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यादव लैंड में अखिलेश को बहुत भारी पड़ेगा शिवपाल का नया दांव, समाजवादी फौज में भगदड़ के आसार

समाजवादी राजनीति में सीधा दखल रखने वाले शिवपाल सिंह यादव अब मौन होकर मुखर फैसले लेते दिखाई दे रहे हैं। अपनी उपेक्षा से आहत शिवपाल के बारे में चर्चाएं आम हैं कि अपनी नई राजनीतिक जमीन तैयार करने को वह अब भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं!

अनुरोध भारद्वाज by अनुरोध भारद्वाज
Apr 18, 2022, 01:18 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
शिवपाल सिंह यादव, सपा विधायक

शिवपाल सिंह यादव, सपा विधायक

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कभी सैफई से लखनऊ-दिल्ली तक की समाजवादी राजनीति में सीधा दखल रखने वाले शिवपाल सिंह यादव अब मौन होकर मुखर फैसले लेते दिखाई दे रहे हैं। अपनी उपेक्षा से आहत शिवपाल के बारे में चर्चाएं आम हैं कि अपनी नई राजनीतिक जमीन तैयार करने को वह अब भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं! अपनी पार्टी प्रसपा की सभी इकाइयां भंग किए जाने के शिवपाल के फैसले के बाद उनके समर्थक नेता बस अब ऊपर से नए संदेश का इंतजार कर रहे हैं। इटावा, मैनपुरी, एटा से आगरा, बरेली और मेरठ-सहारनपुर तक शिवपाल समर्थक समाजवादी बड़ी तैयारी में जुटे हैं।

नेताजी मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक उदय से लेकर अभी तक छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव हमेशा साए की तरह उनके साथ रहे हैं। सैफई खानदान में 2017 की रार होने तक शिवपाल का दर्जा पार्टी में नंबर-2 की हैसियत वाला था मगर उसके बाद पूरी तस्वीर ही बदल गई। अखिलेश यादव उस वक्त शिवपाल पर भारी पड़े और सपा पर पूरी तरह अपना कब्जा कायम कर लिया। नेताजी मुलायम सिंह यादव कभी बेटे तो कभी भाई से प्रेम तो दिखाते रहे मगर उनकी मौजूदगी हमेशा अखिलेश कैंप में ही नजर आई।

नाराज शिवपाल सिंह ने उस वक्त प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना तो ली थी, लेकिन इलेक्शन-22 में उन्होंने पारिवारिक एकता की बात कहकर फिर भतीजे अखिलेश का छत्रप स्वीकार लिया। हालांकि इसके बाद भी शिवपाल को सिवाय उपेक्षा के सपा में कुछ नसीब नहीं हुआ। बहुत मांगने पर अखिलेश ने उनके लिए इकलौती जसबंत नगर सीट छोड़ी, जहां से वह हमेशा की तरह जीतकर सदन में भी पहुंचे हैं। इसके बाद भी शिवपाल मौन होकर सब कुछ होता देख रहे थे मगर राज्य में सपा की करारी हार के बाद भी जब अखिलेश ने उनको तवज्जो नहीं दी तो अब उनका धैर्य डोल रहा है।

शिवपाल कुछ राजनीतिक फैसला लें, उससे पहले ही मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। अपर्णा की अपने जेठ-जेठानी अखिलेश यादव-डिंपल यादव से दूरियां और चाचा-चाची शिवपाल यादव-सरला यादव से लगाव के बारे में घर से बाहर तक सभी जानते हैं। शिवपाल सिंह का दाहिना हाथ माने जाने वाले एटा के बड़े समाजवादी नेता व विधान परिषद के पूर्व सभापति रमेश यादव एमएलसी चुनाव में सपा को बड़ा झटका दे चुके हैं। रमेश यादव के पुत्र आशीष यादव भाजपा की टिकट पर निर्विरोध एमएलसी चुनाव जीत चुके हैं। सपा ने उनके मुकाबले अपने वीर उदयवीर यादव को उतारा था मगर वे अपना नामांकन भी नहीं कर सके। इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ से मेरठ-सहारनपुर तक शिवपाल सिंह यादव से जुड़े यादवी चेहरे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से खासे नाराज हैं और कभी भी पाला बदलकर भाजपा में जाने की तैयारी में हैं।

रुहेलखंड में इस वक्त पूर्व राज्यसभा सदस्य वीरपाल सिंह यादव बड़े समाजवादी नेता माने जाते हैं। वीरपाल न सिर्फ शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी हैं, बल्कि लंबे वक्त मुलायम सिंह यादव के भी खास सिपहसालार रहे हैं। शिवपाल की बड़ी पैरोकारी और बहुत-कहने सुनने के बाद भी अखिलेश ने वीरपाल को बरेली की बिथरी सीट से टिकट नहीं दिया, जो उनका चुनाव क्षेत्र है। इस बात से जितने नाराज वीरपाल हैं, उतने शिवपाल भी। वीरपाल हाल के दिनों में भाजपा नेताओं के साथ खुले तौर पर मंच साझा करते देखे गए हैं। माना जा रहा है कि शिवपाल की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलते ही वीरपाल भी भाजपा शिविर में अपना पड़ाव डाल देंगे। उस स्थिति में वीरपाल के साथ बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत के न जाने कितने यादव नेता भाजपा में कूदेंगे, इसकी गिनती नहीं लगाई जा सकती। इसमें सपा की एक वह यादव लॉबी भी हो सकती है, जो संगठन से चुनावी राजनीति तक कहीं भी एडजस्टमेंट न किए जाने की वजह से अखिलेश यादव से खासे खफा बताए जाते हैं। फिलहाल पश्चिमी यूपी में टीम शिवपाल शांत होकर नए राजनीतिक फैसले की तैयारी में जुटी नजर आ रही है। हालात देखकर राजनीतिक जानकार अभी से चर्चा कर रहे हैं कि शिवपाल का अगला कदम अखिलेश और उनकी सपा का बड़ा नुकसान कर सकता है और समाजवादियों में नई भगदड़ के हालात पैदा कर सकता है।

Topics: शिवपाल यादवAkhilesh YadavUP PoliticsShivpal Yadavअखिलेश यादवसमाजवादी पार्टीयूपी की राजनीतिSamajwadi Party
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