राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय चिंतन बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर किए गए मंथन के पश्चात 27 बिंदुओं को क्रियान्वयन के लिए प्रस्तावित किया गया है। इन बिंदुओं पर आगामी माह संघ की कोर कमेटी के शीर्ष पांच नेता अंतिम निर्णय लेंगे।
तीर्थनगरी ऋषिकेश के रायवाला में गंगा तट पर स्थित औरोवैली आश्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सप्ताह व्यापी अखिल भारतीय चिंतन बैठक आयोजित की गई थी। समापन सत्र के पश्चात चिंतन बैठक में पहुंचे संघ के 75 में से 60 नेताओं ने शिविर से विदाई ली। संघ प्रमुख सरसंघचालक श्री मोहन भागवत सहित कुछ शीर्ष नेता अभी यहीं ठहरे हैं। चिंतन शिविर के अंतिम दिन सोमवार को भी 5 सत्रों मैं बैठक चली, 7 दिनों तक चली बैठक में प्रतिदिन 5 सत्र आयोजित किए गए। इस बैठक आगामी 25 वर्षों की कार्य योजना तैयार की गई है, जिसे विश्वभर में प्रांतों के माध्यम से लागू किया जाएगा।
बैठक के दौरान यह भी मंथन किया गया कि संघ की स्थापना के पश्चात वर्ष 2025 में होने वाले शताब्दी वर्ष में संघ ने क्या पाया और क्या खोया और संघ की क्या स्थिति है। संघ ने यह भी तय किया कि संघ का विस्तार किए जाने के लिए शहर के साथ गांव की ओर भी बढ़ना पड़ेगा। ऐसा मानना है कि जब तक गांव मजबूत नहीं होंगे, तब तक संघ का काम आगे नहीं बढ़ सकता। इसे बढ़ाने के लिए प्रत्येक गांव तक पहुंचना आवश्यक है। बैठक में देश की आंतरिक सुरक्षा कश्मीर जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता पूर्वक विचार किया गया। इस कार्य में संतों को भी साथ लिया जाएगा, जिसके चलते 13 और 14 अप्रैल को संतों के साथ भी विचार वमर्श किया जाएगा। कुल मिलाकर संघ की यह बैठक आगामी 25 वर्षों की कार्य योजना को समाज तक पहुंचाने की रणनीति निर्धारण पर आधारित रही।
शिविर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, प्रांत प्रचारक युद्धवीर, सहसरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, क्षेत्र संघचालक राजन, अखिल भारतीय सह बौद्धिक शिक्षा प्रमुख सुनील भाई मेहता, अखिल भारतीय निमंत्रित सदस्य रविंद्र जोशी, प्रांत कार्यवाह जयप्रकाश, प्रांत कार्यवाह के रमेश, प्रांत प्रचारक चिंतन उपाध्याय, प्रांत प्रचारक प्रेम शंकर, कौशल, अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षा प्रमुख स्वांत रंजन आदि ने मार्गदर्शन दिया।
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