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होम भारत झारखण्‍ड

‘ब्राह्मण से पूजा कराना छोड़ो, नहीं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो”

झारखंड के लातेहार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ईसाई मिशनरी के लोग जनजातियों से कह रहे हैं,  ''तुम लोग हिंदू नहीं हो।

रितेश कश्यप by रितेश कश्यप
Apr 18, 2022, 12:04 pm IST
in झारखण्‍ड
चित्र में बाएं वह पर्चा है, जिस पर बहुत ही आपत्तिजनक बातें लिखी हुई हैं और दाएं सुमिता देवी, जिन्हें नवरात्र का व्रत करने पर पीटा गया।

चित्र में बाएं वह पर्चा है, जिस पर बहुत ही आपत्तिजनक बातें लिखी हुई हैं और दाएं सुमिता देवी, जिन्हें नवरात्र का व्रत करने पर पीटा गया।

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झारखंड के लातेहार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ईसाई मिशनरी के लोग जनजातियों से कह रहे हैं,  ”तुम लोग हिंदू नहीं हो। ब्राह्मण से पूजा—पाठ करवाने के कारण तुम्हें हिंदू कहा जा रहा है। इसलिए ब्राह्मण से पूजा नहीं कराओ। यदि ऐसा नहीं करोगे तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो।”

इन दिनों झारखंड में लातेहार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में एक पर्चा बांटा जा रहा है, जिस पर लिखा है, ”आदिवासी हिंदू नहीं हैं।” साथ ही यह भी लिखा है, ”आखिर क्या कारण है जो आदिवासियों को हिंदू कहा जाता है।” इस पर्चे में यह भी लिखा गया है, ”मकर संक्रांति, सरस्वती पूजा, होली, रामनवमी, दशहरा, दीपावली, छठ पूजा सहित अन्य हिंदू रीति—रिवाज मानने के कारण आदिवासियों को हिंदू कहा जाता है।” इसके साथ ही यह भी बताया गया है, ”ब्राह्मणों से पूजा कराने, ठाकुर यानी नाई समाज से मुंडन करवाने, महिलाओं के नाम के साथ कुमारी, देवी आदि लिखने से, मंदिर जाने से, मूर्ति पूजा में चंदा देने से, शादी के कार्ड में हिंदू देवी—देवताओं का फोटो लगाने से, हिंदू भगवान के नाम पर अपना नाम रखने से जनजातीय समाज के लोगों को हिंदू माना जाने लगा है।”

इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में यह भी अभियान चलाया जा रहा है कि जनजाति समाज का कोई भी व्यक्ति कोई हिंदू पर्व न मना पाए। यही नहीं,, रामनवमी के अवसर पर जिन लोगों ने अपने घरों पर भगवा ध्वज लगाया, उन्हें रोका और टोका गया। और जिन्होंने उनकी बात नहीं मानी उन्हें पीटा गया, उनके घर की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया और अभी भी किया जा  रहा है।
एक ऐसा ही मामला लातेहार थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम अंबाझारण में देखने को मिला। यहां एक जनजातीय महिला सुमिता देवी के साथ नवरात्रि मनाने की वजह से मारपीट की गई। इसके साथ ही वहीं पर एक स्कूल में रामनवमी के दिन ध्वज लगाया जा रहा था जिसे कुछ उपद्रवियों ने उखाड़ कर फेंक दिया और आसपास के लोगों को धमकाने का भी काम किया।
सुमिता देवी के अनुसार उन्हें कुछ लोगों ने एक बैठक में बुलाया था। नवरात्रि की पूजा करने की वजह से वह उस बैठक में नहीं जा पाई थी। उनका कहना है कि पहले भी इस तरह की बैठक में उन्हें बुलाया जाता था और बुलाकर उनके साथ मारपीट की जाती थी। बैठक में लोगों का यही कहना था कि उन्हें हिंदू रीति—रिवाज से अब कोई पूजा नहीं करनी है। अगर ऐसा करती रहोगी तो इस तरह की मारपीट हमेशा की जाती रहेगी।

कई लोगों ने बताया कि आसपास के क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। यहां पर जनजातीय समाज के लोगों को हिंदू देवी—देवताओं के खिलाफ भड़काया जाता है।
इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड में अब मिशनरियों का दुस्साहस किस कदर बढ़ गया है। पहले मिशनरी के जो लोग चोरी—छुपे और बहला-फुसलाकर लोगों को कन्वर्ट करने का काम करते थे, अब वही लोग खुलेआम इस तरह की हरकत पर उतर चुके हैं।

गांव अंबाझारण की बसंती देवी का कहना है कि गांव के कुछ लोग अक्सर गरीब लोगों पर अत्याचार करते हैं। इन मामलों को लेकर अगर कोई प्रशासन के पास भी जाता है तो प्रशासन उन्हीं प्रभावशाली लोगों का साथ देता है। यही कारण है कि अब गांव के अधिकतर जनजातीय समाज के लोग इन मिशनरियों के डर से कोई पूजा—पाठ करने से भी डरने लगे हैं।

 

रितेश कश्यप
Correspondent at Panchjanya | Website

दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।

 

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