उत्तराखंड राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी के मुद्दे पर संत समाज भी चिंतित है। शंकराचार्य परिषद ने मांग की है कि हिन्दू तीर्थ स्थलों खास तौर पर चार धाम में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित किया जाना चाहिए। परिषद की इस मांग को व्यापक समर्थन भी मिलने लगा है।
शंकराचार्य परिषद के प्रमुख और शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा है कि हिमालय विश्व की सनातन धर्म की आध्यात्मिक राजधानी है, यहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मक्का मदीना में हिन्दू नहीं जा सकते तो यहां पर गैर हिन्दुओं के आने पर पाबंदी क्यों नहीं लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू तीर्थस्थलों के आसपास गैर हिन्दू आबादी का बढ़ना चिंता की बात है। पूरा हरिद्वार क्षेत्र इस समस्या का साक्षी बन गया है। गंगा किनारे बस्तियां बस गयी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के देव स्वरूप को बनाये रखने के के लिए सशक्त भू कानून की जरूरत है। सरकार इस ओर अपने कदम बढ़ाए।
शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप के इस बयान का तीर्थ पुरोहित केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने समर्थन करते हुए कहा है कि गैर हिन्दू केदारघाटी तक पहुंच कर यहां के लोगों के कारोबार को छीन रहे हैं। कलावा बांध कर ये लोग नकली हिन्दू बन कर धंधा कर रहे हैं।
विश्व हिंदू परिषद के रुद्रप्रयाग जिला अध्यक्ष श्री राम गोस्वामी ने कहा है कि शंकराचार्य परिषद ने जिस विषय को रखा है उस पर चर्चा होनी चाहिए। गैर हिन्दू यहां बस कर माहौल को खराब करने में लगे हैं। जोशीमठ के विश्व हिंदू परिषद के विभाग प्रमुख देवी प्रसाद देवली ने कहा कि मुस्लिम लोग पहाड़ों में आकर क्यों बस रहे हैं, सोची समझी रणनीति के साथ ये यहां हमारे धर्मस्थलों के आसपास आकर बस जाते है, इन्हें रोकने के लिए भू कानून की जरूरत है।
बदरीनाथ ब्रह्मकमल तीर्थ पुरोहित अध्यक्ष उमानन्द सती के कहा कि हिमालय हमारा देवालय है, यहां गैर हिंदुओं का कोई काम नहीं है। इसलिए शंकराचार्य परिषद ने जो मांग की है उसका हम समर्थन करते हैं। शंकराचार्य परिषद के द्वारा उठाए जा रहे इस मुद्दे पर अन्य संत समाज के संगठन भी सहमत बताए जा रहे हैं। ये संगठन सरकार द्वारा नामित भू कानून समिति के आगे भी यह बात रखने जा रहे हैं कि चारधाम और अन्य हिन्दू तीर्थस्थलों में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित किया जाए।
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