देश में क्रिकेट के प्रति जुनून है। आईपीएल के आने के बाद यह जुनून और बढ़ा ही है। इसी के साथ आईपीएल पर आनलाइन और आफलाइन सट्टेबाजी भी बढ़ी है। इसके कारण सैकड़ों परिवार तबाह हो रहे हैं। आए दिन आईपीएल सट्टेबाजी का भंडाफोड़ होता है, फिर भी सरकारें इस पर रोक नहीं लगा पा रहीं हैं। आईपीएल में सट्टा अब उद्योग का रूप धारण कर चुका है। इसी की आड़ में सूदखोरी का धंधा भी फल-फूल रहा है।
दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले अमन अग्रवाल के घर इन दिनों कोहराम मचा हुआ है। कारण, उनका इकलौता बेटा दिनेश एक हफ्ते से लापता है। दिनेश का बेटा रोज अपनी मां से पिता के बारे में पूछता है और मां यह कह कर उसे चुप करा देती है कि पापा काम से बाहर गए हैं। दरअसल, दिनेश को आईपीएल में सट्टा लगाने की लत है। वह पिछले कई साल से जुआ खेल रहा है। उसने पिछले साल ही जल्द अमीर बनने के लालच में 20 लाख रुपये आईपीएल में जुए पर लगाए, लेकिन पैसा डूब गया।
सट्टे के लिए उसने दबंगों से ब्याज पर पैसे लिए थे। बाद में उसके पिता ने अपनी गाढ़ी कमाई से बेटे का कर्ज चुकाया। इस बार दिनेश ने फिर सूद पर 30 लाख रुपये उधार लिए और बेटवे पर आनलाइन दांव लगाया। लेकिन इस बार भी वह जुए में हार गया। उसने जिन दबंगों से पैसा लिया था, वे उस पर ब्याज सहित रकम लौटाने के लिए धमकाने लगे। चूंकि दिनेश इतनी बड़ी रकम लौटाने में सक्षम नहीं था, इसलिए वह डरकर घर से भाग गया। उधर, घर में माता-पिता और पत्नी-बच्चे परेशान हैं। पिता के पास अब इतना पैसा नहीं हैं कि वे बेटे का कर्ज चुका सकें। दबंगों के खिलाफ परिवार के लोग पुलिस से शिकायत करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे। आईपीएल में सट्टेबाजी से बर्बादी की कहानी केवल दिनेश की नहीं है। देश के गांवों और शहरों में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो आईपीएल पर सट्टा लगा रहे हैं।
दुबई-माल्टा से जुए का कारोबार
इस ‘सट्टा उद्योग’ के जानकार बताते हैं कि देश में जुए के कारोबार को संचालित करने वाले सरगना टैक्स हैवेन देशों या दुबई में बैठे हुए हैं। ये बेटवे, बेट365, वनएक्स, रॉयल पांडा, बेटफेयर और डाफाबेट जैसे आनलाइन मंचों के जरिये किक्रेट पर सट्टा लगवा रहे हैं। दुबई में बैठे सरगना, जो पहलो मटका या दूसरे धंधे चलाया करते थे, वे अब आफलाइन जुए का कारोबार चला रहे हैं। दुबई से संचालित इस धंधे की बागडोर दाऊद गिरोह के हाथ में है। हालांकि माल्टा या टैक्स हैवेन देशों से जो आनलाइन जुए का कारोबार संचालित होता है, उसमें अधिकांश कंपनियां पंजीकृत हैं। इसके अलावा, कई जगहों पर तो सटोरिये ही मिलकर आनलाइन-आफलाइन जुए का कारोबार चलाने लगे हैं। यही नहीं, क्रिकेट पर सट्टा लगाने वाली आनलाइन कंपनियां आफलाइन जुए का संचालन करने वालों के साथ गठजोड़ कर भारत से हवाला कारोबार भी करती हैं। माल्टा और टैक्स हैवेन देशों से आनलाइन सट्टा कंपनियों का संचालन करने वाले अधिकतर यहूदी हैं। आनलाइन गेमिंग के शीर्ष निकाय आल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लेवैंडर्स