विश्व पटल पर नए भारत का उदय
Wednesday, February 1, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

विश्व पटल पर नए भारत का उदय

‘अंतरराष्ट्रीय पांथिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग’ एक शरारतपूर्ण कदम उठाते हुए  भारत को ‘पांथिक अधिकारों के हनन’ का दोषी साबित करने की मुहिम छेड़े हुए है। अमेरिका बखूबी जानता है आज भारत की विदेश नीति दमदार है और नेतृत्व मजबूत। विदेश मंत्री जयशंकर के हालिया वक्तव्य ने इसे और रेखांकित किया  

जे.के. त्रिपाठी by जे.के. त्रिपाठी
Apr 28, 2022, 11:35 am IST
in भारत, विश्व
अमेरिका, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मध्य अपना वक्तव्य रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
 (फाइल चित्र)

अमेरिका, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मध्य अपना वक्तव्य रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल चित्र)

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 प्रारूप की वार्ता का चौथा संस्करण गत 11 अप्रैल को वाशिंगटन में संपन्न हुआ। इसमें भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर तथा अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री आस्टिन लॉयड ने हिस्सा लिया। इस बैठक के दौरान न जाने क्यों परंपरा और प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्री ब्लिंकन ने भारत में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघन की बात छेड़ दी। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने भारतीय सहयोगियों के साथ इन मूल्यों को साझा करते रहते हैं और भारत में कुछ सरकारी, पुलिस तथा जेल अधिकारियों द्वारा किए जा रहे मानवधकारों के हनन पर नजर रखे हुए हैं’’। भारतीय विदेश मंत्री उस समय तो प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कुछ नहीं बोले, किन्तु दो दिन बाद उन्होंने एक प्रेस कॉफ्रेंस में स्पष्ट कहा कि, ‘‘जितना अधिकार औरों को हमारे बारे में कोई धारणा बनाने का है, उतना ही अधिकार हमें भी उनके विषय में धारणा बनाने का है’’।

भारतीय विदेश मंत्री उस समय तो प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कुछ नहीं बोले, किन्तु दो दिन बाद उन्होंने एक प्रेस कॉफ्रेंस में स्पष्ट कहा कि, ‘‘जितना अधिकार औरों को हमारे बारे में कोई धारणा बनाने का है, उतना ही अधिकार हमें भी उनके विषय में धारणा बनाने का है’’।

इस बयान के साथ, जयशंकर ने जता दिया कि भारत की सोच अब पहले की तरह आत्मरक्षात्मक नहीं रह गई है। अपने इस वक्तव्य में उन्होंने एक दिन पूर्व ही न्यूयॉर्क में रिचमंड पार्क इलाके में दो सिखों पर हुए जानलेवा हमले का जिक्र भी किया।
सवाल यह है कि असल में ब्लिंकन के इस बयान के पीछे वजह क्या है! दरअसल इसके तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला, अमेरिका के इतिहास में ही इसकी जड़ें मौजूद हैं। अमेरिका की अट्ठारहवीं शती की स्वतंत्रता की लड़ाई ब्रिटिश उपनिवेशवाद में पिस रहे उन मानवाधिकारों को बहाल करने की लड़ाई थी जिनके पोषण को उन्नीसवीं सदी के दासता उन्मूलन संग्राम में बल मिला था। देखा जाए तो पश्चिम ने अपने अनुभवों के आधार पर मानवाधिकार निर्धारित कर लिए और उस मापदंड से थोड़े से कम को भी मानवाधिकारों का हनन बता दिया गया। पश्चिम की इन्हीं रूढ़ परिभाषाओं के कारण वहां गाहे-बगाहे मानवाधिकार हनन की दुहाई देना आधुनिकता की एक पहचान बन गया है। सों भला ब्लिंकन इस मुद्दे पर बोलने से क्यों पीछे रहते!

एंटनी ब्लिंकन के साथ डॉ. एस. जयशंकर

दूसरे, मानवाधिकारों का मुद्दा डेमोक्रेटिक पार्टी की नीतियों में एक प्रमुख एजेंडा रहा है। डेमोक्रेटिक पार्टी स्वयं को मानवाधिकारों की ध्वजवाहक के रूप में प्रस्तुत करती रही है। ऐसे में अमेरिकी विदेश सचिव का बयान अपनी घरेलू नीति के चलते जनता और मानवाधिकारों पर कार्यरत तमाम गैर-सरकारी संगठनों को संतुष्ट करने के उद्देश्य से भी दिया गया हो सकता है।

तीसरा कारण है, ताकतवर अमेरिका की ब्लैकमेल करने की आदत। आर्थिक और राजनीतिक तौर से कमजोर देशों पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगा कर अपने पक्ष में आने को मजबूर करना अमेरिकी कूटनीति का एक बड़ा हथियार है। यही  कोशिश भारत के साथ भी की गयी, किन्तु सफलता नहीं मिली।

