वाडिया संस्थान के जल विज्ञानी डॉ एस. राय के मुताबिक 2030 तक केरल उड़ीसा बिहार यूपी हरियाणा झारखंड कर्नाटक में भूजल में भारी गिरावट होने के संकेत मिल रहे है, जलाशयों मे पानी की कमी रहेगी। देश मे जलवायु परिवर्तन जिस तरह से देखा जा रहा है वो बरसात की कमी और सूखा लेकर आरहा है, कहीं बारिश बहुत ज्यादा होकर अतिवर्ष्टि का रूप लेगी या फिर अनुमान से कम बारिश होकर सूखा पैदा कर देगी।
डॉ राय कहते है कि मेघालय उत्तराखंड सिक्किम असम नागालैंड हिमांचल में जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिखने लगा है यहां जल स्रोत सूख रहे है। चेरापूंजी में अब वैसी बारिश नही होती जैसा हमने सुना था। यहां अब रोज तो क्या हफ़्तों बारिश नही हो रही। हिमालय राज्यों में खेती कम होने से खेत पानी नही सोख पारहे है जिसकी वजह से खेत बंजर हो रहे है और तेज़ बारिश में मिट्टी के साथ बह जारहे है।
डॉ राय ने बताया कि भारत मे जरूरत से 70 फीसदी ज्यादा भूमि जल का दोहन हो रहा है दुनियां भर के भूजल का 24 फीसदी भारत मे जल दोहन हो रहा है इसमें कमी लाने की जरूरत है, तराई पंजाब और केरल जैसे राज्यों में चावल की खेती की अतिरिक्त फसल के लालच में पानी का खर्च बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि भूजल या नदी जल की गुणवत्ता में भारत 122 देशों की सूची में 120 वें स्थान पर है जिसे देख समझा जा सकता है कि हम पानी कैसा बना रहे है कैसा पी रहे है। भविष्य के संकट को देखते हुए हमें देश मे और खास तौर पर उत्तर भारत एनसीआर में प्रदूषण को कम करना होगा। हमे जल भंडारण की क्षमता बढ़ानी होगी और हिमालय से विशेष रूप से धुआं कम करना होगा।
उन्होंने कहा हमने अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे दी है अब इसपर वो क्या विचार करती है ये निर्णय लेना सरकार का काम है।
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