के मुताबिक, आईपीएल के दौरान गैर-कानूनी तरीके से जुआ खिलाने वाले मंच और अन्य सटोरिये सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं। आनलाइन सट्टा कारोबार करने वाली कंपनियां न तो पंजीकृत हैं और न ही टैक्स देती हैं। यही नहीं, ऐसी कोई संस्था या निकाय भी नहीं है, जो इनका नियमन कर सके। इन अवैध कंपनियों के कारण स्किल गेमिंग कंपनियां भी बदनाम होती हैं, जो वैध कारोबार करती हैं। खास बात कि इस साल आईपीएल में इन गैर-कानूनी कंपनियों ने अपने विज्ञापन अखबारों में भी दिए थे। बाकायदा टेलीविजन पर भी विज्ञापन दिए गए, जिस पर शिकायत के बाद कार्रवाई की गई।
मटका का धंधा पड़ा मंदा
देश में छोटे-छोटे समूहों द्वारा लंबे समय से गैर-कानूनी तरीके से जुए के कारोबार का संचालन किया जा रहा है। पुलिस बीच-बीच में इस पर कार्रवाई भी करती है। मटका नंबर का अवैध जुआ कारोबार कभी शीर्ष पर था, जो मुंबई से संचालित होता था। अन्य कई जगहों पर भी इसके ठिकाने थे। लेकिन बीते कुछ समय से जुए का कारोबार क्रिकेट तक सिमट गया है। आईपीएल के आने के बाद यह धंधा अब लगभग बंद हो गया है और मटका कारोबार चलाने वाले अधिकतर लोग आईपीएल पर सट्टा लगवाने लगे हैं। ये सट्टेबाज केवल आईपीएल पर ही नहीं, अन्य लीग मैचों पर भी सट्टा लगवाने लगे हैं।
पान की दुकान महत्वपूर्ण कड़ी
दिल्ली में बुकी का काम करने वाले आशीष (बदला हुआ नाम) ने बताया कि क्रिकेट पर आफलाइन सट्टा लगवाने वालों का जुगाड़ बहुत तगड़ा होता है। आईपीएल के दौरान जुआ खेलने वाले अधिकांश लोग नाई की दुकानों में आते हैं और वहीं से मैच के दौरान बुकी (जो जुए के दांव को दर्ज करता है) को फोन कर मैच या ओवर पर दांव लगाते हैं। मैच के बाद बुकी हारने पर पैसा जमा कराने और जीतने पर पैसा उठाने की पुष्टि करता है।
दिल्ली में आईपीएल जुआ बाजार में काम करने वाले एक अन्य शख्स मोहम्मद सादिक (बदला हुआ नाम) ने बताया कि सट्टा लगाने वालों से बुकी न तो सीधे पैसा लेता है और न ही पैसे देता है। पैसे के लेन-देन का काम पान की दुकान चलाने वाला पनवाड़ी करता है।
सटोरियों ने तौर-तरीके बदले
पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए सटोरियों ने सट्टेबाजी का तरीका ही बदल दिया है। पूरा खेल हाइटेक और आनलाइन खेला जा रहा है। इसके लिए वेबसाइट, एप और मोबाइल का इस्तेमाल होता है। बुकी कारों में घूम-घूम कर भी दांव लगवाते हैं। बड़े बुकी के पास आनलाइन एक्सचेंज होते हैं। क्रिकेट एक्सचेंज, मुंबई एक्सचेंज, बैट््समैन एक्सचेंज, सेट एक्सचेंज, कोलकाता एक्सचेंज जैसे नामों से सटोरिये सक्रिय हैं। वे वेबसाइट और एप का पासवर्ड छोटे बुकी या सट्टा लगाने वाले को देते हैं। अमूमन 4-5 बुकी मिलकर आनलाइन मंच बनाने के बाद मोबाइल पर दांव लगवाते हैं।
