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थावे मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए खर्च होंगे दो सौ करोड़ रु.

गोपालगंज स्थित थावे मंदिर को शक्तिपीठ की मान्यता है। यहां हर वर्ष लाखों भक्त आते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण भक्तों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब बिहार के पर्यटन विभाग ने इस मंदिर को भव्य और दिव्य बनाने के लिए कमर कस ली है।

by WEB DESK
Apr 19, 2022, 01:16 pm IST
in भारत, बिहार
गोपालगंज स्थित थावे मंदिर

गोपालगंज स्थित थावे मंदिर

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गोपालगंज स्थित थावे मंदिर को शक्तिपीठ की मान्यता है। यहां हर वर्ष लाखों भक्त आते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण भक्तों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब बिहार के पर्यटन विभाग ने इस मंदिर को भव्य और दिव्य बनाने के लिए कमर कस ली है।

बिहार के गोपालगंज में एक शक्तिपीठ है, जो थावे मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां बिहार के अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि स्थानों से भक्त आते हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि नेपाल तक​ में है। इसलिए नेपाल से भी हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यही नहीं, इस शक्तिपीठ पर श्रद्धा रखने वाले लोग पश्चिमी देशों में भी हैं। इसके बावजूद इसकी घोर उपेक्षा होती रही है। अब कुछ श्रद्धालुओं के प्रयासों से बिहार सरकार ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया है। इसके लिए बिहार सरकार का पर्यटन विभाग पूरी शक्ति के साथ जुटा है। समाचार है कि पर्यटन विभाग के निर्देश पर थावे मंदिर को दिव्य और भव्य बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट यानी डीपीआर तैयार कर ली गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस मंदिर को 200 करोड़ रु खर्च कर सजाया और संवारा जाएगा।
बिहार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद और विभाग के सचिव संतोष कुमार मल्ल ने व्यक्तिगत रूप से थावे मंदिर की स्थिति को देखने के बाद इसे भव्य बनाने और प्रमुख पर्यटक स्थल बनाने का निर्णय लिया गया है।
थावे मंदिर में मां सिंहासनी के दर्शन के लिए लाखों भक्त पहुंचते हैं। प्राचीन काल से मां सिंहासनी के प्रति भक्तों में अपार आस्था है। चैत्र रामनवमी से यहां का ऐतिहासिक एक माह का मेला प्रारंभ होता है। कहा जाता है कि भक्त रहषु के पुकारने पर अत्याचारी राजा मनन सेन का सर्वनाश करने के लिए मां कामाख्या से चलकर थावे आईं और यहीं रह गईं। इसके बाद यहां मंदिर बनाया गया था।
बिहार में ऐसे मंदिर बड़ी संख्या में हैं। इन मंदिरों के दर्शन के लिए भक्त भी सालभर आते हैं, लेकिन कोई सुदृढ़ व्यवस्था न होने से ये मंदिर जर्जर हो रहे हैं और इस कारण दिनोंदिन भक्त भी कम हो रहे हैं। यदि इन मंदिरों में दर्शन और पूजन की व्यवस्था ठीक से कर दी जाए और मंदिरों का रखरखाव पर ध्यान दिया जाए तो यहां श्रद्धालु हर समय आ सकते हैं। इससे बिहार के पर्याटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद है कि बिहार सरकार थावे मंदिर की तरह अन्य मंदिरों के लिए भी कोई कदम उठाएगी।

Topics: TempleथावेमंदिरबिहारThavebihar
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