पूर्णिया के कस्बा प्रखंड स्थित शिव मंदिर की 250 बीघा जमीन पर कब्जा कर कब्रिस्तान बनाया जा रहा था। कई संगठनों के विरोध के बाद काम रोक दिया गया है, लेकिन वहां की स्थिति ठीक नहीं है। आरोप है कि जिहादी तत्व स्थानीय मुस्लिम विधायक और अंचलाधिकारी की मदद से उस जमीन पर स्थाई रूप से कब्जा करना चाहते हैं।
बिहार के पूर्णिया जिले में एक प्रखंड है—कस्बा। इस प्रखंड की मोहिनी पंचायत के टीकापुर में एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर है। इससे कुछ दूरी पर मोहिनी मौजा में मंदिर की 250 बीघा जमीन है। इसका मालिकाना हक मंदिर की समिति के पास है और यह समिति बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड से पंजीकृत है। मंदिर की जमीन के कई खसरा नंबर हैं। जैसे— 2352, 2353, 2354,2355, 2356 आदि। इन सबको मिलाकर मंदिर के पास 250 बीघा जमीन है। लोगों का कहना है कि कई साल से इस जमीन पर जिहादी तत्व नजर गड़ाए हुए हैं। दुर्भाग्य से मंदिर समिति की निष्क्रियता से जिहादी तत्व अपने उद्देश्य में सफल भी रहे। आरोप है कि कस्बा में जब भी कोई मुस्लिम अंचलाधिकारी आया, उसकी मदद से फर्जी कागज बनवाया गया और मंदिर की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया गया। जब हिंदुओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रशासन से शिकायत की, लेकिन इस मामले में वही हुआ, जो कि अक्सर हिंदुओं के मामले में होता है। प्रशासन ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया और दूसरी ओर जिहादी तत्व जमीन पर कुछ मुस्लिम अधिकारियों के सहयोग से कब्जा करते रहे। मंदिर की जमीन के साथ ही सरकारी जमीन भी है। इस पर भी फर्जी कागज के अधार पर कब्जा कर लिया गया है और अब मंदिर और उसी सरकारी जमीन को मिलाकर कब्रिस्तान बनाया जा रहा है। इसकी चारदीवारी के लिए सरकार की ओर से राशि भी बहुत ही जल्दी स्वीकृत हुई।
लोगों का कहना है कि जब से कांग्रेस के अशफाक आलम कस्बा के विधायक बने हैं, तब से यहां की परिस्थिति काफी बदली है। वे 2015 से यहां के विधायक हैं। कस्बा के अनेक लोगों ने यह भी बताया कि जिहादी तत्वों ने 2017 में इस जमीन को एक मुस्लिम कर्मचारी के जरिए कब्रिस्तान की जमीन बताना शुरू किया। उस कर्मचारी का नाम है इकबाल अंसारी। इकबाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह जमीन कब्रिस्तान की है। इसके बाद इसकी चारदीवारी बनाने के लिए भी कुछ लोग दौड़—भाग करने लगे। मंदिर पक्ष ने इसका विरोध किया तो प्रशासन ने इन लोगों के विरुद्ध ही कार्रवाई की। मंदिर समिति के अध्यक्ष शिवशंकर सरकार सहित कुछ अन्य लोगों को जेल भेज दिया गया। इस कारण कुछ समय के लिए चारदीवारी का काम बंद हो गया। इसके कुछ समय बाद फिर से काम शुरू कर दिया गया और मंदिर समिति से जुड़े लोग भी अपना विरोध जताते रहे।
गत वर्ष कस्बा के अंचलाधिकारी मो. फहीम अंसारी बने। लोगों का आरोप है कि अंसारी के आने बाद स्थाई रूप से जमीन पर कब्जे की योजना बनी। कहा जाता है कि अंचलाधिकारी की शह पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने मंदिर की जमीन पर 15 से 20 बड़े—बड़े गड्ढे खोद दिए। कुछ गड्ढों में जबरन लाशों को दफ़नाया गया। ये वही अंसारी हैं, जो तिरंगा फहराते समय हाथ हाथ पर रखकर खड़े रहते हैं। यानी ये तिरंगे को सम्मान नहीं देते हैं। जनवरी में उनका एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ था।
कस्बा के हिंदुओं का कहना है कि मो. फहीम ने नई परिस्थिति का हवाला देते हुए घेराबंदी की पहल की। मंदिर समिति ने पुनः विरोध किया। इसके साथ ही इसकी शिकायत धार्मिक न्यास बोर्ड से की गई। बोर्ड ने 26 मार्च, 2022 को अपने पत्रांक 5665 द्वारा प्रशासन को मंदिर की भूमि की घेराबंदी रोकने का निर्देश दिया। इसके बावजूद चारदीवारी का काम चलता रहा। स्थानीय लोग और मंदिर समिति के सदस्य इसकी शिकायत लेकर जिलाधिकारी के पास गए तो जिलाधिकारी ने पटना के निर्देश की बात कही।
मंदिर समिति से जुड़े विवेक कुमार लाठ इस प्रकरण में कस्बा प्रखंड के प्रमुख मो. इरफ़ान और पापुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआई से जुड़े मो. इब्राहिम को प्रमुख षड्यंत्रकारी मानते हैं। मो. इरफ़ान का निवास मोहिनी पंचायत के मिर्जाबाड़ी ग्राम में है। इरफान के बारे में चर्चा है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए आवश्यक कागजात बनवाता है। यानी वह बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को भारत में बसा रहा है। वहीँ कई लोगों ने बताया कि मो. इब्राहिम की आर्थिक हालत कुछ दिनों पहले तक अत्यन्त सामान्य थी। खाने के लाले पड़े रहते थे, लेकिन पीएफआई से जुड़ने के बाद उसकी आर्थिक समृद्धि बढ़ती चली गई। कहा जा रहा है कि मो. इरफान की शह पर मो. इब्राहिम मंदिर, मठ और सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाता है। यह भी चर्चा है कि पीएफआई और एसडीपीआई की गतिविधियों को पूर्णिया प्रमंडल में बढ़ावा देने के लिए उसे विदेश से भी मदद मिलती है।
कस्बा पूर्णिया जिला मुख्यालय से बहुत ही नजदीक है। यहां बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की बड़ी संख्या है। इन लोगों को स्थानीय मुस्लिम नेता बसाते हैं और इसके लिए वे लोग सरकारी या मंदिर—मठ की जमीन पर कब्जा करते हैं।
अनेक लोगों ने बताया कि शिव मंदिर की जमीन पर भी अनेक बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाया गया है। जब लोग विरोध करते हैं, तो स्थानीय मुस्लिम नेता उनके पक्ष में कूद पड़ते हैं और घुसपैठियों को सड़कों पर उतार देते हैं। इसके बाद प्रशासन मामले को दबाने का काम करता है। इसलिए घसुपैठियों का मामला भी दब जाता है।
पूर्णिया के कस्बा प्रखंड स्थित शिव मंदिर की 250 बीघा जमीन पर कब्जा कर कब्रिस्तान बनाया जा रहा था। कई संगठनों के विरोध के बाद काम रोक दिया गया है, लेकिन वहां की स्थिति ठीक नहीं है। @epanchjanya pic.twitter.com/muyEu3Eltj
— arun kumar singh (@arungodda) April 30, 2022
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