ये सटोरिये हर इलाके में ऐसे एक या दो पनवाड़ी तैयार रखते हैं। सट्टे में जीतने वाले को पैसा अगले दिन 10 बजे उठाना पड़ता है। इसी तरह, जुए में हारने वाला भी दांव पर लगाई जाने वाली रकम उसी पनवाड़ी के पास जमा कराता है। हालांकि कई बार नाई भी यह काम करते हैं। खास बात यह कि सट्टे का कारोबार किराए के मकान से संचालित होता है और बुकी भी हमेशा किराए के मकान में ही रहता है। बुकी ही पुलिस और अन्य दबंगों के साथ तालमेल बैठाने का काम करते हैं। इस अवैध कारोबार को करीब से समझने वाले बताते हैं कि हर शहर या कस्बे में काम करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। जैसे- दिल्ली के उत्तर-पूर्व के इलाके पंजाबी बाग, द्वारका, केशवपुरम और रोहिणी में सबसे अधिक आफलाइन सट्टा लगता है। लेकिन दक्षिण दिल्ली में बेटिंग साइट के जरिये आनलाइन सट्टे का कारोबार चलता है।
गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान सबसे आगे
देश में सट्टेबाजी के दो सबसे बड़े अड्डे हैं— गुजरात में सूरत और मध्य प्रदेश में इंदौर। इन दोनों शहरों में हर गली-मुहल्ले में सट्टा सामान्य बात है। गुजरात में तो बीते कुछ सालों के दौरान क्रिकेट पर दांव लगाकर अपना सब कुछ गंवाने वाले काफी लोगों ने आत्महत्या तक कर ली। वहीं, इंदौर में क्रिकेट पर सट्टे के चक्कर में कई लोगों के घर तक बिक गए। अब तो हालत यह हो गई है कि छोटे-छोटे दुकानदार भी जल्दी अमीर बनने के चक्कर में अपनी जमा पूंजी सट्टे में गंवा रहे हैं। इन्हीं कारणों से देश में लंबे समय से आनलाइन माध्यमों के जरिये क्रिकेट पर सट्टा लगाने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। भारत की स्किल गेमिंग कंपनियां भी अवैध आनलाइन जुआ कारोबार को बंद कराने के लिए प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख चुकी हैं। अवैध तरीके से संचालित आनलाइन सट्टा कंपनियों को बंद भी कराया गया है, लेकिन यह कार्रवाई उतनी कारगर नहीं होता। ये कंपनियां नाम बदल कर फिर से कारोबार शुरू कर देती हैं।
देश में जुए की तीन श्रेणियां
भारत में जुआ लगभग प्रतिबंधित है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब देश को सीधे-सीधे ब्रिटिश सरकार के सुपुर्द किया था, उसी समय 1867 में पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट लाया गया था। इस कानून के तहत देश में जुआ खेलने पर पाबंदी लगाई गई थी, जिसे आजादी के बाद भी जारी रखा गया। देश में जुए की तीन श्रेणियां हैं। पहला, स्किल गेम्स जो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद देश के देश के ज्य़ादातर राज्यों में किसी विशेष परिसर (रेस कोर्स, केसिनो, क्लब आदि) में खेला जा सकता है। चूंकि जुआ या सट्टा राज्यों का विषय है, इसलिए कुछ राज्यों ने इसे अपने यहां छूट दे रखी है। जैसे- गोवा के होटलों में केसिनो संचालित की जाती है, जिसमें कोई भी जुआ खेल सकता है। सिक्किम में भी होटलों में जुआ खेला जाता है। लेकिन वहां ऐसे गेम्स खेले जाते हैं, जिनमें खिलाड़ी को मौका दिया जाता है। इसे चांस बेस्ड गेम्स कहा जाता है, जिसमें कौशल की बजाय किस्मत मायने रखती है। उदाहरण के तौर पर, स्पिनिंग टॉप, पांसा फेंकना (जैसा लूडो में होता है)।
खेल खत्म, पैसा हजम
