दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर निकली शोभायात्रा पर मस्जिद के पास हमला अचानक नहीं हुआ था। यह एक साजिश थी, जिसके तार बांग्लादेश से लेकर 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीनबाग में हुए धरने तक से जुड़े हैं।
जहांगीरपुरी में हिंदुओं पर हमले की जांच में साजिश परत-दर-परत खुल रही है। पुलिस ने इस मामले में अंसार नाम के व्यक्ति को मुख्य अभियुक्त बनाया है। सामने आया है कि इस हिंसा के तार दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़े हैं। दिल्ली के जहांगीरपुर में जिस कुशल चौक पर ये हिंसा हुई, उसका 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्व में सीएए/एनआरसी को लेकर हुए दंगों से भी कनेक्शन रहा है। ये खुलासा साल 2020 के दिल्ली के उत्तर-पूर्व दंगों के मामले में न्यायालय में दाखिल आरोपपत्र से हुआ है।
आरोपपत्र में खुलासा हुआ था कि कुशल चौक के लोग 2020 के दंगों में भी शामिल थे। जांच टीम ने बताया था कि कुशल चौक से अवैध बांग्लादेशी महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को शाहीन बाग धरना में शामिल करने के लिए 6-7 बसों में भरकर ले जाया जाता था। इन महिला-पुरुषों की संख्या करीब 300 थी। ऐसे में पुलिस अब इन बातों को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दावा किया कि मोहम्मद अंसार आम आदमी पार्टी का पदाधिकारी है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि केजरीवाल केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जबकि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता ही दिल्ली में दंगा फैलाते हैं। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली दंगे के आरोप में पकड़ा गया अंसार आआपा का पदाधिकारी है। उसके आआपा विधायक और मंत्रियों के साथ कई तस्वीरें हैं।’
गौरतलब है कि जहांगीरपुरी हिंसा का मुख्य आरोपित अंसार पुराना अपराधी है। दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलनों के दौरान भी उसकी भूमिका सामने आई थी। उस पर पहले से ही हमला करने के दो मामले चल रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने इसे फरवरी 2009 में पहली बार चाकू के साथ गिरफ्तार किया था। अंसार चौथी कक्षा तक पढ़ा है और कबाड़ी का काम करता है। बताया जाता है कि अंसार खुद को पश्चिम बंगाल के हल्दिया का निवासी बताता है। हालांकि लोगों का कहना है कि वह बांग्लादेश का रहने वाला है।
जीआईए की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट
बौद्धिक एवं अकादमिक समूह (जीआईए) की एक तथ्यान्वेषी टीम जहांगीपुर का जमीनी जायजा लेने पहुंची थी। समूह ने अपने निष्कर्ष सामने रखे हैं। समूह की रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाके में शोभायात्रा 15-20 वर्ष से निकाली जा रही है। शोभायात्रा की तारीख, मार्ग आदि के बारे में पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया गया था। धार्मिक जुलूसों में केवल सूचना दी जाती है और यह औपचारिकता पूरी की गई थी। यात्रा मार्ग पर पुलिस भी तैनात थी।
जब यात्रा मस्जिद के पास से गुजरी तो आसपास के घरों की छतों से पथराव किया गया। पथराव में पुरुषों के अलावा महिलाएं, बच्चे भी शामिल थे। तभी कौशल सिनेमा के बाई ओर से स्थानीय मुसलमानों की हाथों में तलवार, लाठियां, सरिये लेकर निकली। कुछ के हाथों में पिस्टल भी थे और वे अल्ला हू अकबर के नारे लगा रहे थे। हमलावरों ने गोलियां भी चलाई, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। स्थानीय हिंदू ने भागकर और छिपकर अपनी जान बचाई। हमले के दौरान दंगाइयों ने कुछ दुकानों में लूटपाट भी की और कुछ वाहनों में आग भी लगा दी। कुछ के वाहन चोरी हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हनुमान शोभायात्रा पर हमला सुनियोजित था। छतों पर पहले से ही पत्थर, बोतलें जमा कर ली गई थीं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे तत्काल छतों पर एकत्र हो गए। पत्थर, पेट्रोल बम, तलवारों से लैस भारी भीड़ शोभायात्रा पर हमला करने की प्रतीक्षा कर रही थी।
अंसार भाई, कोई बचकर जा न पाए
शोभायात्रा में शामिल उमाशंकर जी ने बताया कि उस दिन यात्रा सुचारू रूप से अपने स्थान से चली थी। सभी कार्यकर्ताओं को पहले से ही दिशानिर्देश था कि कोई भी अभद्र नारेबाजी या ऐसा कोई काम नहीं करना है, जिससे माहौल बिगड़े। शोभायात्रा लंबी थी। आगे कुछ झांकियां चल रही थीं, जिसके पीछे कुछ कार्यकर्ता पैदल थे और अंत में मोटरसाइकिल पर सवार श्रद्धालु थे। 0सी-ब्लॉक मस्जिद के कोने पर 60-70 लोग एकजुट होकर हाथ बांधे खड़े थे। जैसे ही यात्रा थोड़ी आगे निकली तो पीछे चल रहे कार्यकर्ताओं पर लाठी, डंडे और तलवारों से हमला शुरू हो गया। पास के घरों की छतों से पत्थर, कांच की बोतलें, ज्वलनशील पदार्थ फेंके जा रहे थे। इससे एक कार्यकर्ता की स्कूटी जलने लगी। तभी मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं। वे आवाजें थीं – ‘‘अंसार भाई, कोई बचकर न जा पाए। अंसार भाई इनको इसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा।’’ यह सुनकर मैं बोला- ‘‘अंसार भाई क्या करवा रहे हो। ये निहत्थे कार्यकर्ता हैं। इनको छोड़ दो।’’ अंसार का जवाब था- ‘‘हमारे इलाके से शोभायात्रा निकाली है तो इसका अंजाम तो भुगतना पड़ेगा।’ उसी वक्त मुझ पर मेरे ऊपर लाठी, डंडे से हमले हुए। पीछे मुड़कर देखा तो अंसार के हाथ में तलवार थी। उसने मेरे गर्दन पर हमला किया। ईश्वर की कृपा से वह तलवार मेरे गले में पड़ी रुद्राक्ष की माला पर लगी। पास मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुझे वहां से निकाला। किसी अनजान गाड़ी पर बैठाकर मुझे अस्पताल ले गए।
प्रेम जी ने बताया कि हमलोगों ने यात्रा के लिए महेंद्र पार्क और जहांगीरपुरी थाने से अनुमति ली थी। हर साल हमलोग इस तरह की यात्रा निकालते हैं। हर साल इसी तरह से यात्रा की अनुमति ली जाती है। अनुमति लेने के कारण ही प्रशासन के अधिकारी हमारे साथ-साथ चल रहे थे। हम जब यात्रा लेकर मस्जिद के सामने से निकले, वहीं पर मुसलमानों ने हमलोगों के ऊपर हमला किया। हम पर पत्थर फेंके गए। तलवारों और बोतलों आदि से भी हमले किए गए। हमला अप्रत्याशित था, जिससे हमें संभलने का मौका नहीं मिला। हम कार्यकर्ताओं को लेकर आगे बढ़े तो उन्होंने जी ब्लॉक तक हमारा पीछा किया। हमलोगों को अभी भी फोन पर धमकियां दी जा रही हैं। इसकी जानकारी मैंने आगे दे दी है। लेकिन हमले का आरोप लगाते हुए पुलिस ने मुझे ही गिरफ्तार कर लिया। मुझ पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। ये सब जांच का विषय है कि किसके दबाव में ये सब किया गया।
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