मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिन्दू बंगाली परिवारों के पुनर्वास के लिए कृषि भूमि का पट्टा, आवासीय पट्टा और मुख्यमंत्री आवास योजना का स्वीकृति पत्र दिया. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 38 वर्षों की प्रतीक्षा खत्म हुई. 1970 में बांग्लादेश से आए विस्थापित 407 हिन्दू परिवारों में 332 को देश के अलग-अलग हिस्सों में रखा गया था. मदन सूत मिल हस्तिनापुर में इन्हें पुनर्वासित किया गया था लेकिन 1984 में मिल बंद होने के कारण यह सब बेसहारा हो गए थे. इनमें से 65 परिवारों की व्यवस्था यूपी को करनी थी लेकिन किसी सरकार ने इनकी सुध नहीं ली. वर्ष 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनी तो प्रक्रिया शुरू की गई.
उन्होंने कहा कि आज इन परिवारों को दो एकड़ कृषि भूमि का पट्टा और 200 मीटर आवास का पट्टा के साथ मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिया जा रहा है. इन्हें शासन की अन्य योजनाओं से भी आच्छादित किया जाएगा.; कि भले ही 63 परिवारों को पट्टे दिए जा रहे हैं, लेकिन इसका लाभ 400 लोगों को मिलेगा. जिन लोगों को अपने देश में शरण नहीं मिली और आजादी के बाद भी कष्ट झेलना पड़ा, उन्हें भारत ने न केवल शरण दी बल्कि व्यवस्थित पुनर्वास कराया है. यह मानवता के प्रति सेवा का अभूतपूर्व उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि जब वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो अनेक चुनौतियां थीं. मुसरह, वनटांगिया, चारू, भील आदि बहुत से लोग को आजादी के बाद से कोई लाभ नहीं मिल पाया था. हम लोगों ने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत ऐसे लोगों को 1 लाख 8 हजार आवास उपलब्ध कराए. वनटांगिया के 38 गांवों को राजस्व गांव के रूप में बदला और इन्हें आजादी के बाद से पहली बार वोट देने का अधिकार मिला. इन लोगों की बात पहले की संवेदनहीन सरकारों तक नहीं पहुंचती थी.
उन्होंने कहा कि अब जब इन 63 परिवारों को बसाया जा रहा है तो इसे कालोनी के रूप में विकसित किया जाए. इन्हें आदर्श गांव के तौर पर बसाया जाए. गांव में अस्पताल, स्कूल, पेयजल की सुविधा, सामुदायिक भवन की भी सुविधा हो. रोजगार के साथ भी इन्हें जोड़ा जाए ताकि ये लोग आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकें. यह बड़ी उपलब्धि होगी कि जिन्हें 52 वर्षों तक रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर आगे नहीं बढ़ाया जा सका, उन्हें सरकार आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही है.
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