बुकी सट्टा लगाने वालों से पहले ही पूरी रकम ले लेते हैं। इसके बाद उन्हें 50 प्रतिशत तक क्रेडिट लिमिट देते हैं। क्रेडिट लिमिट मिलते ही मोबाइल पर स्कोर लाइव हो जाता है। 20-20 ओवर के मैच में एक-एक गेंद की जांनकारी महत्वपूर्ण होती है। सट्टा लगाने वाले को लाइव मैच 2 बॉल पीछे से दिखाया जाता है। लेकिन मुख्य बुकी को 2 गेंद पहले की जानकारी रहती है, जबकि एजेंट को एक बॉल पहले की जानकारी सॉफ्टवेयर पर दिखती है। सट्टा लगाने वाले अधिकांश ग्राहक मोबाइल का उपयोग करते हैं। बुकी लाइव देखे गए मैच के हिसाब से भाव को चढ़ाते-गिराते हैं और सट्टा लगाने वालों को चूना लगाते हैं।
जुए की तीसरी श्रेणी कौशल आधारित यानी स्किल बेस्ड गेम्स है। शीर्ष अदालत ने अपने एक फैसले में घुड़दौड़ या हॉर्स रेसिंग के साथ रमी को भी कौशल आधारित खेल माना था। शीर्ष अदालत का कहना था कि इनमें दिमाग का इस्तेमाल होता है। इसी आधार पर देश के अधिकतर राज्यों में इस तरह के जुए या सट्टेबाजी को मंजूरी मिली हुई है। इनमें वैसे खेल शामिल हैं, जिन्हें खेलने के लिए व्यक्ति में कौशल हो। फैंटसी गेम्स भी इसी का हिस्सा माना जाता है। इसलिए बिना किसी परेशानी के इन्हें देश में खेला जा रहा है। हालांकि कुछ राज्य इनके लिए भी अलग-अलग प्रावधान की बात कर रहे हैं। तमिलनाडु और कर्नाटक में इन पर रोक लगाने के लिए कानून भी बनाए गए थे, लेकिन अदालत ने उन कानूनों को निरस्त कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गेमिंग कंपनियों को लोक कथाओं के आधार पर गेम्स विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए कहा था। दूसरी ओर, तेजी से बढ़ते गेमिंग कारोबार और इससे होने वाली कमाई का आतंकी गतिविधियों में दुरुपयोग होने की आशंका भी जताई जा रही है।
वहीं, देश के कुछ राज्यों में लॉटरी का चलन आज भी है। अब तो आनलाइन लॉटरी भी चलन में आ गई है। केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कागज पर छपाई कर लॉटरी बेचने की अनुमति दी गई है, जबकि सिक्किम, मेघालय और कई अन्य राज्यों में आनलाइन लॉटरी का चलन है। कुल मिलाकर देश के 13 राज्यों में लॉटरी चल रही है।
क्रिकेट फैंटसी का कारोबार
क्रिकेट पर अवैध सट्टा लगवाने वाले आनलाइन मंचों के अलावा ऐसी कंपनियां भी हैं, जो काल्पनिक क्रिकेट टीम बनाने के लिए मंच उपलब्ध कराती हैं। जैसे- ड्रीम इलेवन, रमीसर्किल और क्रिकेट अड्डा। ये कंपनियां ग्राहक बनाकर काल्पनिक क्रिकेट टीम बनाने और फिर उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक देती हैं। इसके बाद ये सबसे अधिक अंक जुटाने वाले ग्राहक को इनाम देती हैं। फैंटसी गेम्स यानी काल्पनिक क्रिकेट खेलने वाले व्यक्ति के लिए उस एप या मंच का ग्राहक बनने के लिए 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक कीमत चुकानी पड़ती है। इसके बाद ही वह अपनी पसंदीदा क्रिकेट टीम बनाकर मैच खेल सकता है। जैसे-जैसे वह मैच जीतता है, उसे प्वाइंट्स मिलते जाते हैं।
बीते 20 दिनों में कार्रवाई
