मेडिकल जहांगीरपुरी की एक पुरानी मेडिकल दुकान है। दिनभर में सैकड़ों लोग यहां दवाई लेने आते हैं। हम इस दुकान पर शाम को पहुंचे थे और उस समय भी दर्जनों ग्राहक वहां उपस्थित थे। हमने दुकान की संचालिका निशा से कैमरे पर बात की। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन की तरह उस दिन भी हम अपने कार्य में व्यस्त थे कि अचानक हंगामे की आवाज सुनाई दी। मैंने अपने स्टाफ को यह देखने को भेजा कि आखिर यह कैसा शोर है। जब तक वे देखने जाते, तब तक उधर से ‘अल्ला-हू-अकबर’ का नारा लगाते हुए सैकड़ों उपद्रवी आए और हमारी दुकान में तोड़फोड़ की। उन्होंने हमारे गल्ले में रखे सारे पैसे भी लूट लिये। निशा ने हमें बताया कि वे किसी तरह अपनी दुकान का शटर गिराकर पास के ही घर में जा छिपीं। इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने मेडिकल दुकान से थोड़ा आगे ठेले पर मोमो और चाऊमीन की दुकान लगाने वाले व्यक्ति को भी मारा-पीटा और उसके ठेले को पलट दिया। उस व्यक्ति का पूरा परिवार उसी से चलता था। पिछले 5-6 दिन से वह दुकान भी नहीं लगा रहा है।
स्थानीय थे सारे उपद्रवी
निशा ने हमें आगे बताया कि सारे उपद्रवी स्थानीय थे। उन्हें बखूबी पता था कि कौन सी दुकान हिन्दू की है और कौन-सी मुसलमान की। उन्होंने हिंदुओं की दुकानों को चुन-चुनकर लूटा और उन पर हमला किया जबकि मुसलमानों की दुकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। निशा ने यह भी कहा कि जिन उपद्रवियों ने हमारी दुकानें लूटीं, उनमें से कई लोगों ने बीमार पड़ने पर हमारी दुकान से दवाएं भी ली होंगी, हमने कभी किसी को दवा देने से पहले वह हिन्दू है या मुसलमान, यह नहीं पूछा। फिर हमारे साथ ही ऐसा क्यों किया गया?
निशा ने यह भी कहा कि यह तो जहांगीरपुरी की घटना हुई, इसलिए लोगों को आज पता चला है लेकिन जबसे यहां बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान बस गए हैं, तभी से यहां हिंदुओं का जीना दूभर हो गया है। आए दिन यहां गाड़ियों की चोरी, घरों में चोरी, राह चलते लोगों से छिनैती की घटना, बस में लोगों की जेब काटने का काम होता रहता है। हम यहां कई वर्षों से रह रहे हैं। पर रोहिंग्याओं के आने के बाद अपराध काफी बढ़ा है।
कबाड़ से घेरी सड़क
जब हम आगे बढ़े तो हमने देखा कि जो मुख्य सड़क है, उसके आधे हिस्से पर कबाड़ रख दिया गया है। हमने वहां खड़े रेहड़ी और पटरी वालों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि बाहर से आए ये रोहिंग्या कबाड़ का काम करते हैं और इन्होंने अपने कबाड़ को आधी सड़क पर फैला रखा है। इसके कारण लोगों को आने-जाने में भारी समस्या होती है। पूरे दिन ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है। 20 मिनट के रास्ते को तय करने में 1 घंटे से ऊपर का समय लगता है। इसके साथ ही हमें अपनी दुकानें लगाने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमने एमसीडी वालों से कई बार इसकी शिकायत की पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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