भारत की बात आज दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण मंचों पर बड़े गौर से सुनी जाती है। जयशंकर की ब्लिंकन को उन्हीं की भाषा में दिया गया जवाब भारत की मजबूत विदेश नीति और बराबरी के दर्जे को दर्शाता है। आज अमेरिका या दुनिया के अन्य देशों के शीर्ष नेता भी संकट काल में भारत की ओर देखते हैं।

ब्लिंकन के बयान पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अमेरिका बार-बार भारत को रूस का विरोध न करने पर ‘परिणाम भुगतने’ की चेतावनी देता रहा है। जयशंकर की प्रतिक्रिया यह जताती है कि भारत अब पहले वाला भारत नहीं है जो चुपचाप किसी देश के बेमतलब के बोल सहेगा। यह रूख भारतीय विदेश नीति की एक स्पष्ट और मुखर दिशा दिखाता है। वैसे भी अमेरिका का मानवधकार रिकॉर्ड सराहनीय नहीं रहा है। कु क्लक्स क्लान जैसे दलों की उत्पत्ति, मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अश्वेतों के अधिकार के लिए लड़ते हुए निर्मम हत्या और हाल में ही ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ जैसे आंदोलनों की जरूरत इस बात का प्रतीक है कि अभी भी दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र होने का दम भरने वाले अमेरिका में सब कुछ ठीक नहीं है। रंगभेद का तो वहां यह आलम रहा है कि वहां पहला अश्वेत राष्ट्रपति दासता उन्मूलन के 140 वर्ष बाद ही चुना जा सका था।

अमेरिका में इस समय कई ऐसी संस्थाएं सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में काम कर रही हैं जो मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने का दावा करती हैं। ऐसी ही एक संस्था है ‘अंतरराष्ट्रीय पांथिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका का आयोग’। यह 1998 में संघीय सरकार द्वारा स्थापित संस्था है जिसमें नौ आयुक्त हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह आयोग विश्व में कहीं भी होने वाले पांथिक अधिकारों के हनन के मुद्दे उठाता रहा है। यह हर साल विभिन्न देशों में होने वाले पांथिक अधिकारों के उल्लंघन पर एक रिपोर्ट तैयार करता है और अमेरिकी सरकार को तद्नुसार सुझाव देता है। यहां इस आयोग का उल्लेख इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह आयोग विगत तीन साल से अमेरिकी सरकार को सुझाव देता रहा है कि ‘भारत में पांथिक असहिष्णुता के बढ़ते मामलों के कारण उसे विशेष चिंताजनक स्थिति के देशों की सूची में रखा जाना चाहिए’। ऐसी सूची में अभी चीन, म्यांमार, सऊदी अरब, उत्तर कोरिया, ईरान, रूस, पाकिस्तान समेत 29 देश शामिल हैं। यह आयोग कितना एकांगी है, यह इसी से पता चल जाता है कि इस सूची में यूरोप का कोई भी देश शामिल नहीं है यानी इस रिपोर्ट की मानें तो समस्त यूरोप में पूर्ण और निर्बाध पांथिक स्वतंत्रता मौजूद है! जबकि सत्य तो यह है कि अभी भी यूरोप के कई देशों  में पांथिक आधार पर भेदभाव किया जाता है। पिछले वर्ष प्रस्तुत की गयी 2020 की अपनी रिपोर्ट में इस आयोग ने भारत पर एक ‘व्यवस्थित तरीके से किए जा रहे पांथिक स्वतंत्रता के निरंतर और प्रबल हनन’ का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट ने विदेशी मुद्रा नियंत्रण कानून का दुरुपयोग करते हुए नागरिक संस्थाओं के कार्यक्षेत्र को सीमित करने का भी आरोप लगाया, क्योंकि इससे कुछ अमेरिकी संस्थाओं को अपना एजेंडा चलने में आर्थिक परेशानी आ रही थी।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ अमेरिकी लोगों ने भारत तथा भारतीयों की अतार्किक निंदा की है। उदहारण के तौर पर पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर एमी वैक्स दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत के प्रति अपने दुराग्रहों के लिए कुख्यात रही हैं। अभी हाल में ही उन्होंने भारतीय महिलाओं को निशाना बनाते हुए कहा कि ‘‘ब्राह्मण महिलाएं अमेरिका में आ कर भी अपना उच्चजातीय दम्भ नहीं छोड़तीं, वे अमेरिकी समाज और संस्कृति को बुरा-भला कहती हैं’’। उन्होंने भारत समेत एशियाई और अश्वेत लोगों के प्रति अपनी भड़ास निकलते हुए उन्हें मानसिक रूप से श्वेतों की तुलना में कमतर करार दिया। वहीं कई अमेरिकी सीनेटर तो अपने अव्यावहारिक भारत विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन आज माहौल बदल चुका है। यह नया भारत है जिसकी अपनी एक पहचान है, एक कद है। इस भारत की बात आज दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण मंचों पर बड़े गौर से सुनी जाती है। जयशंकर की ब्लिंकन को उन्हीं की भाषा में दिया गया जवाब भारत की मजबूत विदेश नीति और बराबरी के दर्जे को दर्शाता है। आज अमेरिका या दुनिया के अन्य देशों के शीर्ष नेता भी संकट काल में भारत की ओर देखते हैं।

