अपनी सरकार के एक माह पूरा होने पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त मान ने अपनी पीठ थपथपाई। यही नहीं, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यह भी दावा कर दिया कि पंजाब सरकार ने एक महीने के अंदर राज्य से भ्रष्टाचार को समाप्त कर दिया है। इसलिए पंजाब सरकार के इस कार्यकाल की समीक्षा जरूरी हो जाती है। सरकार ने भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए एक हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है और इतना करके ही मान ने मान लिया कि राज्य में भ्रष्टाचार खत्म हो गया।
आपको बता दें कि पंजाब में निगरानी विभाग का इस तरह का नम्बर पहले से ही चल रहा हैै। मान ने अपनी सरकार की एक माह की उपलब्धियों में निजी विद्यालयों में शुल्क न बढ़ाने, गैंगस्टरों के खिलाफ सख्ती बरतने, गेहूं की फसल को पूरी तरह खरीदने के निर्देश सहित छोटे-छोटे प्रशासनिक काम गिनाए हैं। हां, विधायकों की पेंशन घटा कर उसे एक करना, नेताओं की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मचारियों की वापसी जैसे कदम अवश्य ही सराहनीय हैं, परन्तु राज्य की आर्थिक स्थिति इससे ठीक नहीं होने वाली।
राज्य के आर्थिक हालात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार के अस्तित्व में आते ही मुख्यमंत्री को सरकार का खर्च चलाने के लिए प्रधानमंत्री से आर्थिक पैकेज मांगना पड़ा। किसी राज्य के लिए पैकेज कोई नई बात नहीं है और केंद्र सरकार समय-समय पर हर प्रान्त को यह सहायता उपलब्ध करवाती भी आई है परन्तु मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक पैकेज मांगने का कारनामा केवल भगवन्त मान जैैसे नेता ही कर सकते है।
भान सरकार ने सत्ता संभालते ही 25,000 नई भर्तियां करने व 35,000 अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा तो कर दी, परन्तु अभी तक न तो नई भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाला गया है और अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की बजाय उनके कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया है।
जहां तक कानून-व्यवस्था का सवाल है, राज्य में एक महीने में गैंगस्टरों की सक्रियता में अचानक तेजी आई हैै और कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी इसकी भेंट चढ़ चुके हैं। सरकार का एक महीना पूरे होने की खुशी में मुख्यमंत्री ने जुलाई से हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है। सरकार के अनुसार इससे पंजाब ऊर्जा निगम पर 4,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार पड़ेगा। कोयले की कमी और धनाभाव के कारण निगम पहले ही चरमराने की हालत में है और अब सरकार की घोषणा से उसकी हालत और भी पतली होने वाली है। ज्ञात रहे कि इसी मुफ्तखोरी की राजनीति के चलते श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है।
राज्य सरकार अपने पहले ही विधानसभा सत्र में दिशाहीन नजर आई। सरकार जनता को आश्वस्त नहीं कर पाई कि वह राज्य के विकास के लिए किस मार्ग का अनुसरण करने जा रही है, उसकी योजना क्या है, विकास की परिकल्पना क्या है? पहले ही सत्र में तीन-चौथाई बहुमत वाली सरकार में योग्य नेतृत्व का अभाव झलकने लगा।
अभी हाल ही में पंजाब के सचिव स्तर के अधिकारियों की दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक से यही संदेश गया है कि भगवंत मान की सरकार एक कठपुतली सरकार है। आज नहीं तो कल यह संदेश इस सरकार के लिए घातक सिद्ध होने वाला है।
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