बिपिन सेमवाल/दिनेश मानसेरा
आगामी 19 मई को द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि तय हो चुकी है। वैशाखी पर्व पर श्री ओंकारेश्वर मंदिर में रावल जगद्गुरु जी की उपस्थिति में वेदपाठी आचार्य और हक-हकूकधारी ग्रामीणों द्वारा द्वितीय केदार श्री मध्यमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि 19 मई घोषित की गई है। घोषित तिथि और लग्न का लिखित रूप जिसे दिनपट्टा कहा जाता है, उसको थौर भण्डारी श्री मध्यमहेश्वर धाम को सुपुर्द कर दिया गया है।
ओंकारेश्वर मुख्य मंदिर में भगवान श्री मध्यमहेश्वर जी की भोग मूर्तियों के सिंहासन को नियुक्त पुजारी के साथ दो अन्य प्रधान अर्चकों द्वारा नंदी जी की सवारी और परिक्रमा करायी जाती है। उससे बाद भगवान को यथास्थान पर सजाकर वेदपाठी आचार्यों द्वारा भगवान की राशियों के दान की पूजा करायी जाती है। इसके बाद विजय भाणे, घंटी, शंख ध्वनि एवं मंगल विजय ध्वनि के साथ प्रधान अर्चकों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सिंहासन को सभा मण्डप में लाया जाता है। पहले भगवान का स्नान कराया जाता है, धूप आरती, एकमुखी, त्रिमुखी और पञ्चमुखी आरती की जाती है। इसके बाद भगवान का रूद्राभिषेक, फिर भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके पश्चात् भगवान को बालभोग लगाया जाता है फिर वैदिक मंत्रों के साथ मध्यमहेश्वर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
6 मई को खुलेंगे बाबा तुंगनाथ के कपाट
पंच केदारों में शुमार तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने तथा चल विग्रह उत्सव डोलियों के शीतकालीन गद्दी स्थलों से धाम रवाना होने की तिथि वैशाखी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थलों में पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी है। भगवान तुंगनाथ के कपाट 6 मई को दोपहर 12 बजे कर्क लग्न में ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में वैशाखी पर्व पर घोषित तिथि के अनुसार 3 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मक्कूमठ से रवाना होगी। प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गांव के मध्य भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां पर स्थानीय भक्तों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पित कर विशाल पुणखी मेले का आयोजन किया जाएगा। 4 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर में ही भक्तों को दर्शन देगी। 5 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। 6 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट दोपहर 12 बजे ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
खुले गौरी मन्दिर के द्वार
केदारनाथ यात्रा के आधार शिविर गौरीकुण्ड स्थित मां गौरी मंदिर के कपाट विधि विधान से खोल दिये गये हैं। गौरी गांव से मां गौरी की डोली को गौरीकुंड लाया गया, जहां पर पूजा-अर्चना के बाद कपाट खोले गये और मां गौरी की डोली को मंदिर में विराजमान किया गया। अब छः माह तक मां गौरी के दर्शन भक्त यहीं पर कर सकेंगे।
बता दें कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैसाखी पर्व पर मां गौरी के कपाट विधि-विधान से खोल दिये गये हैं। ग्रीष्मकाल में मां गौरी की पूजा-अर्चना गौरीकुण्ड स्थित गौरी मंदिर में की जाती है, जबकि शीतकाल में गौरी गांव में की जाती है। आज सुबह के समय गौरी गांव में पूजा-अर्चना के बाद डोली को बाहर लाया गया, जिसके बाद मठापति सम्पूर्णानंद गोस्वामी एवं पुजारी गौरी शंकर गोस्वामी की अगुवाई में डोली को गौरीकुण्ड स्थित गौरी मंदिर में लाया गया। यहां पर शिव-पार्वती तथा गौरी माता की भोग मूर्तियों का हवन से शुद्धिकरण कर पूर्व परम्परा के तहत कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई। गौरी मंदिर के कपाट खुलने के बाद केदार यात्रा का भी आगाज हो गया है। अब श्रद्धालु छः माह तक गौरीकुण्ड में मां गौरी के दर्शन कर सकेंगे।
स्थानीय व्यापारियों में खासा उत्साह
गौरी मंदिर के कपाट खुलने से स्थानीय व्यापारियों में भी खासा उत्साह बना हुआ है। दो साल तक कोरोना महामारी के कारण केदार यात्रा पर बुरा असर देखने को मिला है, जिससे लोगों को इस बार की यात्रा से खासी उम्मीदें हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार की यात्रा बेहद ही सुव्यवस्थित तरीके से संचालित होगी, जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को रंग-रोगन से सजाने के बाद खोल दिये हैं, जबकि गौरीकुण्ड में श्रद्धालुओं की चहल-कदमी भी शुरू हो गई है। गौरी मंदिर के पुजारी गौरीशंकर गोस्वामी ने बताया कि केदारनाथ डोली के धाम जाते समय एक रात्रि विश्राम गौरी मंदिर में किया जाता है। चार मई को बाबा केदार की उत्सव डोली गौरी मंदिर पहुंचेगी और दूसरे दिन तप्तकुंड में स्नान के बाद उत्सव डोली धाम के लिए रवाना होगी। छः मई को विवि-विधान से बाबा केदारनाथ के कपाट भी खोल दिये जाएंगे।
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