आज के परिप्रेक्ष्य में अगर भारत को अमेरिका का साथ चाहिए तो उतना ही अमेरिका को भी भारत का साथ चाहिए। इसलिए अमेरिका विश्व राजनीति में भारत के महत्व को नकार नहीं सकता, और उसके प्रति किसी दुष्प्रचार में आना गवारा नहीं कर सकता।

(लेखक पूर्व राजदूत और विदेश मामलों के जानकार हैं)

Topics: सऊदी अरबउत्तर कोरियाईरानरूसअमेरिकाअमेरिकी सीनेटरImportance of India in America's world politicsपाकिस्तानभारतचीनम्यांमार
Share1TweetSendShareSend
Previous News

3 से 5 मई तक उत्तराखंड में रहेंगे सीएम योगी, अपने गुरु की प्रतिमा का करेंगे अनावरण

Next News

ग्वालियर में फिर लव जिहाद : नाबालिग को भगा ले गया राज खान, परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार

संबंधित समाचार

रूस ने BBC पर लगाया बड़ा आरोप, मोदी की डॉक्यूमेंट्री पर दिया भारत का साथ

रूस ने BBC पर लगाया बड़ा आरोप, मोदी की डॉक्यूमेंट्री पर दिया भारत का साथ

आस्ट्रेलिया: तिरंगा थामे भारतीयों पर टूट पड़े खालिस्तानी

आस्ट्रेलिया: तिरंगा थामे भारतीयों पर टूट पड़े खालिस्तानी

वैदिक स्वर और सनातन विचार है पाञ्चजन्य

वैदिक स्वर और सनातन विचार है पाञ्चजन्य

‘हां, पं. नेहरू ने खुद रा.स्व.संघ को ’63 की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था’

‘हां, पं. नेहरू ने खुद रा.स्व.संघ को ’63 की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था’

पाकिस्‍तान की कंगाली और गिलगित-बाल्टिस्तान पर्यटकों से खाली!

पाकिस्‍तान की कंगाली और गिलगित-बाल्टिस्तान पर्यटकों से खाली!

खैबर पख्तूनख्वा में फिर मंदिर पर हमला, सहमे हिन्दू परिवारों का पलायन

खैबर पख्तूनख्वा में फिर मंदिर पर हमला, सहमे हिन्दू परिवारों का पलायन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

एजेंडे के तहत कार्य कर रहे वामपंथी, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत : भट्ट

एजेंडे के तहत कार्य कर रहे वामपंथी, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत : भट्ट

महेश्वर अब सलालम के रोमांचक मुकाबलों के लिए भी जाना जाएगा

महेश्वर अब सलालम के रोमांचक मुकाबलों के लिए भी जाना जाएगा

बगदाद और यूरोप कैसे पहुंचा भारतीय गणित?

बगदाद और यूरोप कैसे पहुंचा भारतीय गणित?

खेलो इंडिया : देश भर के 200 से अधिक जिम्नास्ट लेंगे भाग

खेलो इंडिया : देश भर के 200 से अधिक जिम्नास्ट लेंगे भाग

पंजाब में कई जगह चर्च और पादरियों के घर ईडी की छापेमारी

पंजाब में कई जगह चर्च और पादरियों के घर ईडी की छापेमारी

आसाराम को आजीवन कारावास की सजा

आसाराम को आजीवन कारावास की सजा

रामचरितमानस को अपमानित करने वाले भारत में रहने के अधिकारी नहीं : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

रामचरितमानस को अपमानित करने वाले भारत में रहने के अधिकारी नहीं : धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

आर्थिक सर्वे संसद में पेश : कोरोना महामारी से उबरी अर्थव्यवस्था,  श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्थिति से भी आगे निकला

आर्थिक सर्वे संसद में पेश : कोरोना महामारी से उबरी अर्थव्यवस्था, श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्थिति से भी आगे निकला

पंजाब में बिगड़ते हालात, चंडीगढ़ में लगे पाकिस्तान जिन्दाबाद के पोस्टर

पंजाब में बिगड़ते हालात, चंडीगढ़ में लगे पाकिस्तान जिन्दाबाद के पोस्टर

आंतरिक चुनौतियों के साथ ही वैश्विक चिंताओं का समाधान कर रहा भारत : राष्ट्रपति

आंतरिक चुनौतियों के साथ ही वैश्विक चिंताओं का समाधान कर रहा भारत : राष्ट्रपति

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies