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असम के 9 जिलों में हिंदू हुए अल्पसंख्यक

मुसलमान अब असम में सबसे बड़ा समुदाय हैं। मुस्लिम आबादी विस्फोट ने राज्य में कम से कम 9 जिलों की जनांकिकी बदल दी है जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। राज्य में चार दशक में मुस्लिम आबादी 10 प्रतिशत बढ़कर 34.22 प्रतिशत हो गई जबकि हिंदू आबादी 11 प्रतिशत घटकर 61.46 प्रतिशत रह गई

दिब्य कमल बोरदोलोई by दिब्य कमल बोरदोलोई
Apr 11, 2022, 02:24 pm IST
in भारत, असम, विश्लेषण
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हाल ही में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने असम विधानसभा में कहा कि बांग्लादेश मूल के मुसलमान अब असम में सबसे बड़ा समुदाय हैं। असम में 1.25 करोड़ से अधिक आबादी वाले मुसलमानों की संख्या राज्य में किसी भी अन्य समुदाय से अधिक है। बांग्लादेश मूल के मुसलमानों की कुल जनसंख्या वृद्धि ने असम के कम से कम 9 जिलों की जनांकिकी को बदल दिया है। इन जिलों में हिंदू अब अल्पसंख्यक हो गए हैं।

1991 से 2011 की अवधि के दौरान 7 निचले और मध्य असम के जिलों (बारपेटा, दारंग, मोरीगांव, नौगांव, बोंगाईगांव, धुबरी और गोलपारा) में हिंदू आबादी 6.41 प्रतिशत कम हो गई। इन जिलों में इसी अवधि में मुस्लिम आबादी 62.65 प्रतिशत बढ़ी। 2021 की जनगणना की अंतिम रिपोर्ट आने तक बराक घाटी में हैलाकांडी और निचले असम में दक्षिण सलमारा-मनकाचर भी हिंदू अल्पसंख्यक जिलों के दायरे में आ जाएंगे।

जनगणना के आंकड़ों ने इन जिलों में मुसलमानों की विशाल जनसंख्या वृद्धि और साथ ही साथ बंगाली भाषी जनसंख्या की वृद्धि को दिखाया। 1991 से 2011 के दौरान इन 7 जिलों में हिंदू आबादी घटकर 35,92,819 हो गई, जो 2001 में 38,38,791 थी। लेकिन इसी अवधि के दौरान इन 7 जिलों में मुस्लिम आबादी 39,13,920 से बढ़कर 63,65,873 हो गई।

अगर हम अपने पाठकों के लिए इन 7 जिलों के आंकड़ों को विस्तृत करें, तो असम में मुस्लिम आबादी के विस्फोट की तस्वीर साफ हो जाएगी। बारपेटा जिले में 1991 में हिंदू आबादी 5,57,929 थी जो 2011 में घटकर 4,92,966 हो गई। यहां 1991 में मुस्लिम आबादी 7,76,974 थी जो 2011 में बढ़कर 11,98,036 हो गई। दारांग जिले में 1991 में हिंदू आबादी 7,86,332 थी जो 2011 में घटकर 3,27,322 हो गई। इसी अवधि में मुस्लिम आबादी 4,15,332 से बढ़कर 5,97,392 हो गई। अन्य पांच जिलों में भी इस अवधि के दौरान समान गति से मुस्लिम आबादी का विस्फोट हो रहा था।

मध्य असम के मोरीगांव जिले में मुस्लिम आबादी 1991 में 2,89,835 थी जो 2011 में बढ़कर 5,03,257 हो गई। नौगांव जिले में इस दौरान मुस्लिम आबादी 8,93,322 से बढ़कर 15,63,203 हो गई। बांग्लादेश की सीमा से सटे धुबरी जिले में इस अवधि में मुस्लिम आबादी 9,38,789 से बढ़कर 15, 53,023 हो गई। गोलपारा जिले में इस अवधि में मुस्लिम आबादी 3,35,275 से बढ़कर 5,79,873 हो गई। निचले असम के एक अन्य जिले बोंगाईगांव में मुस्लिम आबादी दो दशकों में 2,64,393 से बढ़कर 3,71,033 हो गई। इस अवधि में इन 7 जिलों में कुल मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि 62.65 प्रतिशत रही।

अगर हम पीछे जाएं, तो 1901 में हिंदू आबादी 90.02 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.50 प्रतिशत थी। 1971 की जनगणना रिपोर्ट में असम की कुल 24.56 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के मुकाबले हिंदू आबादी 72.51 प्रतिशत थी। लेकिन चार दशकों में 2011 की जनगणना में मुस्लिम आबादी 10 प्रतिशत बढ़कर 34.22 प्रतिशत हो गई। जबकि हिंदू आबादी 11 प्रतिशत घटकर 61.46 प्रतिशत रह गई। विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 की जनगणना में मुस्लिम आबादी 37 प्रतिशत या उससे अधिक हो जाएगी।

2001 से 2011 के दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि 24.60 प्रतिशत थी जो हिंदू जनसंख्या वृद्धि से बहुत अधिक थी। लेकिन इस अवधि में असम में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 29.59 प्रतिशत थी जो राज्य में हिंदू जनसंख्या वृद्धि 10.90 प्रतिशत से लगभग तीन गुना अधिक थी।

बढ़ती आबादी के साथ बांग्लादेश मूल के मुसलमान स्थानीय लोगों के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकार छीन रहे हैं। प्रवासी मुसलमान अब असम के कम से कम 42 निर्वाचन क्षेत्रों में बहुमत और निर्णायक कारक हैं। बांग्लादेश मूल के मुसलमानों की विशाल जनसंख्या वृद्धि इंगित करती है कि वह दिन कुछ ही दशक दूर है जब मूल असमी अपने अधिकारों को खो देंगे और अपनी ही भूमि में अल्पसंख्यक बन जाएंगे। ल्ल

Topics: बांग्लादेश मूल के मुसलमानबोंगाईगांव में मुस्लिम आबादीमुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा
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