थोथा चना, बाजे घना
Wednesday, May 18, 2022
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • Subscribe
होम भारत

थोथा चना, बाजे घना

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाली और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के स्कूल मॉडल को बड़ी ठसक से विभिन्न सभाओं में सामने रखते हैं। विडंबना यह कि उनके चौतरफा दावों के विपरीत दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था बेहाल और पटरी से उतर चुकी है। क्रांति शायद ऐसी स्थिति को ही कहते हैं। केजरीवाल नया नैरेटिव गढ़ने में मंशगूल और बेपरवाह हैं

संदीप त्रिपाठी by संदीप त्रिपाठी
Apr 25, 2022, 11:56 am IST
in भारत, शिक्षा, दिल्ली
दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बदहाली के विरुद्ध अभिभावकों ने हाल ही में प्रदर्शन किया

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बदहाली के विरुद्ध अभिभावकों ने हाल ही में प्रदर्शन किया

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

राजधानी दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया के दावों को पढ़े-सुनें तो एक बेहतरीन तस्वीर उभरती है। इसीलिए आम आदमी पार्टी जब भी किसी अन्य राज्य में चुनाव लड़ने जाती है तो दिल्ली के अपने स्कूल मॉडल को सामने रखती है। दिल्ली के स्कूल मॉडल पर इतना कहा-सुना जाने से पूरे देश में यह नैरेटिव स्थापित हो गया है कि शिक्षा व्यवस्था पर आम आदमी पार्टी के नजरिये और काम का कोई मुकाबला नहीं है। दिल्ली में शिक्षा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की सरकार ने क्रांति ला दी है।
परंतु हिंदी में एक कहावत है –
अंतर अंगुली चार का झूठ सांच में होय।
यानी कान और आंख में चार अंगुल का फर्क होता है। कान सुने को सच मानते हैं, परंतु चार अंगुल दूर स्थित आंख देखे को सच माननी हैं।
तो क्या वाकई दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में क्रांति ला दी है? क्या वाकई दिल्ली का स्कूल मॉडल देश में आदर्श स्थिति में पहुंच गया है और अनुकरणीय है? सच इससे कोसों दूर है।

दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा संचालित कुल 1,027 सरकारी स्कूलों में सिर्फ 203 में प्रधानाचार्य हैं। यानी महज 19.76 प्रतिशत स्कूलों में प्रधानाचार्य हैं और 80.24 प्रतिशत स्कूलों में प्रधानाचार्य नहीं हैं। आप इस बात से अनुमान लगा सकते हैं कि शिक्षा को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली के शिक्षा मंत्री कितने सचेत हैं। क्या यही शिक्षा में क्रांति है या दिल्ली का स्कूल मॉडल है जिसमें प्रधानाचार्यों के बिना स्कूल संचालित हो रहे हैं?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में कहा है कि उसके प्रमुख की अगुआई वाली टीम ने दिल्ली में कई स्कूलों का दौरा किया और पाया कि बुनियादी ढांचा और स्कूलों के क्रियाकलाप के कई अन्य पहलुओं में खामियां हैं। आयोग ने लिखा है कि दिल्ली शिक्षा मंत्रालय के अधीन 1,027 स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें केवल 203 स्कूलों में हेडमास्टर या कार्यवाहक हेडमास्टर हैं। यानी महज 9 स्कूलों में हेडमास्टर, 3 स्कूलों में कार्यवाहक हेडमास्टर और 191 स्कूलों में प्रधानाचार्य हैं।

आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने लिखा है कि स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पढ़ने का सकारात्मक वातावरण बनाने में हेडमास्टर/प्रधानाचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही, स्कूल में समावेशी संस्कृति बनाना भी प्रधानाचार्य पर निर्भर होता है। स्कूल में हेडमास्टर/प्रधानाचार्य के न होने से बच्चों की सुरक्षा भी संकट में होती है। आयोग ने इन मुद्दों पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा हैं।

लेकिन दिल्ली के स्कूल मॉडल की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। एक तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। दूसरे, जो शिक्षक हैं भी, उन्हें वेतन का संकट है। यहां शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा। शिक्षकों ने इसकी शिकायत दिल्ली उच्च न्यायालय में की। उच्च न्यायालय ने इस पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 13 अप्रैल, 2022 को दिल्ली शिक्षा निदेशालय और दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि शिक्षकों के साथ इस तरह का व्यवहार कैसे किया जा सकता है? शिक्षक देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। पीठ ने कहा कि पैसों की कमी के कारण शिक्षकों को वेतन नहीं दिए जाने की दलील इस मामले में नहीं चल सकती। मगर शिक्षकों को वेतन देने के अदालत के आदेश की पूरी तरह अवहेलना हो रही है। पीठ ने उन शिक्षकों की सूची तलब की है जिनके वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। पीठ ने यह भी कहा कि वह यह बयान नहीं सुनना चाहती कि वह लागू कर रहे हैं। दिल्ली सरकार का जवाब यह होना चाहिए कि वेतनमान लागू कर दिया।

दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने 2013 में स्कूलों में दृष्टिबाधित, मूक, बधिर और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा देने को लेकर विशेष शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। याद कीजिए, दिल्ली में तब शीला दीक्षित की सरकार थी। भर्ती परीक्षा पास करने पर भी सीटीईटी नहीं होने से शिक्षकों को नियुक्ति नहीं मिली। भर्ती विज्ञापन के अनुसार आवेदकों के लिए मार्च 2013 से पहले सीटीईटी पास होना अनिवार्य था। योग्य आवेदक न मिलने से बड़े पैमाने पर सीटें खाली रह गईं। उसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार आ गई और 12,165 सीटें अभी तक खाली हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव शकधर और न्यायाधीश तलवंत सिंह की पीठ ने इस मामले में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। इसके अलावा अन्य शिक्षकों के पद भी रिक्त हैं।

दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल का चौथा उदाहरण विभिन्न स्कूलों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का है। दिल्ली के भाजपा नेताओं ने अपने-अपने इलाकों में स्कूलों का दौरा किया और पाया कि कहीं छत टूट रही है तो कहीं गंदगी बिखरी पड़ी है तो कहीं पेयजल की दिक्कत है तो कहीं शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है। भाजपा विधायक रामवीर सिह बिधूड़ी ने मुस्तफाबाद स्कूल का निरीक्षण किया। वहां करीब छह हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं, परंतु अभी तक इमारत नहीं बनी है। पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने पंडवाला खुर्द के सरकारी स्कूल का दौरा किया और वहां की हालत देखकर कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को दिल्ली के पास सरकारी स्कूलों की दशा जानने का समय नहीं है।
यानी स्कूल की इमारत नहीं है या ठीक नहीं है, प्रधानाचार्य नहीं हैं, शिक्षक भी पूरे नहीं हैं, जो हैं, उन्हें उचित वेतनमान नहीं मिल रहा है। परंतु अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया का दावा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह क्रांति विज्ञापनों में है, प्रेस कॉन्फ्रेंसों में है, ट्विटर पर है, जमीनी हकीकत तो कुछ और है।

दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर आम आदमी पार्टी की सरकार के दावों को सुनने के बाद हकीकत से रू-ब-रू होने पर याद आ रही हैं अदम गोंडवी की ये पंक्तियां –
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।

Topics: दिल्ली उच्च न्यायालयअरविंद केजरीवालराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोगशिक्षा मॉडलशिक्षा मंत्रीमनीष सिसौदियाआम आदमी पार्टी की सरकारन्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद
ShareTweetSendShareSend
Previous News

कक्षा दो की छात्रा से दुष्कर्म मामले में पादरी गिरफ्तार

Next News

‘ध्येय यात्रा’ पुस्तक का विमोचन

संबंधित समाचार

कुणाल कामरा मामले में NCPCR ने  ट्विटर को किया तलब, पीएम मोदी के वीडियो पर छेड़छाड़ का है आरोप

कुणाल कामरा मामले में NCPCR ने ट्विटर को किया तलब, पीएम मोदी के वीडियो पर छेड़छाड़ का है आरोप

भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी, केजरीवाल पुलिसिया डंडे से पैदा कर रहे डर

भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी, केजरीवाल पुलिसिया डंडे से पैदा कर रहे डर

भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस ने किया गिरफ्तार, केजरीवाल की आलोचना की थी

भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस ने किया गिरफ्तार, केजरीवाल की आलोचना की थी

भ्रान्ति में बदलती ‘क्रान्ति’

भ्रान्ति में बदलती ‘क्रान्ति’

सोशल मीडिया कंपनियों का दोहरापन

सोशल मीडिया कंपनियों का दोहरापन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

चीन से मुकाबला करने को भारत अरुणाचल में बनाएगा दूसरा सबसे बड़ा बांध

चीन से मुकाबला करने को भारत अरुणाचल में बनाएगा दूसरा सबसे बड़ा बांध

इराक में रेतीले तूफान से हाहाकार, हवाई अड्डे, स्कूल, दफ्तर बंद

इराक में रेतीले तूफान से हाहाकार, हवाई अड्डे, स्कूल, दफ्तर बंद

दिल्ली के शिक्षा निदेशालय द्वारा विद्यालयों को लिखा गया पत्र 

आम आदमी पार्टी का हुआ कांग्रेसीकरण, करने लगी तुष्टीकरण

हिजाब मामले पर तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

ओबीसी आरक्षण के साथ निकाय चुनाव का रास्ता साफ, मुख्यमंत्री ने बताया ऐतिहासिक दिन

शीना बोरा हत्याकांड : इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

शीना बोरा हत्याकांड : इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

जम्मू कश्मीर : सोपोर में लश्कर का आतंकी गिरफ्तार

AIMIM का प्रवक्ता दानिश कुरैशी गिरफ्तार, शिवलिंग पर की थी आपत्तिजनक पोस्ट

ज्ञानवापी : जहां शिवलिंग मिला, अगर फव्वारा है तो पानी की सप्लाई दिखा दें – हिंदू पक्ष

ज्ञानवापी : जहां शिवलिंग मिला, अगर फव्वारा है तो पानी की सप्लाई दिखा दें – हिंदू पक्ष

राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, रिहा करने का आदेश

राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, रिहा करने का आदेश

  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • Vocal4Local
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies