गत अप्रैल को कोलकाता में आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री की 17वीं पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आयोजन कर्त्ता थे श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने इस अवसर पर कहा कि स्रष्टा को भारतीय परम्परा में कवि कहा गया है तथा उसे क्रांतदर्शी बताया गया है।
आचार्य शास्त्री में कवित्व का सर्जक व्यक्तित्व तथा अनागत की आहट को समझ लेने की योग्यता थी। साहित्य की सरणी से राष्ट्रहित के सर्वोच्च सोपान तक का उनका आरोहण बिना वैमनस्य जगाए, बिना कटुता घोले, बिना शत्रुता लिए सम्पन्न हुआ। पुस्तकालय के मंत्री श्री महावीर बजाज ने कुमारसभा पुस्तकालय के मार्गदर्शक के रूप में शास्त्री जी के अवदान को याद किया।
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