देवघर रोप-वे हादसा : समाप्त हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन, 46 लोगों की बची जान, सेना और पन्नालाल बने देवदूत
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देवघर रोप-वे हादसा : समाप्त हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन, 46 लोगों की बची जान, सेना और पन्नालाल बने देवदूत

सेना के ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही त्रिकुट के समीप बसडीहा गांव निवासी पन्नालाल पंजीयारा और उसके साथियों ने ट्रॉली में फंसे 11 लोगों को मौत के मुहं से निकाल लिया था, वह भी मात्र रस्सी और कुर्सी के सहारे। मैन्यूअल रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे पहले पन्नालाल ने ही शुरू किया।

by WEB DESK
Apr 12, 2022, 11:37 pm IST
in भारत, झारखण्‍ड
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देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड स्थित त्रिकुट पहाड़ पर रोप-वे हादसे के दौरान ट्रालियों में फंसे 46 लोगों को तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया गया। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही मंगलवार को तीसरे दिन एयर फोर्स का रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया।

मंगलवार को छठी लाल साह की पत्नी शोभा देवी रेस्क्यू के दौरान डेढ़ हजार फीट नीचे खाई में गिर गईं। गंभीर अवस्था में उन्हें सदर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर दिवाकर पासवान ने उनकी मौत की पुष्टि की। हेलीकॉप्टर से ऊपर खींचते समय शोभा देवी की रस्सी का हुक केबिन के गेट में फंस गया। एयर फोर्स के कमांडो इसे निकालने का प्रयास कर रहे थे, तभी रस्सी टूट गई थी। सोमवार को भी हेलीकॉप्टर में चढ़ने के दौरान दुमका निवासी राजेश मंडल (36) की गिरने से जान चली गई थी।

मंगलवार सुबह छह बजे इंडियन एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर एमआई- 17 और एमआई -17 वी5 , आईटीबीपी, सेना के जवान और एनडीआरएफ की टीम के साथ रोप-वे में फंसे लोगों को बचाने में जुटे। मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 14 लोगों की जान बचाई गई। सुबह आयकर के एक अधिकारी नीरज किशोर के साथ इनके पुत्र नमन नीरज और अभिषेक नंदन को रेस्क्यू किया गया। छह नंबर केबिन में फंसे छठी लाल साह के पांच रिश्तेदारों को सुरक्षित निकाला गया।

सोमवार शाम रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लोगों को बचाने के लिए 20 नंबर केबिन में गया कमांडो वहीं फंस गया । सोमवार शाम करीब पौने छह बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया। इसकी वजह से कमांडो को पूरी रात रोप-वे के केबिन में ही गुजारनी पड़ी। वायुसेना की टीम ने एक केबिन से बेहोशी की हालत में दो लोगों को निकाला। रेस्क्यू के दौरान एक कमांडो को भी चोट भी आई।

ड्रोन से केबिनों की जांच

रोप-वे में फंसे छठी लाल साह को निकाले जाने के बाद सभी 12 केबिनों को ड्रोन की मदद से चेक किया गया। इसमें पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद अभियान समाप्त किये जाने की घोषणा की गई।

सोमवार शाम तक 33 पर्यटकों को निकाला गया

सोमवार शाम तक रेस्क्यू आपरेशन के बाद 33 पर्यटकों को सकुशल निकाला गया। दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड निवासी रोजगार सेवक रमेश कुमार मंडल सेफ्टी बेल्ट्स खुल जाने से करीब डेढ़ हजार फीट नीचे गिर गए। शाम 5:50 बजे राकेश को निकाला जा रहा था। अचानक उनका हाथ सैनिक के हाथ से छूट गया और वह गहरी खाई में जा गिरे। इस हादसे के बाद और अंधेरा हो जाने की वजह से आपरेशन रोक दिया गया । करीब 15 पर्यटकों को इसके बाद दूसरी रात भी खौफ के साये में गुजारनी पड़ी।

मृतकों की सूची

सुमंती देवी, राकेश कुमार मंडल और शोभा देवी।

10 अप्रैल को इनको किया गया रेस्क्यू

गोविंद भोक्ता (सलोनाटांड़), भूपेंद्र वर्मन (असम), दीपिका वर्मन (असम) , एक अज्ञात बच्ची, रूपा कुमारी (करमाटांड़), सोनी देवी (तीरनगर), रमन कुमार श्रीवास्तव (दरभंगा), खुशबू रानी श्रीवास्तव (दरभंगा), सुमंती देवी (मृत) ।

11 अप्रैल को इनको किया गया रेस्क्यू

देवांग पाल (मालदा , बंगाल), झूमा पाल , मालदा , बंगाल, सौरभ दास (मालदा , बंगाल), वकील कुमार (दरभंगा बिहार), आशा टिबड़ेवाल (मुजफ्फरपुर), प्रदीप टिबड़ेवाल (मुजफ्फरपुर), शुभम टिबड़ेवाल (मुजफ्फरपुर) , डोली कुमारी (बसडीहा देवघर), सुदीप दत्ता (गंगारामपुर बंगाल), नामी दास (हरीशचंद्रपुर), पुतुल शर्मा (मानिकचक) , विनय कुदास, हरीशचंद्रपुर, अनन्या राय (भागलपुर), कौशल्या देवी (भागलपुर) , अनु राज , (बरियारपुर , मुंगेर), नीरज कुमार, (भागलपुर), सिकैली देवी ( सीतामढ़ी), सरिता देवी (मोतिहारी),राकेश कुमार (मोतिहारी), सिया देवी , (मुजफ्फरपुर), अनिता दासी (शिकारीपाड़ा), मुन्ना (भागलपुर), राकेश कुमार (भागलपुर), शैलेंद्र कुमार (धरहरा मधुबनी), संदीप कुमार (मधुबनी), अनिल लोकी (मधुबनी), राजकिशोर राय (दरभंगा),इति कुमारी (असनसोल) , शिवेक मंडल (असनसोल), सुशीला देवी (असनसोल), सविता कुमारी (बसडीहा), शालू कुमारी (बसडीहा),राकेश कुमार मंडल (मृत) सरैयाहाट दुमका ।

12 अप्रैल को इनको किया गया रेस्क्यू

मनीष कुमार (मुजफ्फरपुर), धर्मेंद्र भगत (सीतामढ़ी बिहार), चंदा देवी (सीतामढ़ी बिहार), नितेश कुमार (सीतामढ़ी बिहार), खुशबू कुमारी (झौसागढ़ी), जया कुमारी( देवघर), कर्तव्य राज (राम मंदिर रोड), वीर कुमार (राम मंदिर रोड), अमित कुमार (राम मंदिर रोड), सत्यम कुमार (सीतामढ़ी), नमन नीरज (बिलासी), अभिषेक नंदन (बिलासी), छठी लाल साह (राम मंदिर) शोभा देवी राम मंदिर रोड (मृत)।

हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच कराने की घोषणा की है। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। बेंच ने कहा है कि ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है। उस घटना से सबक नहीं लिया गया। हाई कोर्ट ने 25 अप्रैल तक पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तलब की है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि हादसे की जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। सरकार ने ट्रॉली में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर लिया है।

रातभर जमे रहे अधिकारी

रविवार शाम करीब 4:30 बजे हादसे के बाद देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री, एसपी सुभाष चंद्र जाट और एसडीओ दिनेश यादव सहित अन्य अधिकारी रातभर मौके पर रहे। सांसद डॉ निशिकांत दुबे पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि त्रिकुट पहाड़ की चोटी पर स्थित रोप-वे के यूटीपी स्टेशन का रोलर रविवार को अचानक टूट गया था। इसके बाद रोप-वे की 23 ट्रॉलियां एक झटके में सात फीट नीचे लटक गईं। सबसे पहले ऊपर की एक ट्रॉली 40 फीट नीचे खाई में गिर गई। इसमें पांच लोग थे।

रस्सी और कुर्सी के सहारे पन्नालाल ने बचायी 11 लोगों की जान

सेना के ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही त्रिकुट के समीप बसडीहा गांव निवासी पन्नालाल पंजीयारा और उसके साथियों ने ट्रॉली में फंसे 11 लोगों को मौत के मुहं से निकाल लिया था, वह भी मात्र रस्सी और कुर्सी के सहारे। बताया गया कि पन्ना लाल और उनके कुछ सहयोगियों ने सेना के हेलीकॉप्टर आने से पहले ही रस्सी और कुर्सी के सहारे त्रिकूट रोपवे दुर्घटना में फंसे लोगों को निकालने का अभियान शुरू कर दिया था। बताया गया कि मैन्यूअल रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे पहले पन्नालाल ने ही शुरू किया। पन्नालाल ने अपनी टीम के साथ मेंटेनेंस रोपवे के जरिये फंसी ट्रॉलियों तक पहुंचने की कोशिश की और 11 पर्यटकों को कुर्सी और रस्सी के सहारे नीचे उतारा। पन्नालाल के साथ बंसडीहा के रहने वाले उपेंद्र विश्वकर्मा, उमेश सिंह, नरेश गुप्ता और अन्य लोग नीचे में रस्सी पकड़ कर रखे थे।

गैंगटोक, अरुणाचल प्रदेश में रोपवे रेस्क्यू अभियान में भी सहयोग कर चुका है पन्ना लाल

बताया गया कि पन्नालाल रोपवे का काम करने वाला कुशल श्रमिक है। इससे पहले पन्नालाल गैंगटोक, अरुणाचल प्रदेश के इलाके में रोपवे रेस्क्यू का काम कर चुका है। पन्नालाल को त्रिकूट पर्वत के रास्ते की भी जानकारी थी। उसके साहस औऱ पराकर्म को देख कर सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ की टीम ने भी उसकी कोशिशों को सहयोग दिया। बाद में एमआइ हेलीकॉप्टर और चीता हेलीकॉप्टर के जरिये 20 से अधिक लोगों को पहले दिन यानी 11 अप्रैल को निकाला। जवान भी पन्नालाल की हिम्मत और उसके द्वारा इस्तेमाल किये गये रास्ते से केबुल कार के नजदीकी टावर पर चढ़े। इस सच्चे दृश्य को देख कर सभी पन्नालाल के साहस और जज्बे की तारीफ कर रहे हैं। वहीं उन्हें जानने वाले लोग देवदूत की भी संज्ञा दे रहे हैं। पन्नालाल के प्रयासों की तारीफ सेना सहित त्रिकूट में मौजूद जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने भी पन्नालाल की इस प्रयास की तारीफ की है। साथ ही उन्हें समाज का जीवन रक्षक करार दिया है।

 

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