संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं, धर्म एवं राष्ट्र उत्थान में कार्यरत संगठनों का सहयोगी है : सरसंघचालक
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संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं, धर्म एवं राष्ट्र उत्थान में कार्यरत संगठनों का सहयोगी है : सरसंघचालक

श्री मोहन भागवत ने कहा कि संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि धर्म व राष्ट्र उत्थान के लिए कार्यरत विभिन्न संगठन, संस्था और व्यक्तियों का सहयोगी है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी लोग सुनियोजित रूप से परस्पर सहयोग करते हुए श्रेष्ठ मानवता का निर्माण करें।

by WEB DESK
Apr 18, 2022, 10:49 am IST
in भारत, मध्य प्रदेश
श्री मोहन भागवत, सरसंघचालक

श्री मोहन भागवत, सरसंघचालक

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि धर्म व राष्ट्र उत्थान के लिए कार्यरत विभिन्न संगठन, संस्था और व्यक्तियों का सहयोगी है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी लोग सुनियोजित रूप से परस्पर सहयोग करते हुए श्रेष्ठ मानवता का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि हम एकांत में साधना और लोकांत में सेवा करते रहें।

डॉ. भागवत रविवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रज्ञा प्रवाह (संघ का सहयोगी संगठन) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय चिंतन बैठक के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा धर्म के आचरण से होती है। हमारे गुण और धर्म ही हमारी संपदा और हमारे अस्त्र-शस्त्र हैं। सत्य, करुणा, शुचिता और परिश्रम सभी भारतीय धर्मों के मूलभूत गुण हैं।

उल्लेखनीय है कि सांस्कृतिक विषयों पर मंथन के क्रम में प्रज्ञा प्रवाह समय-समय पर ऐसी बैठकें आयोजित करता है। भोपाल में दो दिन चली इस बैठक में संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंद कुमार सहित अनेक बौद्धिक एवं वैचारिक संगठनों एवं संस्थाओं के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए। देशभर से आए चिंतक, विचारक, लेखक, इतिहासकार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अर्थशास्त्री एवं अकादमिक जगत के कई बुद्धिजीवी व शिक्षाविदों ने हिंदुत्व के विभिन्न आयामों तथा उसके वर्तमान परिदृश्य पर मंथन किया।

हिन्दुत्व व राजनीति पर चर्चा करते हुए एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद भौगोलिक न होकर भू-सांस्कृतिक है। विश्व की राजनीतिक राष्ट्र रचना का मानवीकरण होना है तो इसका हिन्दूकरण होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संविधान का बहिष्कार नहीं, पुरस्कार भी नहीं, बल्कि परिष्कार होना चाहिए। लोकतंत्र का भारतीयकरण करते हुए हमें धर्मराज्य स्थापित करने की दिशा में प्रयत्न करने चाहिए।

हिन्दुत्व जीवन शैली नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है
हिन्दुत्व के वैश्विक पुनर्जागरण पर विचारक राम माधव ने कहा कि हिन्दुत्व जीवन शैली नहीं, बल्कि जीवन दृष्टि है, जीवन दर्शन है। उन्होंने बताया कि कैसे सनातन धर्म संपूर्ण विश्व में पहुंचा और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है। आज कैसे विभिन्न आध्यात्मिक संगठनों के माध्यम से हिन्दू धर्म विभिन्न देशों में पहुंच रहा है और उसका आकर्षण दिनों दिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक समस्याओं का समग्र समाधान हिन्दू धर्म ही देता है। फिर वह पर्यावरण की समस्या हो, स्वास्थ्य समस्या हो या तकनीकी।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

Topics: भोपाल में प्रज्ञा प्रवाहभोपाल समाचारMohan BhagwatPragya Pravah in BhopalBhopal Newsराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघRashtriya Swayamsevak Sanghमोहन भागवत
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