- 31, मार्च 2022- खरगोन में अंतरराज्यीय सट्टेबाज गिरोह के 9 गुर्गे गिरफ्तार। दो चीन निर्मित मिनी एक्सचेंज, 4 लैपटॉप, 2 टैबलेट, एक टीवी, 64 मोबाइल, एक वॉयस रिकॉर्डर, दो सेटटॉप बॉक्स, 2 बाइक, 31,130 रुपये नकद और 1.30 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब जब्त।
3 अप्रैल, 2022- इंदौर में एक सटोरिया गिरफ्तार। 4 मोबाइल, 1 लैपटॉप, 17,000 रुपये नकद व 1 पेनड्राइव जब्त, जिसमें लाखों रुपये का हिसाब-किताब मिला।
3 अप्रैल, 2022- कानपुर में 9 सट्टेबाज 45 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार। 27 मोबाइल और 2 टैबलेट भी बरामद किए गए।
6 अप्रैल, 2022- हैदराबाद पुलिस ने सट्टेबाज गिरोह के 7 लोगों को पकड़ा। 11.80 लाख रुपये नकद, 31 लाख रुपये से अधिक बैंक के खाते जब्त।
10 अप्रैल, 2022- उत्तर प्रदेश के संभल में सट्टा गिरोह का भंडाफोड़, 5 गिरफ्तार। आरोपियों के पास से 23 मोबाइल फोन और 17 हजार रुपये बरामद।
12 अप्रैल, 2022- मध्य प्रदेश के कटनी में तीन सटोरिये गिरफ्तार। इनके पास से 29 मोबाइल, एक टीवी, तीन लैपटॉप, सेटटॉप बॉक्स, कांफ्रेंस सिस्टम की लाइन पेटी व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद।
18 अप्रैल, 2022- मध्य प्रदेश के इंदौर में आईपीएल में आनलाइन सट्टा लगवाने वाला गिरफ्तार। आरोपी के पास से 6 मोबाइल, लैपटॉप और नकदी जब्त।
18 अप्रैल, 2022- बरेली में एक सट्टेबाज गिरफ्तार। 28.41 लाख नकद, 23 मोबाइल, 1 टैबलेट, 2 लैपटॉप, 27 एटीएम कार्ड आदि के अलावा भारी मात्रा में शराब व तलवार बरामद।
19 अप्रैल, 2022- ग्वालियर में लग्जरी कार में आनलाइन सट्टा लगवाने वाले 2 सटोरिये गिरफ्तार।
इन्हीं प्वाइंट्स में इनाम होता है, जो लाखों रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक का होता है। यही नहीं, 20 हजार रुपये से से अधिक जीतने पर ये सट्टा कंपनियां 30 प्रतिशत कर भी वसूलती हैं। फिक्की के एक अनुमान के अनुसार, देश में कौशल (स्किल) और काल्पनिक (फैंटसी) गेमिंग कारोबार 8-10 हजार करोड़ रुपये का हो गया है और आने वाले कुछ सालों में गेमिंग देश का प्रमुख उद्योग बन जाएगा। इसी कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गेमिंग कंपनियों को लोक कथाओं के आधार पर गेम्स विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए कहा था।
दूसरी ओर, तेजी से बढ़ते गेमिंग कारोबार और इससे होने वाली कमाई का आतंकी गतिविधियों में दुरुपयोग होने की आशंका भी जताई जा रही है। इसी के मद्देनजर सरकार ने भी काल्पनिक मंचों के जरिये टीम बनाकर मैच खेलने वालों का केवाईसी करने का मन बना लिया है। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने पूरी गेमिंग इंडस्ट्री को सख्त कानूनी जामा पहनाने की वकालत की थी। उम्मीद है कि जल्द ही गेमिंग उद्योग को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत लाया जाएगा। हालांकि देश में कई कंपनियां हैं जो लंबे समय से इस कारोबार पर नियमन की मांग कर रही हैं ताकि अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सके।
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